Ritu Garg

Abstract Inspirational

4.0  

Ritu Garg

Abstract Inspirational

स्वास्थय सुरक्षा

स्वास्थय सुरक्षा

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मीनू स्कूल से आकर जैसे ही घर में आई। दीदी ने दिशा निर्देश देने शुरू कर दिए।

जूते बाहर अपने स्थान पर रखो बैग अपनी जगह पर रखो हाथ अच्छे से धोकर साफ करो इत्यादि। मीनू अचानक वर्तमान से अतीत की ओर चली गई ।

ना जानें कहां खो गया वह बचपन। कुर्सी पर बैठे बैठे मीनू यही सोच रही थी कि कितने अच्छे थे वह दिन काश वह बचपन लौटकर आ जाए। चार भाई बहन में सबसे छोटी मीनू कुर्सी पर बैठकर बार-बार यही सोच रही थी कि कितने अच्छे थे वह दिन पढ़ाई के साथ साथ,

 खेलते हुए ना जाने कब बड़े हो गए। मां ने सभी बच्चों को बहुत ही प्यार से एवं नैतिक ज्ञान देते हुए बड़ा किया। बच्चों के सर पर पिता का साया ना होते हुए भी सभी को संस्कारवान बनाया। जग में रहने की रीत सिखाई सभी छोटे बड़ों का मान सम्मान करना सिखाया।

बचपन की बातें यादें करके मीनू बहुत खुश थी।

यही बातें मीनू के जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर रही थी।

अपने दोनों बच्चों को भी मीनू ने शुरुआत से ही स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हुए संस्कारवान बनाया।

मीनू को सभी हंसमुख और सेवा भाव रखने वाली महिला के रूप में सभी चाहते थे।

कोरोना काल एवं इस विषम संकट की परिस्थिति में मीनू ने अपने बच्चों के साथ समाज में जागरूकता कायम करने के लिए और सभी की जिंदगी को बचाने के लिए घर से बाहर कदम रखा।

 मीनू ने मन में ठान लिया था कि जो पाठ उसने अपनी मां के द्वारा घर के अंदर सीखा था। वह अब हर घर को जागरूक करेगी और स्वच्छता के संबंध में आवश्यक जानकारी देकर ।सभी के जीवन में एक नया अध्याय शुरू करेगी।

कोरोना महामारी से बचाने के साथ-साथ वह हर नागरिक को स्वच्छता का महत्व बताते हुए। समाज में अपनी अहम भूमिका निभाएगी और एक आदर्श स्थापित करेगी।

सभी को जागरूक करते हुए संदेश दिया कि हम सामाजिक नियमों का पालन करते हुए और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए जीना सीखते हैं, तो हम सभी अनावश्यक खर्चे से बच सकते हैं। जो धन हमारे परिवार के लिए सुख साधन जुटाने के लिए काम आएगा और हम सभी सुखी जीवन व्यतीत कर सकेंगे।



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