minni mishra

Children Stories Inspirational

3.1  

minni mishra

Children Stories Inspirational

तू प्यार का सागर है

तू प्यार का सागर है

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विद्यालय में लंच होने से पहले सुनिता मैम की ड्राइंग क्लास में बच्चे अक्सर शोर मचाने लगते, ताकि समय से पहले ही मैम बच्चों को लंच के लिए छुट्टी दे दें ,और यही होता । इसलिए बच्चों को सुनिता मैम की कक्षा का बेसब्री से इंतजार रहता। 


पर, आज कुछ अलग हुआ।कक्षा में घुसते ही सुनिता मैम ने कहा, "बच्चों आज मैं अपने विषय से हटकर तुमलोगों को 'प्यार की परिभाषा' बताऊँगी, ध्यान से सुनना।"


 सभी बच्चे सशंकित दृष्टि से मैम को देखने लगे, जैसे उन्होंने कुछ अटपटा बक दिया हो । 


 मैम ने समझाना प्रारंभ किया,

" सुनो बच्चों, तुम लोग सातवीं कक्षा के छात्र हो, इसलिए किशोरवय में प्रवेश कर गये हो। प्यार किसे कहते हैं, शायद अब तक जानते होगे? है न? "


"अरे, देखो, मैम को आज क्या हो गया है! चित्रकला छोड़कर हमें प्यार की परिभाषा सीखाने लगीं !" कुछ शरारती बच्चे आपस में खी खी करके बुदबुदाने लगे।


लेकिन मैम अपनी रौ में आगे कहती रहीं, " हमलोग अपने माता-पिता, सगे संबंधियों, पेड़- पौधे, पशु -पक्षियों और मित्रों से प्यार करते हैं।

बच्चों, प्यार चाहे हम किसी से भी करें, सबसे पहले उसके प्रति समर्पण और विश्वास होना जरूरी होता है। समर्पण और विश्वास ही सच्चे और टिकाऊ प्यार की नींव होती है। 


धोखाधड़ी, छल प्रपंच से हम कभी उस प्यार को नहीं पा सकते हैं, जिस प्यार को पाने के लिए शिद्दत से लालसा लगी रहती है। 

आजकल घर -घर में हिंसा हो रही है! क्योंकि किसी में त्याग की भावना नहीं होती !एक दूसरे के प्रति समर्पण नहीं दिखता, धैर्य का नामोनिशान नहीं होता, आपसी विश्वास भी नहीं होता ! 


कुछ अपवाद को छोड़कर,अधिकांश लोग आज प्यार पाना नहीं, हथियाना जानते हैं। इसी हथियाने के चक्कर में हिंसा बढ़ रही है। 


जब तक हम एक दूसरे की भावनाओं का आदर करना नहीं समझेंगे, उसके साथ कभी सामंजस्य नहीं बैठा सकते।

तुम लोग भी अब बड़े हो रहे हो। कल तुम्हारे ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आयेगी, तुम्हें भी पति -पत्नी , बेटा-बेटी वा भाई -बहन के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करना पड़ेगा। 


सच्चा प्यार हमारे नैराश्य जीवन में बसंत लाता है। जरुरत है अपने विचारों को उदार बना कर रखने की।इसी प्यार के बदौलत हम चाहे तो दुनिया को अपना बना सकते हैं। 


इसके लिए सबसे पहले अपने अंदर अहम् भाव को तिरोहित करना पड़ेगा, तभी जाकर हम सबके चहेते बन पायेंगे।‌जो कहने मात्र से संभव नहीं है, निरंतर अभ्यास और मनन से ही हो सकता है।


बच्चों, प्यार एक जलते दीपक के समान ऊर्जावान होता है ,जो हमारे मन‌ -मंदिर को रोशन करता है एवं ऊर्जा से भर देता है।


भले दीपक के ताप से हमारे हाथों में  छाले ही क्यों न पड़ जाएं, फिर भी दीपक को दोनों हाथों से ढक कर रखना चाहिए । ताकि मन -मंदिर में प्यार का चिराग़ जलता रहे। रोशनी है तो जीवन में बहार है। बच्चों, अब बताओ, तुम लोग समझे कि नहीं?"


सभी बच्चों ने एक स्वर से हाँ कहते हुए, मैम के निकट पहुँच कर उन्हें घेर लिया और अपने लंच बॉक्स से खाद्य सामग्री निकालकर बारी- बारी से उन्हें देने लगा।


 मैम, बच्चों के दिये खाने का आस्वादन करने लगीं । "वाह! अलभ्य! जीवन में आज पहली बार इतने सारे खाद्य पदार्थ को चखने का मुझे अवसर मिला! बच्चों, अब तुमलोग भी लंच करो।"


इतना कहते हुए मैम कक्षा से बाहर निकलने के लिए आगे कदम बढ़ाई ही थी, कि बच्चों ने उन्हें रोक कर कहा, "मैम आपने जो कुछ अभी बताया , वो न सिर्फ आज के लिए है, बल्कि हमारे जीवन का असली पाठ है। हमें जानकर बहुत अच्छा लगा।"  


सुनिता मैम भावविभोर होकर बच्चों को अपलक देखती रहीं। इन बच्चों की आँखों में आज उन्हें प्यार का लहराता सागर दिखाई दे रहा था। 



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