Archana kochar Sugandha

Action

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Archana kochar Sugandha

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तस्वीरों वाले चेहरे

तस्वीरों वाले चेहरे

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हँसती-मुस्कुराती सुनहरे फ्रेम से सजी चमचमाती तस्वीरें हर दफ्तर में आकर्षण का केंद्र थी। हाथ जोड़े हुए - पोस्टरों तथा बैनरों में हर चौक-चौराहे तथा गली में मिल जाती थी । उनकी सुंदरता और भव्यता मन- मस्तिष्क पर एक गहन छाप छोड़ जाती थी । फिर अचानक चौक- चौराहें, गलियाँ तथा दफ्तर तो वहीं-के-वहीं थे, लेकिन चमचमाते फ्रेम वाले तस्वीरों के चेहरे बदल चुके थे।

बेलगाम मन और ताँक-झाँक करने की आदत में शुमार यह आँखें नियंत्रण में रही और मन के बेलगाम घोड़े दौड़ाने लगे अपनी वक्र दृष्टि - आजकल वह तस्वीरों वाले चेहरे ज्यादातर कचहरी और जेल के इर्द-गिर्द मँडराते नजर आते हैं और उनकी जगह टंगे नई तस्वीरों वाले चेहरे बड़ी कुटिलता से उन पर मुस्कुराते हैं। 


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