Dr. A. Zahera

Others

4.8  

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तस्वीर एक पहेली!!

तस्वीर एक पहेली!!

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ये जो वक्त होता है इसमे बड़ी ताकत होती है।तभी तो खुदा की बनाई सबसे अज़ीम मखलूक यानी इंसान भी इसके आगे बेबस सा महसूस करता है। न तो वक्त से पहले कुछ होता है न वक्त गुजरने के बाद कुछ हो सकता है। इसी पहले और बाद के बीच आज होता है जो गुजरे वक्त से कुछ सीख कर आनेवाले वक्त को संवारने की कोशिश करता है। यही चलता चला आ रहा है। लेकिन रोशन के साथ कुछ उल्टा हुआ मालूम पड़ता है। उसके साथ वक्त ने आंख मिचौली खेली और नतीजा बहोत चौंकानेवाला सामने पेश आया।


एक रोज़ वो अपने रिसर्च लैब में कुछ डाटा दर्ज कर रहा था कि तभी प्रोफेसर श्रीधरन ने आके उसे कॉन्फ्रेंस में जाने वाले लोगों की लिस्ट थमाई और कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ उसे देकर चले गए। रोशन ने लिस्ट ध्यान से देखा तो उसमे उसके नाम के साथ उसके दो और कलीग्स मोनिका और रिचर्ड के भी नाम थे। बदलते मौसम और केमिकल फैक्ट्रीज से होने वाली तब्दीलियों और खतरनाक असरात पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस थी जो दो दिन बाद दिल्ली में होने वाली थीl लिस्ट और जरूरी कागज़ात लेके वो मोनिका और रिचर्ड के पास गया ताकि उनको भी कॉन्फ्रेंस की जानकारी दे दे। वो जैसे ही अपने लैब से बाहर आया उसे मुरली ने एक बड़ा सा लिफाफा थमाया जो कुछ ही देर पहले कोई दे गया था। वो बहोत ज्यादा असमंजस में पड़ गया क्योंकि उसपर भेजनेवाले का नाम पता कुछ नहीं था, पूछने पर पता चला की कोई अनजाना शक्स थोड़ी देर पहले दे गया था। बहरहाल जब उसने लिफाफा खोला तो उसके माथे पे पसीना आ गया आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा और वो बेहोश होते होते रह गया। उसकी ये हालत देख के मोनिका और रिचर्ड भी उसके पास भागे हुए आए और वजह पूछने पर रोशन ने लिफाफा उन्हे थमा दिया। जब मोनिका ने लिफाफा खोल के देखा तो उसमे दो तस्वीरें थीं जिसमे रोशन और उसके साथी मोनिक और रिचर्ड एक कार हादसे में मुर्दा पड़े थे ।

ये तस्वीर देख कर लैब में सब लोग सकपका गए क्योंकि ऐसा कोई हादसा उनके साथ कभी गुज़रा ही नहीं था की ये मान लिया जाए की ये पुरानी तस्वीर होगी और किसी ने मज़ाक किया होगा। और अगर ये तस्वीर सच्ची है तो फिर वो तीनो तो उसमे मरे पड़े हैं तो अब जिंदा कैसे हैं? बहोत सारे सवाल सब के ज़ेहन में करवटें ले रहे थे। देर तक लैब में खामोशी फैली हुई थी। तभी यकायक मुरली की नज़र उस तस्वीर पे दुबारा पड़ी, और वो चौंक पड़ा ,उसपे दो दिन आगे की तारीख़ थी । ये देख के सब लोग और परेशान हो गए। किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था। रोशन ने दो दिन आगे की तारीख के बारे में सुना तो चौंक पड़ा। जो हादसा होनेवाला है उसकी तस्वीर पहले कैसे? उसने परेशान होते हुए मोनिका और रिचर्ड को याद दिलाते हुए कहा "फ्रेंड्स इसी दिन तो हमारी कॉन्फ्रेंस है लेकिन हमलोग तो फ्लाइट से जानेवाले हैं और यही तो मैं तुम दोनों को बताने आ रहा था। ये देखो हमारी टिकट्स भी आ गईं हैं। मुझे तो लगता है की किसी ने हमारे साथ भद्दा मज़ाक किया है।" खुद को और सबको तसल्ली देता हुआ तस्वीरों वाला लिफाफा साथ लिए रोशन अपनी लैब में वापस चला गया। तस्वीर को बहोत ध्यान से परखने लगा। उस तस्वीर में कार के मॉडल उसका नंबर और रंग सब को ध्यान से देख के याद करने की कोशिश करने लगा की आखिर ये कार किसकी है और जगह कहां की है? कार और जगह उसे कुछ जानी पेहचानी सी लगी लेकिन कुछ याद नहीं आया। इसी कशमकश में शाम हो गई और लैब बंद होने का वक्त हो चला था।

शाम को जब रोशन घर पहुंचा तो उसकी बीवी सोनिया उसे कुछ परेशान सी लगी। पूछने पर पता चला की उसकी कंपनी एक टेक्सटाइल फैक्ट्री सेट करने वाली है बिल्कुल आबादी और शहर से दो सौ किलोमीटर दूर और इस नए प्रोजेक्ट की ज़िम्मेदारी उसी को सौंपी गई है, वहां उसे टीम के साथ फैक्ट्री सेट होने तक रहना पड़ेगा इसलिए वो बहोत परेशान थी। ये सुन कर रोशन सोनिया को समझाता है और अपने कॉन्फ्रेंस के बारे में बताता है लेकिन तस्वीर वाली बात उससे छुपा जाता है।

रात में उसे नींद नहीं आई वो करवटें बदलता रहा । परेशान होकर वो अपने स्टडी में गया और उन तस्वीरों को गौर से देखने लगा। तभी उस तस्वीर में उसे एक धुंधला सा साइन बोर्ड दिखा जहां हादसा हुआ था। कुछ ठीक ठीक नजर नहीं आ रहा था लेकिन ऐसा लगा जैसे लाल रंग का कोई निशान बना हुआ है। रोशन को फिर ऐसा लगने लगा जैसे वो जगह देखी हुई है। बहरहाल उसने अपने मैग्नीफाइंग ग्लास से दूसरी तस्वीर को और बारीकी से देखने और समझने की कोशिश की और उसकी नज़र एक जगह आकर रुक गई। उस तस्वीर में एक औरत किसी शक्स के पीछे भागती हुई नजर आ रही थी जो हादसे से दूर धुंधली दिखाई पड़ रही थी। रोशन और ज्यादा परेशान हो गया। उसे ये तस्वीर एक उलझी हुई पहेली की तरह लग रही थी। दो दिन बाद अपनी और अपने साथियों की मौत को तस्वीर में देख दिल दहला जा रहा था उसका। लेकिन उसने अपने डर को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया और सोचने लगा की आखिर ये किसने और क्यों भेजी होगी? जिस भी शक्स ने उसे ये भेजा है वो ज़रूर कुछ बताना चाहता है। वो सोचने लगा लेकिन उसकी परेशानी कम नहीं हुई। कार का रंग, उसका नंबर प्लेट, साइन बोर्ड, वो जंगल के बीच गुजरता रास्ता, वो भागती हुई औरत सब कुछ उसके दिमाग में दर्ज हो गया। वो पूरी रात नहीं सो सका और न जाने कब सुबह ने रात के अंधेरे को अपने अंदर समा लिया। बाहर उजाला हो चुका था। सुबह के पांच बज चुके थे, सोनिया की नींद खुली तो उसने रोशन को परेशान हाल स्टडी में बैठा पाया।


उसने उसकी परेशानी का सबब जानना चाहा तो रोशन टाल गया और अपने कॉन्फ्रेंस की तैयारी को बहाना बना कर फ्रेश होने चला गया। जब फ्रेश होकर वो चाय पीने बरामदे में कुर्सी पर बैठा तो उसकी निगाह अचानक एक ब्रोशर पर पड़ी जो सोनिया के कंपनी का था। उस पर उसने लाल रंग का निशान देखा जो हू बा हू उस तस्वीर में पड़े साइन बोर्ड पर था। इस से पहले की वो कुछ समझ पाता उसके मोबाइल की घंटी बजी। प्रोफेसर श्रीधरन का कॉल था। फोन पर उन्होंने उसे इमरजेंसी में लैब बुलवाया।

पता नही क्या बात है? सर बहोत परेशान लग रहे थे, इधर ये तस्वीर वाला मुअम्मा! कुछ समझ नहीं आ रहा है।चल के देखूं क्या बात है?" मन में सोचता हुआ जल्दी जल्दी चाय खत्म करके लैब जाने के लिए तैयार होने लगा। इधर सोनिया भी अपने ऑफिस के लिए तैयार होने चली गई।


दोनो एक ही गाड़ी में एक साथ निकले । रास्ते में सोनिया ने उसे बताया की उसे आज फैक्ट्री की साइट देखने जाना है इसलिए वो अगले दिन ही लौटेगी।रोशन सोनिया को उसके ऑफिस छोड़ते हुए लैब की तरफ बढ़ गया। प्रोफेसर के चैंबर में जैसे ही उसने कदम रखा देखा की वो बहुत परेशान से इधर उधर कुछ ढूंढ रहे हैं। " क्या हुआ सर? आपने इतनी इमरजेंसी में मुझे क्यों बुलाया है? कोई परेशानी?" रोशन ने प्रोफेसर से पूछा। तो उन्होंने बताया की कॉन्फ्रेंस में जो रिपोर्ट पढ़ी जानी थी उसमे कुछ कांफिडेंशियल दस्तावेज़ भी थे जो फाइल से गायब हैं।उन्होंने उसे अपने चैंबर में संभाल के रखा था जो अब वहां नहीं थे। रोशन ने कन्फर्म करते हुए कहा "सर ये वही पेपर्स थे न जिसमे उन कंपनियों के बारे में डिटेल रिपोर्ट थी जिनकी वजह से हमारे इलाके में इतना ज्यादा क्लाइमेटिक चेंज हुआ है पिछले कुछ वक्त से?" "इस कॉन्फ्रेंस के बाद उन कंपनियों के मालिकों को नोटिस जाने के साथ साथ और फैक्ट्रियां लगाने पे पाबंदी लग जाती जो हमारे इलाके के अलावा दूसरे इलाको को भी सेफ रखने में एक एहम कदम होगा"। प्रोफेसर ने रोशन को खुलासा किया। "उसमे सबसे बड़ी कंपनी "रेड कोट" का भी नाम है। सुना है नई टेक्सटाइल फैक्ट्री लगा रही है शहर के आउटर में। उसे पहले रोकना है। हमारे रिसर्च में भी तो यही बात निकल कर आई है। इनसे निकलने वाले केमिकल,डाई और जहरीले पदार्थ सब नदियों, जंगलों को बर्बाद कर रहे हैं और पॉल्यूशन कर रहे हैं। हमारे रिपोर्ट के आधार पर ही तो एक्शन होगा। वही रिपोर्ट और दस्तावेज़ गायब है। " "सर आप घबराइए नहीं। कॉन्फ्रेंस में ले जाने वाले सारे दस्तावेज और रिपोर्ट की एक कॉपी मैं हमेशा अपने कंप्यूटर में सेव कर के रख लेता हूं। मैं अभी ओपन करके देखता हूं।"

रोशन जैसे ही उस फाइल को खोल कर देखता है वैसे ही उसका दिमाग और तेज काम करने लगता है। ये तो सोनिया की कंपनी का ब्रोशर लग रहा है ये ब्रोशर तो वही है जो आज उसने अपने घर पे देखा था। लेकिन सोनिया की कंपनी का नाम तो "रेड बीड्स" है, सोचते हुए रोशन उठता है और प्रोफेसर को सारे दस्तावेज प्रिंट करके फाइल बना के दे देता है। तभी वहां मुरली चाय लेके आता है और एक दिन की छुट्टी मांगता है, उसे अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाना था इसलिए वो जल्दी चला जाता है।

तभी प्रोफेसर को कॉन्फ्रेंस के आयोजकों का मेल आता है की उनका शेड्यूल एक दिन आगे कर दिया गया है। दूसरे दिन रोशन मोनिका और रिचर्ड को साथ लेकर सोनिया के फैक्ट्री की साइट की तरफ रवाना होता है ताकि और बातों की जानकारी ले सके। रास्ते में वो मोनिका और रिचर्ड को तस्वीर की बारीकियों के बारे में बताता है जिसे सुन के वो दोनो भी परेशान हो जाते हैं। जैसे ही वो साइट के नजदीक पहुंचते हैं रोशन को सब देखा हुआ सा लगने लगता है। तभी अचानक रोशन को वहां वही साइन बोर्ड नजर आता है जिसपे लाल निशान बना हुआ था अब ये निशान साफ नजर आ रहा था जिसपे "रेड कोट" का आर सी बड़े स्टाइल से बना हुआ था। तभी पीछे से एक गाड़ी बहोत तेज़ रफ्तार से आती हुई दिखती है। रोशन का दिमाग यकायक काम करता है और वो फौरन अपनी गाड़ी को जंगल की तरफ एक पगडंडी पर मोड लेता है।

तेज़ रफ्तार गाड़ी अपना काबू खो देती है और सामने पेड़ से टकरा कर बुरी तरह पलट जाती है। उसमे तीन लोग होते हैं जो बुरी तरह घायल हो जाते हैं और चौथा शक्स जो बच जाता है वो भागने लगता है। रोशन मोनिका और रिचर्ड गाड़ी से घबरा कर देखते हैं तो तस्वीर वाला नजारा सामने देख कर चौंक पड़ते हैं। वही कार, वही रंग ,वही नंबर प्लेट, वही मॉडल, लेकिन उसमे खुद को न देख के दूसरे को देख और ज्यादा अचंभे में पड़ जाते हैं।

तभी सामने एक औरत एक शाक्स के पीछे भागती हुई दिखती है। तीनो उसके पीछे दौड़ते हैं और ये क्या ये तो सोनिया थी और भागनेवाला इंसान और कोइ नही मुरली था।

रोशन और उसके दोस्तों को ये माजरा समझ नहीं आया। तब सोनिया ने सारा सच सामने रखा। उसने बताना शुरू किया। "आज से एक महीना पहले मैं और मिस्टर रायचंद जो रेड बीड्स के मालिक हैं यहां फैक्ट्री की साइट देखने आए थे। तभी उन्होंने ये बताया की उनकी कंपनी दूसरे नाम से फैक्ट्री खोलेगी जो की रेड कोट के नाम से होगी क्योंकि शायद उन्हें इजाजत न मिले फैक्ट्री लगाने की क्योंकि

आप लोगों की रिसर्च और रिपोर्ट के बारे में उन्हे पता चल गया था। और ये खबर आपके लैब का बंदा मुरली ही उन्हें देता था क्योंकि मुरली रायचंद का आदमी था। एक दिन मैंने उन्हे ऐसा करने से रोकने की कोशिश की तो वो मुझे समझाने लगे की फैक्ट्री नियम कानून के दायरे में ही रह कर खोली जाएगी और मुझे साईट दिखाने ले आए। लेकिन मेरा दिल गवाही नहीं दे रहा था की तभी वहां धुआं सा छाने लगा। और जब धुआं छटा तो मुझे सामने से आती हुई रायचंद की कार दिखी और हादसे का शिकार हो गई। मेरे हाथ में मोबाइल था मैने फौरन फोटो क्लिक करके वॉट्सएप करने की कोशिश की लेकिन जब फोटो को देखा तो उसमे आप लोग को देखा। फिर सामने देखा तो वहां एक आदमी भागता हुआ दिखाई दिया जिसके पीछे मै भागी, परेशानी में वहां खड़े एक आदमी को अपना मोबाइल देके मैं उस आदमी के पीछे दौड़ी। लेकिन धुआं छंट गया और सामने ऐसा कुछ भी नहीं था। मुझे लगा कि मेरा वहम है। घर वापस आकर वो फोटो मैने ही डेवलप करवाई थी और आप तक भिजवाया था ताकि आप लोग अलर्ट हो जाएं और इसकी तह तक पहुंचें।मैं अगर किसी को इसके बारे में बताती तो खुद हंसी का पात्र बन जाती। मुझपर कोई यकीन ही नहीं करता। इस तस्वीर की खबर रायचंद को मुरली ने ही पहुंचाई थी साथ में रिपोर्ट भी।उनकी बातें मैंने सुन ली थी वो आप लोगों को मारने का मंसूबा बना रहे थे ताकि रिपोर्ट की सच्चाई दब जाए और इनपर कोई कार्यवाही न हो सके।" कह कर सोनिया रोशन के पास आ खड़ी होती है।


"सोनिया वो तुम्हारा वहम नहीं था बल्कि कुछ वक्त के लिए तुमने आगे के वक्त को देखा। उस वक्त में शायद हमारे साथ साथ एक इंसान और भी था जिसे तुम अपना मोबाइल दे कर मुरली के पीछे भागी थी। वो थे प्रोफेसर श्रीधरन। देखो सर यहां हैं और उनके हाथ में तुमने मोबाइल दिया था जिन्होंने फोटो क्लिक की।देखो तुम्हारी भागती हुई तस्वीर उन्होंने ही खींची है।और ये सब जो आज हुआ है तुमने कुछ दिन पहले ही देख लिया था।"सोनिया को समझाते हुए रोशन ने कहा।


मोनिका ने रोशन से पूछा "तुम जरूर कुछ जानते थे तभी तुम भागते हुए हमको साथ ले कर यहां आए।" रोशन ने कहा " शक तो मुझे उसी दिन हो गया था जब तस्वीर में मैने भागते हुए आदमी को ध्यान से देखा था। उसके हाथ की घड़ी में तीन रंग के चमकीले स्टोन्स लगे हैं जब आज मुरली, सर के चैंबर में चाय देने आया तब उसकी घड़ी पर मेरी नजर पड़ी और मुझे उसपर शक हो गया। दूसरा शक रायचंद पे हुआ जब मैं सोनिया को उसके ऑफिस पहुंचाने गया तब उसी रंग की कार मुझे वहां दिखी जो तस्वीर में थी। मैंने फौरन तस्वीर वाली गाड़ी का मॉडल और नंबर चेक करवाया तो पता चला ये रायचंद के नाम पर है।

मुझे अचानक याद आया कि एक रोज़ सोनिया को घर छोड़ने इसी रंग की कार आई थी, दूर पे होने की वजह से नंबर पर ध्यान नहीं गया था मेरा, फिर एक दिन सोनिया ने मुझे एक तस्वीर दिखाई थी जब रायचंद की फैक्ट्री की साइट विजिट थी, वो यही जगह थी जहां ये हादसा हुआ, तभी मुझे ये जगह देखी देखी सी लगी।" "और सबसे अहम बात ये है की शहर के बाहर फैक्ट्री लगाने की एक वजह और भी है वो ये कि रायचंद यहां इंसानी जिस्मों की तस्करी भी करने वाला था। मैंने जब इसकी बाकी टैक्टाइल फैक्ट्रीज के वेस्ट को लैब में चेक किया तो रंगों के पिगमेंट के साथ मुझे खून के होने का भी सुबूत मिला। डाई के रंगों की आड़ में ये इंसानी अंगों की तस्करी भी करता है। इसी का खुलासा करने के लिए शायद कुदरत ने ऐसा सब हम सबको दिखाया है। मैंने सिर को निकलने से पहले सब कुछ बता दिया था इसलिए सर भी हम लोग के साथ साथ ही यहां के लिए निकले लेकिन दूसरे रास्ते से।"


रोशन ने फौरन पुलिस को फोन किया और हादसे की जानकारी दी। ऊपरवाले का शुक्रिया अदा किया औरअफसोस ज़ाहिर किया की इंसान अपनी जिद और आराम पाने के चक्कर में कुदरत के साथ कैसा खिलवाड़ करता है। लेकिन कुदरत अपने तरीके से सबसे निपटती है। 


दोस्तों ये कहानी केवल काल्पनिक है लेकिन इंसान कुदरत का इतना कहर देखने के बाद भी नहीं सुधर रहा है। कई तरह के जहरीले केमिकल्स, ग्रीन हाउस गेसेस पूरे मुआश्रे में फैल रहे हैं। जिसका असर ग्लोबल वार्मिंग जिससे ग्लेशियर्स का पिघलना तै है।कितनी जानवरों और पौधों की प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं लेकिन इंसान को अपने आगे कुछ नजर नहीं आता । जगह जगह सड़क , मॉल बनने के नाम पर खुदा हुआ है। टनों लोहा जमीन की छाती में गाड़ा जा रहा है। कितनी तकलीफ सहती है ये ज़मीन हमारी धरती।शायद इसी लिए ये आंधियां ये साइक्लोन ये सुनामी और ये बीमारियां हम इंसानों के हिस्से आ रही हैं। आधुनिकता और प्रगति की राह पर चलते चलते कहीं हम अपने आप को खत्म करते चले जा रहे हैं इंसानियत खोते जा रहे हैं। और तब वक्त अपने तरीके से इंसान को आगाह करता है।


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