सुनसान घर 2
सुनसान घर 2
दिलीप उस घर में जाता है तो सब कुछ देख हैरान हो जाता है। वह देखता है कि घर के अंदर बहुत रोशनी होती है। घर जैसा बाहर से देखने पर लगता है वैसा नहीं होता है।
घर में लड़की जो बहुत ही खूबसूरत होती है उसके लम्बे बाल सुन्दर बड़ी आंखें। सब देख दिलीप उस पर मुग्ध हो जाता है तभी उस लड़की की नजर दिलीप पर पड़ती है और वह डर के छुप जाती है।
अचानक एक बुजुर्ग आदमी वहां आता है। वह बहुत ही कमजोर और बीमार होता है।
दिलीप उस बुजुर्ग से कहता है कि डरिये मत में आपको कोई नुक़सान पहुंचाने नहीं आया हूँ।
परन्तु आप कौन है और यहां इस सुनसान घर में क्यों रहते हो। दिलीप पूछता है कि क्या भूत हो।
यह सब सुन वह बुजुर्ग हंसने लगता है और कहता है ऐसा कुछ नहीं है बेटा ।
बुजुर्ग कहता है कि मेरा नाम सजन सिंह है और ये मेरी पोती है माया है। दिलीप फिर पूछता है कि तो आप यहां क्यों रहते हो।
सजन सिंह बोलता है कि तुम आओ आराम से बैठ कर तुम्हें सब बताता हूं।
सजन सिंह अपनी पोती को कहता है कि मेहमान के लिए चाय पानी लेकर आओ।
दिलीप बैठ जाता है और सजन सिंह उसे बताता है कि उसके बेटे बहू कि हादसे में मौत हो गई थी और मेरी पोती बहुत छोटी थी तब मैं उसे पालने के लिए कहाँ जाता।
यह मेरा घर कई सालों से बंद था तब मैं यहां आ गया। पर मैंने अपनी पोती को लोगों से बचाने के लिए यहां रहने लगा। और लोगों को भूत बनकर डराकर इस जगह से दूर रखने लगा और कभी कभी चोरी भी करता रहता हूं ताकि लोगों में डर बना रहे।
परन्तु तुम यहां आ गये और तुम्हें हमारा सच पता चल गया। पर तुम से विनती है कि तुम किसी को मत बताना।
दिलीप कहता है मैं किसी को नहीं बताऊंगा परन्तु आपको मेरी एक बात माननी पड़ेगी और आपको भी यहां ऐसे नहीं रहना पड़ेगा।
क्रमशः