astha singhal

Romance

4.5  

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Romance

तेरी मेरी कहानी

तेरी मेरी कहानी

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लॉकडाउन में ज़िन्दगी रुक सी गई थी। सब तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। कोई बाहर नहीं निकलता था। बुज़ुर्ग दाम्पत्य जो अकेले रहते थे उनकी हालत बहुत ज़्यादा दयनीय थी। घर की चारदीवारी में कैद वो किसी से बात भी नहीं कर पाते थे। पर एक घर था जहां रोज़ की तरह हंसी खनकती रहती थी। और ये घर था श्रीमान एवं श्रीमती सक्सेना जी का। वो दोनों बुज़ुर्ग दाम्पत्य रोज़ की तरह ही अपनी दिनचर्या आरंभ करते थे। बस सैर करने बाहर ना जाकर अपनी बालकनी में घूम लेते थे। एक दूसरे का घर कार्य में साथ निभाते लॉकडाउन के दिन काट रहे थे। 


पर एक दिन अचानक विनय सक्सेना जी की हालत गंभीर हो गई। सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी। सुलोचना जी, उनकी धर्मपत्नी ने तुरंत डॉक्टर को फोन किया और एम्बुलेंस का इंतज़ाम करवाया। उन्हें लेकर हॉस्पिटल दौड़ीं। वहां जांच हुई तो पता चला कि विनय जी कोरोना से संक्रमित हैं। सुलोचना जी घबरा गई। पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। जब विनय जी की हालत थोड़ी सुधरी तो नर्स ने सुलोचना जी को कहा,"मांजी, आप यहां कब तक बैठेंगी? आप घर जाइए। आपकी रिपोर्ट भी कल तक आ जाएगी।" 


सुलोचना जी की आंखों में आंसू थे। उन्होंने नम आंखों से नर्स को देखा और विनय जी का फोन नर्स को देते हुए बोलीं ,"जब वो ठीक हो जाएं तो मेरी विडियो कॉल पर बात करवा देना।" सुलोचना जी घर पहुंच कर विनय जी की सलामती की दुआएं मांगती रहींसुबह नर्स ने विडियो कॉल किया और विनय जी का हाल-चाल बताया। फिर उनसे सुलोचना जी की बात करवाई। 


एक-दूसरे को विडियो कॉल पर देखते ही दोनों की आंखें नम हो गईं। "सुलु, तुम ठीक हो ना?" 


सुलोचना जी की आंखों से अनवरत आंसू बहते चले गए। वो बोलीं,"हॉस्पिटल में आप हैं विनय जी, फिर भी मेरी चिंता कर रहें हैं?" 


"तुम्हारी चिंता ना करुं तो किसकी करुं?" विनय जी थोड़ा मुस्कुराते हुए बोले। फिर एकाएक उदास हो गये और बोले"मैं...वापस ना आया तो? क्या करोगी?" 


"विनय जी, अभी आपकी और मेरी कहानी पूरी कहां हुई है। आपको आना पड़ेगा। परसों मेरा जन्मदिन है। आज तक आपसे कुछ नहीं मांगा, आज मांगती हूं। आप मेरे जन्मदिन तक बिल्कुल तंदरुस्त होकर दिखाएंगे। वादा कीजिए...." सुलोचना जी ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।


विनय जी मुस्कुराते हुए बोले,"पहली बार कुछ मांगा है तुमने। कैसे इंकार कर सकता हूं। वादा रहा सुलु!" 


सुलोचना जी उनसे बात करने के बाद घंटों उनके साथ बिताए चालीस सालों के साथ को याद करती रहीं। कैसे उन दोनों ने अपने जीवन में आए सभी उतार चढ़ाव को एकसाथ पार किया। इस सफ़र में विनय जी की नौकरी छूटी, सुलोचना जी का भयंकर एक्सीडेंट हुआ, दोनों ने ताउम्र मां-बाप ना बन पाने के कारण बहुत ताने सहे। जीवन में खुशियों के पल भी आए जब उन्होंने मिलकर अपनी कमाई से अपना छोटा सा आशियाना बनाया। दोनों ने ज़िन्दगी भर एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। लॉकडाउन से पूर्व दोनों ने मिलकर गरीब बच्चों के लिए एक संस्था खोलने कि निर्णय लिया था जो अभी अधूरा था। सुलोचना जी को पूरा विश्वास था कि वो दोनों मिलकर अपने इस सपने को ज़रुर साकार करेंगे। 


सुलोचना जी के जन्मदिवस के दिन सुबह नर्स ने विडियो कॉल किया। उसकी आंखें नम थीं। उसके मुंह से बोल नहीं निकल पा रहे थे। बस वह इतना ही बोल पाई,"अंकल आपसे बात करना चाहते हैं"


जब नर्स ने कैमरा विनय जी की तरफ घुमाया तो सुलोचना जी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। दो तीन डॉक्टर उन्हें घेर के खड़े थे। उनकी सांसें उखड़ रहीं थीं। उन्हें ऑक्सीजन दिया जा रहा था। 


सुलोचना जी को देख उन्होंने नम आंखों से हाथ जोड़ते हुए कहा,"सुलु! जन्म....दिन.... मुबारक..... मैं.... मैं वादा... नहीं...निभा...पाऊं... पाऊंगा।"


सुलोचना जी किसी मूर्ति के समान जड़वत हो खड़ीं थीं। उन्हें अपनी आंखों पे विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके जीवन का एकमात्र साथी उनसे दूर जा रहा था। विनय जी की सांसें और तेज़ हो गईं। एकाएक सुलोचना जी ने गुनगुनाना शुरू कर दिया


तू धार है नदिया की 

मैं तेरा किनारा हूँ 

तू मेरा सहारा है 

मैं तेरा सहारा हूँ 

आँखों में समंदर है 

आशाओं का पानी है 

ज़िंदगी और......तभी हॉस्पिटल में सब शांत हो गया। सारी मशीनें चुप हो गईं। डॉक्टरों ने माफ़ी मांगती आंखों से सुलोचना जी की तरफ देखा। सुलोचना जी की आंखें सिर्फ विनय जी के चेहरे पर थी। वो बोलीं, "विनय....अभी कहानी खत्म नहीं हुई। आप यूं मुझे धोखा नहीं दे सकते। एक तोहफा मांगा था वो भी आपने नहीं दिया।" ये कहते ही वो रो पड़ीं। 


तभी टूटी-फूटी मद्धम आवाज़ उनके कानों में पड़ी,


"ज़िन्दगी...और...कुछ भी नहीं ....

तेरी.... मेरी कहानी... है...."


उन्होंने सिर उठाकर देखा तो विनय जी मुस्कुरा रहे थे। वह बोले,"मौत के मुंह ...से ...वापस आया... हूं, तुम्हें... तोहफा...देने। अब... गाना तो...पूरा ..कर दो।" 


सुलोचना जी ने अपने आंसू पौंछते हुए गाना शुरू किया, उनके साथ बाकी सब भी गाने लगे,


एक प्यार का नगमा है 

मौजों की रवानी है 

ज़िंदगी और कुछ भी नहीं 

तेरी मेरी कहानी है।।


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