#सीधी बात "मर्म"
#सीधी बात "मर्म"
बिल्डिंग के नीचे पाँच छह लड़कों का समूह हँसी मज़ाक कर रहा था। अनायास ही उनकी बातें कानों में पड़ी।
एक-" अरे यार, वो कोने वाले खन्ना अंकल निकल गए कोरोना में"
दूसरा- "अरे वो तेरी वाली हैं न, उसकी माँ भी निकलने की तैयारी में हैं"
पहला- " अरे यार, वो निकल गई तो कम से कम सहानुभूति के बहाने फ़ोन पर ही बात हो जाएगी, हा..हा..हा"
एक- "भाइयों कुछ भी हो, इस बहाने जनसंख्या नियंत्रण तो हो ही रहा है, हा..हा...हा.."
मैंने देखा, उनमें से किसी ने भी मास्क नहीं लगाया है। मैंने कुछ सोचकर कहा-
"बेटा, आप लोगों ने मास्क क्यों नहीं लगाया?"
"अरे आंटी, कुछ नहीं होता, जिसकी आती है वही निकलता है"
उनके इस जवाब से मैं गुस्से से भर गई, फिर थोड़ा संयत होते हुए कहा-
"बेटा, सुरक्षा की गाइड लाइन का सख़्ती से पालन करो, वर्ना तुम्हारी लापरवाही से तुम या तुम्हारे परिवार का कोई भी निकल गया न तब समझ में आएगा ये मर्म तुम्हें कि, जब कोई निकलता है तो सिर्फ वही नहीं निकलता, उसके साथ पूरे परिवार का दम निकल जाता है"