SHREYA BADGE

Romance Inspirational Thriller

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SHREYA BADGE

Romance Inspirational Thriller

तलाश

तलाश

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ख़ुद के तलाश में ख़ुद को तलाश रहा हूं

कोशिश है मन की उद्विग्नता को समेटूं

भागते शहर में अपना सुंकू तलाशूं

ढूंढ लाऊं मैं वो खुशियां

जिसकी आगोश में मैं पूरा समा जाऊं।

 

मैं इक ज़िंदगी ढूंढ रहा हूं

थोड़ी खुशियां सहेजने के लिए,

ताउम्र भटकता रहा हूं

वो मेरे अंदर एकदम से घुटता रहा है

मैं निकलना चाहता हूं बाहर

हकीकत की जमीं पे बैठ

उस स्वप्निल चांद को निहारना चाहता हूं।


कुछ भी लिखूं आजकल

नाम मेरे महबूब का आ जाता है

नींद तो मेरी आंखों की है

ख़्वाबों को उनकी तलब हो जाती है

नाम अपना भी लूं तो जिक्र उनका ही आ जाता है

क्या ख़ाक देखूं गैरों को

सारे ख्वाबों ख्यालों में

चेहरा उनका नज़र आता है।


यादों को सिर्फ़ देख सकते हैं

दिखा तो सकते नहीं

ये मन में खिलने वाले फूल

सभी को तो नज़र आ भी सकते नहीं

तलाश तो तेरी है

ये राहें हमसफ़र अपनी सी क्यों लगती हैं।


ख़्वाबों पे पहरे कितने है

कि इस दिल की ख़बर

इस दिल में ही सजती है

बताऊं किसे हाल - ए - दिल अपना

अब मेरी ख़बर किसी को भी नहीं रहती है

जिसके तलाश में मन भटक रहा

उसे ही अब हाल मेरा 

समझ नहीं आता ।


बताऊंगा सब अपनी ख़बर

कैसे इस दिल की तलाश

अब नहीं रुकती

कैसे तुझे अब मेरी याद नहीं आती

कैसे तुझे अब मेरे सपने नहीं आते

कैसे तेरी तलाश में

ये मन कभी नहीं थकता

कैसे मैं कोई दरख़्त की छांव में बैठकर

आसान सी कोई दूसरी राह नहीं ढूंढता

कैसे तेरी तलाश में ये मन

इक पल भी नहीं ठहरता।।



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