Laxmi Yadav

Inspirational

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Laxmi Yadav

Inspirational

श्वेत रंग मनमोहक

श्वेत रंग मनमोहक

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सुकेशी बड़ी ही नटखट बच्ची थी| उसके पायल की रुनझुन दिन भर आँगन मे बजती ही रहती थी| कभी बालहट तो कभी सजने संवरने की मासूम कोशिश.... 

पर एक बात उसे बाकी बच्चों से अलग करती ,वो बात थी उसका श्वेत रंग से लगाव| फ्रॉक भी सफेद रंग की पसंद करती, उसे देवी भी सफेद साड़ी मे पसंद आती, मयूर पंख भी जाने कहाँ से श्वेत ही लेकर अपने कमरे मे रखी थी| जाने क्या सुकेशी को लगाव था- श्वेत रंग से..... 

समय को मानों पंख लगे हो| आज सुकेशी सफेद मोतियों और मोगरा के फूलों से सजी दुल्हन बनी बैठी थी| ऐसा लग रहा था, मानों आसमाँ से कोई देवी उतरी हो| बिदाई मे उसकी माँ ने उसकी सफेद वस्त्रों वाली देवी की मूर्ति उसे दे दी|

 सुकेशी अपनी घर गृहस्थी की गाड़ी बहुत अच्छे से चला रही थी| पर नियति ने कब किसी को बख़्शा है? 

सूनी माँग, सूनी कलाई और सफेद साड़ी मे सुकेशी अपने मृत पति के पार्थिव शरीर को निस्तेज अश्रु पूरित नेत्रों से अपलक देख रही थी| जो कभी भी सदा के लिए उसकी जिंदगी और आँखों से ओझल हो जाने वाला था| उसका दस वर्षीय बेटा पंडित के द्वारा बताये सारे क्रिया क्रम अपनी समझ से परे होते हुए भी कर रहा था| सुकेशी की माँ अपनी बेटी को श्वेत साड़ी मे देखकर गश खाकर गिर पड़ी| 

थोड़े दिनों के बाद बड़े लोगों ने चाहा कि सुकेशी का पुनर्विवाह उसके देवर से हो जाय| ताकि उसकी रंग विहीन जीवन मे थोड़े रंग भर जाय| परन्तु सुकेशी ने साफ इनकार कर दिया| अपनी माँ के बहुत समझाने पर बोली " माँ, तुम्हे पता है ना मुझे सफेद रंग बहुत पसंद है, ईश्वर ने मुझे वही रंग दिया है.... "| यह कहकर उसने असहमति जता दी|

समय का चक्र चलता रहा..... 

सुकेशी की मेहनत रंग लाई| आज उसका बेटा बड़ी कम्पनी मे अधिकारी है| समाज द्वारा सुकेशी को ' नारी रत्न' से सम्मानित किया जाना है| सुकेशी अपनी मनपसंद सफेद कड़क सूती साड़ी पहनकर अपनी श्वेत वस्त्र धारण करने वाली देवी को प्रणाम करती है|

उसका सम्मान भी होता है, करताल ध्वनि सलाम करती है इस श्वेत वस्त्र धारिका नारी की शक्ति को पूरा ब्रमांड नत मस्तक हो जाता है........ 


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