सत्य बोलने से लाभ
सत्य बोलने से लाभ
यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। अमेरिका के एक किसान का लड़का जिसका नाम जॉन था। वह जब छोटा था, तब एक दिन उसके पिता ने उसे एक कुल्हाड़ी उपहार स्वरूप दी। उसने उस कुल्हाड़ी को अपनी बगीचे के पेड़ों पर ही आजमाना शुरू कर दिया। इस खेल में एक दिन उसने फल के उस पेड़ को काट दिया जिसे उसके पिता ने बड़ी कठिनता से प्राप्त कर लगाया था।
एक दिन चहलकदमी करते हुए जॉन के पिता की नजर बगीचे के उस कटे फल के पेड़ पर भी पड़ी, तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। और उस पेड़ को किसने काटा ये पता लगाने के लिए उन्होंने सभी मालियों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने भी अपराध स्वीकार नहीं किया। फिर वे दुखी मन से घर लौट आये और आकर उन्होंने जॉन से पूछा। जॉन बगीचे के वृक्ष को तो तुमने काटा है ?
जॉन ने कहा – “हाँ पिताजी, मैं पेड़ों पर अपनी कुल्हाड़ी चला-चलाकर यह आजमा रहा था कि मुझसे पेड़ कटते है कि नहीं। उस पेड़ पर भी मैंने ही कुल्हाड़ी मारी थी और वह उसी से कट गया था।
जॉन के मुंह से सच सुनकर “पिता ने कहा- ‘बेटा! तुझे इस काम के लिए तो मैंने कुल्हाड़ी नहीं दी थी, परन्तु सच्ची बात बताने पर मैं बहुत प्रसन्न हुआ। इससे मैं तुम्हारा अपराध क्षमा करता हूँ। तुम्हारी सच्चाई देखकर मुझे बड़ी ही प्रसन्नता हुई।’