सुपर पावर
सुपर पावर
नेहा को यकीन था सर्वशक्तिमान पर, उसके अदृश्य "सुपर पावर" पर इसलिए वो चल पड़ी थी अकेले ही उस सफ़र पर जिसकी कोई मंजिल नहीं थी ...... फिर भी उसे यकीन था सुपर पावर पर उसने सुना था कि एक अज्ञात अदृश्य शक्ति है धरा पर जो धारण की है इस धरा को, उसका पालन करती है, संचालन करती है और वक्त जरूरत उसका सघांर भी करती है। वक्त वक्त पर वो अदृश्य शक्ति अपनी उपस्थिति भी जाहिर करती है। पूरे ब्रह्मांड को संचालित करने वाली एक ही परम शक्ति है सुपर पावर है जो हम पर हुकूमत करती है। हम पूरी तरह उसके हाथों की कठपुतलियां हैं। समय से पहले नेहा को ज्ञान मिल गया था इसलिए वो बहुत शांत, स्थिर और बेफिक्र होकर जीवन व्यतीत कर रही थी। पग पग पर जिंदगी लेती रही उसका इम्तिहान। होते रहें बार बार हादसा, बड़ा ही कठिनाइयों से भरा हुआ था उसका डगर। परिस्थितियां हमेशा उसके विपरीत ही रही मगर उसने हालातों को चुनौती की तरह स्वीकार किया और योद्धा की तरह सामना किया। उसके मजबूत इरादों, बुलंद हौसला और कर्तव्यों के प्रति निष्ठा आत्मबल देता रहा। वह नित्य निरंतर उस अग्निपथ पर चलती रही बढ़ती रही। सिर्फ और सिर्फ उस "सुपर पावर" पर विश्वास रखते हुए। वास्तव में जब हम किसी के प्रति श्रद्धा, विश्वास, आस्था और समर्पण का भाव रखते हैं तब ब्रह्मांड की उस परम शक्ति "सुपर पावर" को आकार लेना पड़ता है और आसमां से नीचे जमीं पर उतरना पड़ता है।
नेहा का जीवन जन्म से संकटों से घिरा हुआ था, एक के बाद एक हादसे होते रहें .... बहुत कुछ बिगड़ता रहा, कुछ टूटता रहा, कुछ छूटता रहा मगर फिर भी उसके अंतर्मन में एक उम्मीद का दीपक जलता रहा। विश्वास सिर्फ ब्रह्मांड के सुपर पावर पर ही नहीं बल्कि उसे खुद की इच्छा शक्ति पर भी भरोसा था। उसे किसी अज्ञात शक्ति का जो अदृश्य होकर भी उसके समीप उसके आसपास होने का एहसास कराता है। दर्जनों अनहोनी दुखद घटनाओं के बाद भी उसका विश्वास नहीं डगमगाया। उसे इंतजार था कि एक दिन सब कुछ अच्छा हो जाएगा और उसकी जिंदगी बेहद खुशहाल होगी। उसका एक अपना घर होगा दो चार बच्चे होंगे। सुकून का दिन और चैन की रातें होंगी। उस वक्त देखें गए यह ख्वाब बेहद हास्यास्पद लगा था। मगर उसने पलटकर अपना अतीत देखा तो उसे ऊर्जा मिली। उसने सुनी सुनाई कहानी याद आई। एक ढाई वर्ष की बच्ची को चोर चोरी करके ले जा रहा होता है और पकड़े जाने पर रेलवे ट्रैक पर आती हुई ट्रेन के सामने फेंक देता है .... उस वक्त किसी सुपर पावर ने बचा लिया था। आठ वर्ष के उम्र में जब छत से नीचे गिरी साढ़े आठ घंटे तक बेहोश रही उस वक्त भी सुपर पावर ने बचा लिया। बारह वर्ष के उम्र में दोहरी मियादी बुखार हुआ तब भी सुपर पावर ने बचा लिया मगर जब उसके पापा हॉस्पिटल में थें वहां सब सुविधाएं उपलब्ध थीं तेरह डॉक्टर थे, नर्स कम्पाउन्डर थे, रिश्तेदार थे 36,000 रूपए थे जो उस जमाने में एक मोटी रकम हुआ करती थी क्योंकि उस वक्त सौ तोला सोना खरीदा जा सकता था। स्थानीय अस्पताल से बड़े अस्पताल ले जाने के लिए हैलिकॉप्टर भी तैनात था। मगर ईश्वर की मर्जी नहीं थी सो सब कुछ रहते हुए भी उसके पापा को नहीं बचाया जा सका। पापा की मौत उसे जड़ बना दिया था कुछ दिन बेहद कठिन रहें मगर फिर वक्त अपना रफ्तार पकड़ लिया और चलने लगा। नेहा का विश्वास फिर से यथावत हो गया और उसने देखा एक नया ख्वाब ...... और वो ख्वाब बड़े ही अप्रत्याशित तरीके से पूरा हुआ जिंदगी की गाड़ी चल पड़ी और चलते चलते एक हादसा हुआ जो कुछ देर के लिए कमजोर किया मगर तोड़ नहीं सका।
तीन दशक बाद आज नेहा सफलता के उच्चतम शिखर पर विराजमान है। उसकी सभी इच्छाएं, चाहतें, अरमान और ख्वाहिशें पूरी हो चुकी है। उसने अपने जीवन में हासिल कर लिया है वो तमाम चीजें जिसकी उसने कल्पना की थी। उसका सुखी संसार है, खूबसूरत घर, खुशनुमा महकता बाग बगीचा, बाल गोपाल, चंचल सुनहरी पंखों वाली परियां, द्वार खड़ा रथ ( कार ) और सारथी ( उसकी नैया पार लगाने वाला खेवैया, चालक या हमदम ) सुखी, सम्पन्न, ऐश्वर्य और वैभव से सम्पूर्ण उसका जीवन जो ख्वाब था हकीकत बनाने वाला वही ब्रह्मांड का एकमात्र संचालक सुपर पावर है। जो अदृश्य होकर भी दृष्टिगोचर है।
