उदय भाग ११
उदय भाग ११
चतुर्थ परिमाण ! ये क्या है ? नटु उर्फ़ पल्लव ने पूछा
बाबा भभूतनाथ मुस्कुराए और जवाब दिया ये दुनिया जितनी देख रहे हो उतने नहीं है यह उससे काफी बड़ी है। आम आदमी सिर्फ त्रिपरीमाणिय दुनिया देखता है लेकिन वास्तव में जगत सप्त परिमाणिय है यानीकी सेवन डाइमेंशन। और जहा तुम खड़े हो वह चौथा परिमाण है यह छुपी हुई दुनिया है। आम आदमी की इन्द्रियों की सीमा है वो उससे आगे बढ़ नहीं सकता। तुमने काफी बार सुना होगा सिद्ध योगिओ के बारे में की वो चमत्कारी होते है लेकिन अगर आम आदमी भी अपनी पंचेन्द्रियों को काबू करे और उनका विकास करे तो वो भी चमत्कार कर सकता है।
ये दुनिया सात परिमाणों की बनी है और हर परिमाणों का अपना अस्तित्व और अपनी विशेषताए है और tin परिमाणों के बाद हर परिमाणों में समय धीरे चलता है और उसमे रहनेवाले व्यक्ति की शक्ति बढ़ती है। जैसे त्रि परिमाणिय दुनिया से चौथे परिमाण में समय तीस गुना धीरे चलता है , चौथे से पाचवे में उससे तिस गुना धीरे , पाचवे से छठे में उससे तीस गुना धीरे और छठे से सातवे में उससे तीस गुना धीरे। समय धीरे चलता है लेकिन शक्ति उस अनुपात में बढ़ जाती है और समय धीरे चलने से जैविक क्रियाए धीमी हो जाती है और उसमे रहनेवालो की उम्र भी उतनी ज्यादा होती है। नटु ने कहा बाबा कुछ समझ में आये ऐसा बताइये। बाबा बोले चलो ऐसे समझाता हु एक व्यक्ति त्रिपरीमाणिय दुनिया में १०० साल जीता है वही व्यक्ति अगर चौथे परिमाण में ३००० साल जियेगा , पाचवे परिमाण में ९०००० साल , छठे परिमाण में २७००००० और सातवे परिमाण में ८१०००००० साल जियेगा वैसे यह सिर्फ उदहारण के लिए बताया वैसे बता दू की कोई भी छठें और सातवें परिमाण में जा नहीं सकता वहाँ दिव्यशक्तिओ का वास है जो इस दुनिया को चला रही है।
मैं, तुम और अपने जैसे और आठ पुरुष थे जिनको दिव्यपुरुष कहा जाता था हम पांचवें परिमाण के वासी है जो तुम्हारी एक गलती की वजह से चौथे परिमाण में आ गए है। हमारा काम धरती पर पाप और पुण्य का संतुलन बनाये रखना था हम लोग जरुरत पड़ने पर सुक्ष्म रूप धारण करके तीसरे परिमाण में जाते थे और किसी भी व्यक्ति का रूप लेकर अपना काम पूर्ण करके वापस चले आते थे। हमारा निर्माण महाशक्तिओ ने किया है और महाशक्तिओ का निर्माण एक दिव्यशक्ति ने किया है जो की सातवे परिमाण में रहती है। दिव्यशक्ति का काम सिर्फ निर्माण और विनाश का है और इस दुनिया का सञ्चालन के लिए उसने महाशक्तिओ का निर्माण किया जिनको हरेक की अलग अलग जिमेदारी दी है वैसे तुम्हे बता दू की इन महाशक्तिओ में से कुछ महाशक्तियां काली भी है जिनका काम इस दुनिया में पाप बढ़ाना है। धवल शक्ति और काली शक्ति के संतुलन से ये दुनिया सही तरीके से संचालित होती है और जब काली शक्तिया शक्तशाली हो जाती है तब उसे काबू करने के लिए हमें भेजा जाता है तीसरे परिमाण में। मै तो आज भी यह काम कर रहा हूँ लेकिन अब तुम्हारी जरुरत पड़ेगी एक महत्वपूर्ण कार्य के लिए।
नटु आश्चर्य से इस रहस्योघाटन को सुन रहा था मन में काफी प्रश्न घुमड़ रहे थे लेकिन वह मौन रहा।
बाबा भभूतनाथ ने आगे बताया की जैसे की आगे बताया हम १० दिव्यपुरुष थे जिनका काम पुण्य को बढ़ावा देना था लेकिन हम में से एक दिव्यपुरुष पथभ्रष्ट हो गया। उसने काली शक्तिओ से हाथ मिला लिया नाम था असीमनाथ। उसने कालीशक्तिओ के निर्मित पापी पुरुषों से हाथ मिला लिया और तुमको और मुझको छोड़कर बाकि सात दिव्य पुरुषों को कैद कर लिया। उस वक़्त मैं और तुम तीसरे परिमाण में थे इस लिए हमें कैद नहीं कर पाए। लेकिन हमारे सात भाई अभी भी कैद में है और कहा है यह भी मालूम नहीं है। कमलनाथ , कदंबनाथ , इंद्रनाथ , नरेन्द्रनाथ , भवेन्द्रनाथ , सप्तेश्वरनाथ और ढोलकनाथ वो सब कैद में है। हम सब हजारो सालो से जी रहे है , अपनी उम्र २०००० साल है और तीसरे परिमाणों के बहुत से युद्धों के साक्षी है। हमसे पहले भी दिव्यपुरुष थे जिनका समय पूरा हुआ और उनकी मौत हो गयी हमारी भी होगी लेकिन अभी हमारे पास ७०००० या ८०००० साल बाकि है हमें अभी काफी जिम्मेदारियां पूरी करनी है।
पल्लव ने कहा मै तो आम आदमी हु और ओझा परिवार में जन्मा हूँ मेरे पिताजी का नाम सुंदरलाल और माता का नाम निर्मला है फिर मै दिव्यपुरुष कैसे ?
आगे जो बताऊंगा उसमे इस बात का खुलासा भी हो जायेगा।
पल्लव ने आगे कहा माफ़ करियेगा एक प्रश्न और मनमे उठा है की जब काली शक्तिओं का निर्माण दिव्यशक्ति ने किया है तो उनका नाश क्यों नहीं कर देती ? फिर पूरी दुनिया में शांति हो जाएगी।
भभूतनाथ धीरे से मुस्कुराए और बोले जब तुम्हारा स्वकाया में प्रवेश हो जायेगा तब ये साधारण प्रश्न मनमे नहीं उठेंगे फिर भी तुम्हारी शांति के लिए बताता हु। काली शक्ति का निर्माण दिव्यशक्ति ने अपने स्वार्थ के लिए किया है अगर दुनिया में सिर्फ पुण्य ही होगा और शांति ही होगी इस दुनिया में रहनेवाला हर जिव उन्नत हो जायेगा और वो तीसरे परिमाण से आगे बढ़कर चौथे, पाचवें, छठें और एक दिन दिव्य शक्ति के समकक्ष हो जायेगा इसलिए काली शक्तिओ का निर्माण किया की यहाँ पर बसने वाला जीव पाप और पुण्य के बीच में फंसा रहेगा और महाशक्तिओं का और दिव्यशक्तिओं का स्थान सलामत रहेगा।