sunanda aswal

Fantasy

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टाइम ट्रेवल इन २०८०,, 2080 का भविष्य

टाइम ट्रेवल इन २०८०,, 2080 का भविष्य

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मैं आज समय से आगे जाने के लिए इच्छुक प्रतिभागियों में भाग्यशाली थी जिसे यह मौका मिलने वाला था ...! समय की यात्रा से आगे भविष्य की ओर ...सब कुछ पीछे छूटने वाला था ... मेरे लिए रोमांचक एहसास ..! 

फिर यों हुआ मुझे डॉ . सू ली ने अपने लैब में बुलाया व मुझसे कहा ," -क्या तुम जाने को तैयार हो , खुशी होगी अगर तुमने हां कर दी .. सदस्यों में तुम बहुत फुर्तिली व जोशिली हो ..!"

मैंने हांमी भर दी ...!

सारे हेल्थ चेकअप कराए गए व मुझे ट्राइम ट्रेवल की एक सदस्य के रुप में टीम में शामिल किया । मेरी खुशी का ठिकाना ना था ..!

मैं चल पड़ी अपनी मंजिल डेस्टिनी की ओर .. जहां बड़ा मज़ा आने वाला था ..!

फिर क्या था मुझे उस मशीन में अन्य सदस्यों के साथ बिठाया गया ....

और मैं ...

मोस्को (रूस) में मैं भारत से बुलट ट्रेन से सफर में पलक झपकते ही पहुंच गई ..! सफर थकाने वाला नहीं था बिल्कुल भी....!

आसमां की ओर से जो हाई वे जाता है...वो भारत के शहर दिल्ली तक जाता है...!

मुझे खाने में वही दाल चावल ही भाता है...कुछ विशेष रेस्तरां हैं जैसे "हकाई" इंडियन फूडी, थाई फूड,इंडियन दाल चाल चावल और बहुत से क्लासिक फूड जो एशिया और उसके आस पास के हैं..!

ये दिसंबर माह है..अगले हफ्ते क्रिसमस है..और इस बार रॉबर्ट बनेंगे "सेंटा" नाम होगा "सेंटा विद 2080" कुछ अलग मजा आने वाला है ..!

"सदियां बीती बताते हैं बहुत 2019 के अंत में और 2020 के शुरुआत में किसी शक्तिशाली देश ने बॉयलॉजिकल वैपन द्वारा दुनियां को समाप्त करने की साजिश रची थी,सारी दुनियां सामान्य होते होते तीन साल लगे थे...!"ऐसा दादाजी बताते थे..!

आज मुझे सेंट पिटस बर्ग जाना है..वहाँ पार्क उनके खास दोस्त आने वाले थे..उन सबका अपना अपना हैलिकॉपटर है,वहीं लैंड होगा...!

सभी दोस्त हैलिकॉप्टर से उतरी ।..और अपना हैलिकॉप्टर कोने में पैक करके रख दिया..! टंकी में विशेष ईंधन ऑनली कार्बन ...सॉलिड ,पदार्थ है..!जब टंकी में जाता है लिक्विड हो जाता है..जब बाहर निकाला जाता है तो सॉलिड में बदल जाता था..!

उन दोस्तों के वस्त्र हर रंग के हो जाते थे...! एक विशेष बटन लगा था और उसके द्वारा बदल जाता वस्त्र का रंग ..! जिस भी रंग का पसंद होता...! सर्दियों में भी वस्त्र बदल जाते हैं ऊनी कपड़ों ..जैसा मौसम वैसे कपड़े...!गर्मियों में कॉटन सज जाते...!

और स्पेशल सूट ...मां बताती थी पहले बहुत सा लगैज ले जाना पड़ता था ..अब झंझट नहीं है..बटन दबाओ वस्त्र तैयार ..!

कितनी आराम की दुनियां हो गई ...रिमोट से हर चीज खुलती है..!घर में कीचन ,बेडरूम,बराम्दा ,लॉन सभी कुछ तो है...छत में सब्जियां, फल बॉन्साय वाले क्योंकि खाली जगह ना बची आबादी की वजह से इमारत ,मकान बड़े बड़े मॉल और ऑफिसों में तब्दील हो गए..!

आज २५/१२/८० है...! क्रिसमस की तैयारी जोरों पर है...!

मेरे दरवाजे की घंटी बजी खास सहेली सेंगी आई थी..! उसने बड़े बड़े काले रंग केे लेदर के जूते पहने थे...! लाल वस्त्र पहने थे...!

खिड़की से झांककर देखा..कोहरा चढ़ा था मौसम मैं. ..! और जलवायु बहुत ठंडी ..ऊपर से सड़को पर बर्फ के ढेर , एक उपकरण(मेल्टिंग टेम्प) ऐसा बनी थी कि ,चाहो तो मौसम बदल दे...तभी वह मशीन आ गई और पल में बर्फ भी हट गई और तापमान सामान्य हो गया..!

उसने मुझे बताया कि "उसकी बहन की शादी तय हो गई है और लड़का भारतीय है.. बरात में उसके पिता से २०० सिलिंडर ऑक्सीजन के डिमांड है...!

इतना सिलिंडर मैनेज करना मुश्किल है...क्योंकि भ्रष्टाचार खत्म हो चुका है..और सिलिंडर ब्लैक में नहीं मिलता है।नहीं मिलेंगें तो शादी टूट सकती है...!"

मैंने कहा ," ओह ..ऐसा ..अब मैं भी तैयारी करती हूं..जल्दी ही..!"कहते हुए मैंने डॉली रोबट को चाय नाश्ता लाने को कहा...।डॉली नाश्ता ले आई पहले उसने सैंगी की चाय के लिए पूछा," मैम..टी/कॉफी/एनी ड्रिंक्स...?  '

...यस कॉफी..!"-/हॉट/कॉल्ड?--वन हॉट..!"

"जब से डॉली आइ सब कुछ सही हो रहा है..सुबह न्यूज पेपर से लेकर बेड टी ,ब्रेक फास्ट, डिनर सभी सफाईयां...!मम्मी जी की याद करवा देती है जो हिंदुस्तान में हैं..!"ये तो है ..."

"मुझे भी अपडेट करना था अपनी सिम्मी को," सैंगी बोली अभी केवल वो सफाई और खाना बना पाती है बात नहीं करती..लॉजिकली..!"

मैं खुश हो गई अपनी डॉली की तारीफ सुनकर..।आखिर जानी मानी कंपनी से जो ली थी...!

मैं तैयार होकर क्रिसमस ईव के लिए निकल पड़ी...डॉली ने ही मुझे ट्रेडीशन वियर विंटर आउटफिट में तैयार किया ..मेकअप में बिल्कुल रशियन गर्ल ..!

डॉली को धन्यवाद दिया और अपनी सहेली सैंगी के साथ निकल पड़ी सेंट- पिटर्सबर्ग की अंदरूनी सुरंग से जश्न मनाने विशेष सैंटा को देखने जो बर्फ के बने घर में थे और सबको पानी के पॉच बांट रहे थे,हम भी लाइन में थे..उनसे पानी का पॉच लेने क्योंकि एक पॉच की कीमत थी चार सौ डॉलर और सारी इक्नॉमी जल पर टिकी थी पानी एक चुनौती बन गया था.. .! जबकि सम्पूर्ण विश्व विकसित हो चुका था ...!

मैं बोली क्या यही है..सन् २०८० ...

सैंटा बोला... '"जिंगल बेल जिंगल बेल..हवा नहीं है कहां जमीं पर है जल..?जिंगल बेल ..जिंगल बेल..!!"

वह जगमाती शाम क्रिसमस इव के नाम ।



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