तेरी अक्का बड़ी हो गई
तेरी अक्का बड़ी हो गई
ऋतुकला संस्कारम
*दक्षिण भारत में जब बेटियां बड़ी हो जाती है तो उसे भी एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसे ऋतुकला संस्कारों कहते हैं।*
सुबह सुबह शुभलक्ष्मी की बिस्तर पर दाग देखकर उसकी मां पार्वती ने खुशी से अपनी छोटी बेटी को आवाज़ दिया और कहा,
"चेल्ली ! (छोटी बहन ) देख,आज तेरी अक्का ( बड़ी बहन ) बड़ी हो गई है ना।जरा जा कर आसपास के घरों में बताकर आ कि आज शाम को हमारे घर पर एक छोटा सा फंक्शन है, "ऋतु कला संस्कार।इसलिए सब अपनी बेटी को लेकर शाम को जरुर आएं। अपनी और अपनी अक्का (दीदी) की सहेलियों को ज़रूर बुलाना!"
"पर ...अम्मा! सब सुनकर हंसते हैं कि अक्का बड़ी हो गई तो त्यौहार क्यों मनाना....?
यहां के लोग नहीं मनाते ऐसा कोई खास त्यौहार।उल्टा सब मासिक धर्म को शर्मनाक समझते हैं और उसे छुपाकर रखने की बात कहते हैं!"
चेल्ली ने कहा।
"इसलिए तो यह और भी जरूरी है बेटा कि इस समारोह में लड़कियां ज़्यादा तादाद में आएं और इस बात पर गर्व करें कि रजस्वला होना उनके लिए जितने गर्व की बात है और मातृत्व की ओर अग्रसर एक शुरूआत है !"
"बिलकुल सही कह रही हो। हमारे दक्षिण भारतीय की इस प्रथा और इसके महात्म्य का ज्ञान उत्तर भारत के लोगों को भी होना चाहिए!"
दादी वरलक्षमी ने बहू की बात का समर्थन किया।
और फिर चेल्ली खुशी-खुशी सभी सहेलियों को बुलाने चली गई।
