" तीसरा बम "
" तीसरा बम "
बात सन 1990 के आसपास की है नई - नई शादी हुई थी मेरी अरे मैं यानी सयुंक्ता। ससुराल में कंप्यूटर का कारोबार...कंप्यूटर इस नाम से भी उस वक्त ज्यादातर लोग अनजान थे, मुझे भी ऐसो की ही पंक्ति में खड़ा कर दिया गया कंप्यूटर के पास जाते ही देवर ने चिल्ला कर कहा ' इसको मत छूईयेगा ' एक बार को उसको चिल्लाते देख लगा की बम फूटा, ये कंप्यूटर को लेकर फूटने वाला पहला बम था।
उन दिनों मेरी सहेली कंप्यूटर कोर्स कर रही थी कभी - कभी मेरे पास आकर रूक जाती रात में वो कंप्यूटर पर काम करती मैं बगल में बैठ उसको काम करता देखती और हम दोनों गप्पे भी करते। थोड़े दिनों में मैं ' अडोब इलैस्ट्रेटर ' पर विज़िटिंग कार्ड डिजाइन करने लगी मेरा हाथ बहुत अच्छा सैट हो गया। मुझे कार्ड डिजाइन करता देख घर में दूसरा बम फूटा...अचानक से एक दिन देवर ने आकर कहा भाभी आप मुझे ' अडोब इलैस्ट्रेटर ' सीखा देंगी ये तीसरा बम फूटा था लेकिन इसकी आवाज मेरे कानों को मीठी लग रही थी।