Priyanka Saxena

Drama Inspirational Others

4.0  

Priyanka Saxena

Drama Inspirational Others

संकुचित मानसिकता

संकुचित मानसिकता

6 mins
398


कमलकांत जी और सुधा जी की छोटी पुत्री सुरम्या अपने नाम के अनुरूप पवित्र ह्रदय और मन की निश्छल युवती है। बड़ी बेटी सुनिधि की शादी हो चुकी है। सुनिधि का ससुराल इसी शहर में है। वह पंद्रह बीस दिनों में मिलने घर आ जाती है।

कमलकांत जी और सुधा जी ने सुनिधि को पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद बी एड करा दिया था। सुनिधि इंटर कॉलेज में पी जी टी अध्यापिका है।सुरम्या सी‌ ए कर रही है। तीन साल पहले आर्टिकलशिप ज्वाइन की है।

पढ़ने में कुशाग्र सुरम्या इस समय सी ए फाइनल की परीक्षा देकर परिणाम की प्रतीक्षा कर रही है। शहर की जानी मानी सी ए फर्म फिनमीट से वह आर्टिकलशिप कर रही है। 

रिज़ल्ट आने के साथ ही फिनमीट की तरफ़ से बढ़िया सेलेैरी पैकेज ऑफर मिला। सुरम्या ने जाॅब ज्वाइन कर लिया।

आस-पास रहने वाले लोग अपने आप से सुरम्या के लिए रिश्ते बताने लगे।माता-पिता ने सुरम्या को बताकर कुछ जगहों पर बात चलाई।दो चार जगह उन्हें लड़का और उसका परिवार ठीक लगा। 

समीर और अभिनव दो लड़कों से बात आगे बढ़ी। समीर सी ए है और अभिनव इंजीनियर है। समीर की स्वयं की अपनी सी ए की फर्म है। अभिनव एक मल्टीनेशनल में प्रोजेक्ट मैनेजर है।पहली नज़र में समीर सुरम्या के लिए उपयुक्त मैच लगा। दोनों चार्टेड एकाउंटेंट हों , अपनी फर्म हो इससे बढ़िया क्या हो सकता है।

सुधा जी और कमलकांत जी ने समीर और उसके परिवार को रविवार के दिन घर पर बुला लिया। आपस में मिलना हो जाएगा, बच्चे भी बातें कर लेंगे।

नियत समय पर समीर, उसकी माताजी शांति देवी, पिताजी पारसमणि जी और समीर की दीदी काम्या अपने पति अनंत के साथ आ गए। 

बहुत आदर से सुधाजी व कमलकांत जी ने उनका स्वागत किया। अभिवादन के आदान-प्रदान के पश्चात सुरम्या, सुनिधि के साथ ड्राइंग रूम में आई। सभी को उसके बात करने का लहज़ा और सुरम्या पसंद आई। सुरम्या को भी उनसे मिल कर अच्छा लगा। कमलकांत जी और सुधा जी को भी समीर और परिवार पसंद आया।

भोजन उपरांत समीर और सुरम्या को बातचीत करने के लिए टैरेस पर भेजकर दोनों के माता-पिता आपस में बात करने लगे। समीर की दीदी-जीजाजी और सुरम्या की दीदी-जीजाजी भी बातचीत में भाग ले रहे हैं।इतने में समीर के जीजाजी की एक बात सुनकर कमलकांत जी और सुधा जी के कान खड़े हुए। पहले उन्होंने इस बात को इग्नोर कर दिया परन्तु समीर के जीजाजी ने दोबारा कहा," वैसे तो हम लोग इस रिश्ते को उचित नहीं समझ रहे थे पर सुरम्या भी सी ए है तो सोचा मिलकर देखने में क्या हर्ज़ है।"

कमलकांत जी ने पूछा," बेटा, आपको यह रिश्ता किस कारण से सही नहीं लगा था?"

जीजाजी बोले," मुझे क्या किसी को भी सही नहीं लगा था कि लड़की के कोई भाई नहीं है। शादी के बाद मायके में भाई के होने से ही मायका होता है। दुख सुख में लड़की को भाई का ही सहारा होता है। सुरम्या तो सिर्फ दो बहनें हैं। मायका भाई से ही होता है।" जीजाजी थोड़ा रुक कर बोले," मैं इस मामले में लकी हूँ, क्योंकि काम्या के भाई है।"

सुधा जी कुछ तो बात है यह समझ गईं थीं । फिर भी उन्होंने शांति देवी से पूछा," बहनजी, आप भी ऐसा ही सोचती हैं?"

शांति देवी बोली," हां, भाई से मायका आबाद होता है। सुरम्या का भी भाई होता तो कितना अच्छा होता। भाई सभी काम बहन के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझकर करते हैं। बहनें अपना घर सम्भाल लें, वहीं बहुत है। शादीशुदा बहन पहले घर- ससुराल देखती है। मायके का नहीं कर पाती है। मेरा तो मन नहीं था बिना भाई की लड़की से समीर की शादी की बात चलाने का। फिर सी ए है यह सोचकर देखने आ गए। सुरम्या हमें अच्छी लगी इसीलिए हम बात आगे बढ़ा रहें हैं। "

कमलकांत जी बोले," इसका अर्थ है कि सुरम्या सेम प्रोफेशन में है , इसलिए आपको ठीक लगी अन्यथा भाई न होने की वजह से आप शादी की बात नहीं करते? हमने अपनी दोनों बेटियों को समर्थ बनाया है व दोनों अपने पैरों पर खड़ी हैं। हमारे जाने के बाद ये दोनों एक दूसरे का मायका होंगी।"

सुनिधि के पति अखिलेश बोले," सुरम्या का मायका सुरक्षित है, हम उसका मायका हैं।"

पारसमणि जी बोले," अब तो सब को सुरम्या पसंद है। इन बातों का अब कोई मतलब नहीं है।"

यह सब बातें सुरम्या ने अंदर आते समय सुन ली थीं। टैरेस पर समीर ने भी उसे बताया था कि भाई नहीं होने पर भी वह लोग इस रिश्ते के लिए आएं हैं, यह उसके माता-पिता का बड़प्पन है।

सुरम्या बोली," अंकलजी, मुझे समीर ने भी बताया कि आप लोगों ने अपना बड़प्पन दिखाया है। मुझ बिन भाई की लड़की को देखने आए और सी ए होने की वजह से कंसीडर किया है।" फिर रुक कर सुरम्या बोली," मेरा आप लोगों से एक सवाल है यहां आपने मुझे कंसीडर कर उपकार कर दिया। लेकिन सभी अगर आप लोगों जैसे सोचने लगें तो जिस घर में केवल बेटियां हैं वहां तो कोई शादी नहीं करेगा। आज के जमाने में जहां दो या तीन बच्चे होते हैं, कई बार केवल लड़कियां या केवल लड़के होते हैं। आपके हिसाब से यदि सब चले तो बेटियां वाले घरों में बेटियां कुंवारी रह जानी चाहिए।"

समीर बोला," तुम इन सब बातों में क्यों पड़ रही हो। हम तो तुम से शादी करने को तैयार हैं। तुम मेरे माता-पिता से इस प्रकार सवाल नहीं कर सकती हो।"

सुरम्या थोड़ा मुस्कुरा कर बोली," समीर आप और आपके परिवार वाले तैयार हैं। पर मैं आपसे शादी के लिए मना करती हूँ ।"ऐसा कहकर मानो सुरम्या ने वहां बम ही फोड़ दिया।

शांति देवी गुस्से में उठी और बोली," हम तो एहसान कर रहे हैं बिना भाई की लड़की को अपनी बहू बनाकर। यह लड़की तो सरेआम हमारा अपमान कर रही है। सुधा जी , संस्कार तो हैं ही नहीं आपकी बेटी में। कमलकांत जी, आपने अपनी लड़की को बड़ों से बात करने की तमीज नहीं सिखाई? "

कमलकांत जी सुरम्या के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले," बहनजी , मेरी बेटी में तमीज और संस्कार दोनों ही हैं। हां, मैंने ज़रूर अपनी बेटियों को बताया है कि कभी भी ग़लत बात को नहीं सहो और अपना पुरजोर विरोध दर्ज कराओ। बेटियों को खुलकर अपनी बात कहने का पक्षधर हूँ , मैं। मेरी बेटी कोई बेचारी नहीं है, जिसपर आप दया कर अपने बेटे की शादी करवा देंगी। वह आपके बेटे के समान पढ़ी है। उसके आत्मसम्मान को चोट नहीं पहुंचने देंगे हम। सुरम्या के इस निर्णय में मैं और पूरा परिवार उसके साथ है।"

शांति देवी, समीर, पारसमणि जी, दीदी, जीजाजी सभी अपना सा मुंह लेकर वहां से चले गए।

कुछ समय पश्चात सुरम्या का विवाह अभिनव से पूरे सम्मान के साथ हुआ। अभिनव और उसके परिवार की सोच का दायरा संकुचित नहीं था। सुरम्या ने पहले ही सब बातें कर ली इस बार और यह भी बता दिया कि वह अपने माता-पिता का ध्यान रखेगी।

दोस्तों, केवल बहनें ही हों तो सबको लगता है कि भाई नहीं है , कौन करेगा। मायका नहीं रहेगा। इसमें ऐसे लोगों की लेने की प्रवृत्ति का भी पता चलता है क्योंकि ऐसे लोग बहू के घरवालों के कभी काम नहीं आते। भाई इसीलिए चाहते हैं कि बहन के लिए भाई करता रहे, उनका घर भरता रहे।


आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे अवश्य बताएं। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा। पसंद आने पर कृपया लाइक, कमेंट और शेयर कीजिए।

ऐसी ही अन्य खूबसूरत रचनाओं के लिए आप मुझे फाॅलो भी कर सकते हैं।

धन्यवाद।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama