chandraprabha kumar

Children Stories Inspirational

4.5  

chandraprabha kumar

Children Stories Inspirational

सुखद अहसास

सुखद अहसास

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दो मित्र अवकाश पाकर होटल में खाना खाने गये। बहुत दिनों बाद ऐसी छुट्टी मिली थी। सोचा जी भरकर पसन्द का खाना खायेगें ,आनन्द मनायेंगे। 

एक मित्र ने ख़ूब अच्छे अच्छे खाने का ऑर्डर दिया। दूसरे ने केवल रसगुल्ले मँगाये। 

पहला मित्र चकित हुआ और बोला-“ तुमने केवल रसगुल्ले क्यों मँगाये ?रसगुल्ले तो तुम रोज खाते हो, तुम तो होटल में बैरे हो, तुमको रसगुल्लों की क्या कमी। आज मौक़ा मिला है , कोई अच्छा सा खाना क्यों नहीं मँगाते। “

दूसरा मित्र बोला-“ तुम ठीक कहते हो। रसगुल्ले तो मैं रोज खाता हूँ। जब किसी ग्राहक के लिये रसगुल्ले लेकर जाता था तो ले जाने से पहले दो एक रसगुल्ले मुँह में रोज जल्दी से गड़प लेता था। “

मित्र ने पूछा-“ फिर आज कोई नई चीज़ क्यों नहीं मँगाते ? “

दूसरे मित्र ने जवाब दिया-“ जल्दी जल्दी रसगुल्ले गड़पने से मुझे उनका कोई स्वाद पता नहीं चला। बस घबराहट के मारे मैं केवल उन्हें निगल लेता था कि कोई देख न ले। आज आराम से बैठकर उनका ज़ायक़ा लेकर धीरे धीरे खाऊँगा, आज कोई चिन्ता नहीं किसी के देख लेने की। पता तो चले कि रसगुल्ले कैसे लगते हैं। “

मित्र को रहस्य समझ में आ गया और वह हँस पड़ा, बोला- “ठीक है, आज रसगुल्लों का आनन्द लो, जो तुम पहले ले नहीं पाए। पर अब से जल्दी जल्दी चोरी चोरी गड़पना खाना बन्द करो। “

कथा छोटी सी है पर इससे यह अमूल्य सीख मिलती है कि खाना आराम से बैठकर धीरे धीरे खाना चाहिये जिससे उसका पूरा लुत्फ़ उठा सकें और लाभ पा सकें।


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