शुश्रुषा
शुश्रुषा
हाशिम को मंत्री जी के रूप में जैसे गॉड फादर बोले तो भगवान पिता ही मिल गया अब मंत्री जी के हर कार्यक्रम में मंत्री जी के हर शौक शराब कबाब सुंदर व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी स्वंय हाशिम ही उठता मंत्री जी को भी खास भरोसा हो चुका था हाशिम पर हाशिम ने अपनी सेवाओं से मंत्री जी का दिल जीत लिया ।
मंत्री जी के ही निर्देशन मे हाशिम ने औरत उजियार नामक संगठन बना रखा था जिसमे विशेषकर उन लड़कियों को सम्मिलित किया गया था जो साधारण निम्न या मध्यम निम्न वर्ग या उच्च मध्यम वर्ग की थी जिसके पास संसाधन बहुत सीमित थे या नही थे और उनकी आकांकक्षाये आसमान छूती ऐसे लडकिया बहुत जल्दी समाज मे दौलत शोहरत की चाहत में किसी भी हद तक जाने में गुरेज नही करती।
दूसरी श्रेणी ऐसी महिलाओं की थी जो पढ़ी लिखी और खूबसूरत थी मगर उनका विवाह ऐसे परिवारो में हुआ था जहाँ उन्हें दिन रात पीसने के अलावा कोई रास्ता नही रहता और जिनके अरमान छात्र जीवन से ही आकाश में उड़ते ऐसे ही नारी शक्तियों कि एक अच्छी खासी टीम बना रखी थी हाशिम ने और उन्हें जरूरत ना गाहे आवश्यकता अनुसार भेजता रहता हाशिम के पास दौलत और शोहरत की दस्तक और वर्षात होने लगी।
जिस प्राधन ने उसे कलक्टर डॉक्टर इंजीनियर नही बनने दिया और जीवन के अंधेरों के दल दल में अपना पैसा बर्बाद कर ढकेलने में कोई कोर कसर नही उठा रखी अब गाहे बेगाहे वह भी हाशिम की सेवाओं पर निर्भर रहता।
हाशिम् को भी लगता कि यदि प्राधन नही होते तो शायद उसे यह रास्ता ही नही मिलता जो उसे शिखर पर पंहुचाने के लिए आसान होता हाशिम के शौक जिनकी लत प्राधन ने लगाई थी उसके लिए वरदान बन गए वह जवार में हाशिम नेता के नाम से मशहूर होने लगा।
हाशिम को मंत्री जी ने लगभग पक्ष विपक्ष सभी दलों के अपने मित्रों की सेवाओं में हाशिम को महत्वपूर्ण बना दिया पक्ष हो या विपक्ष सभी राजनीतिक रसुको में हाशिम की अंतरंग एव अंतर्मन स्वीकारोक्ति एव समझ की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
हाशिम को एका एक मंत्री जी ने बुलाया हाशिम जब पहुंचा तब मंत्री जी ने उसे बताया कि तुम्हे अबकी बार चुनाव में उतरना है हाशिम ने कहा कि साहब किस दल से मंत्री जी ने बताया हवा जिस दल की तरफ बह रही हो हाशिम ने कहा मंत्री जी हमे एक बात समझ मे नही आई पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं को छोड़ कर हमें क्यो टिकट देंगी ।
मंत्री जी ने हाशिम को राजनीति का बारीक से बारीक मंत्र बताना शुरू किया मंत्री जी ने बताया हाशिम तुमने देखा होगा हर दल का नेता नारी शसक्तीकरण गौरव गरिमा की बात सार्वजनिक मंचो से ऐसा करता है जैसे वह अर्धनारीश्वर हो और नारी कि मर्यादा के लिए ही वह जीता मरता है और तुमने अनुभव किया होगा कि ये ही लोग अपने बिस्तर रोज बदलते है ।
सिक्का सोने का हो चांदी का हो कागज का हो या चमड़े का चलता बाज़ार में वही है दूसरी बात कार्य कर्ता किसी भी पार्टी का कितने प्रतिशत राजनीति शिखर पर पहुंचता है पांच से दस प्रतिशत बाकी सभी दलों को उठा कर देख लो उनके नेताओ में धन बल बाहुबल एव डिमांड एव सप्लाई के धुरंधरों से भरा है जिनका कोई नैतिक चरित्र नही होता ना ही राष्ट्र या समाज कल्याण की चिंता होती है क्योंकि उनका मानना है कि विकास समय के साथ चलने वाली परम्परा है जो चलती रहेगी सरकारों का सिर्फ यही फर्क पड़ता है कि किसी सरकार का तरीका कुछ और हो सकता है जो पिछली सरकार से भिन्न हो और आम जन को आकर्षित कर सके मंत्री जी ने बताया कि भारत की राजनीति में -
#आंख केअंधे नाम नयन सुख #
का ही सिंद्धान्त चलता है और चलता रहेगा भारत के राजनीतिज्ञ दो आंखों दुरुस्त दिमाग के रहते हुए भी वास्तविकता नही देखते ना ही कोशिश करते है इसीलिये भ्र्ष्टाचार का सरकारों के आचरण के अनुसार स्वरूप बदल जाता है कही पच्चीसी फीसदी लोग खा जाते है तो कही कुछ कम ज्यादा में काम चला लेते है मियां हाशिम भारत मे राजनीति एक शौक है जबकि पश्चिमी देशों में राजनीति व्यवसाय है शौक के लिए किसी योग्यता विशेष की आवश्यकता नही होती है वह हर मन मस्तिष्क के उत्कर्ष कि चाहत कि राह है जबकि व्यवसायी को निवेश करना होता है योग्यताओं अनुभव धन दौलत एक डॉक्टर ,इंजीनियर, कलक्टर, वकील आदि बनने के लिए बचपन से ही मेहनत करनी होती है तब जाकर व्यवसायिक सफलता की संभावना रहती है मिलेगी निश्चित नही रहता जबकि भारतीय रसजनीति में शिखर पर पहुँचने के लिए आपके पास भीड़ जुटाने की क्षमता झूठ, फरेब की योग्यता गिरगिट की तरह रंग बदलने की क्षमता ही योग्यता है ताकि आज किसी दल के पक्ष में बोल रहे हो तो कल दूसरे दल में जाकर उसके पक्ष में लोकतंत्र की दुहाई देते हुए बोल सके साथ ही साथ हवा का रुख पहचाने की क्षमता होनी आवश्यक है ।
तभी तो भारत मे एक व्यक्ति का दल ,जाति आधारित दल, आदि कि भरमार है और जनता कभी एक प्रयोग करती है कभी दूसरा लेकिन भारत मूल रूप से वही है जहाँ से उसके गुलाम होने की परम्परा की शुरुआत हुई थी पहले राजे रजवाड़े एक दूसरे से लड़ते थे अब जातिया धर्म एक दूसरे से वर्चस्व के लिए लड़ रही है।
हाशिम ने पूछा मंत्री जी ये बताये की अगले चुनाव में अभी समय है मुझे क्या करना चाहिये मंत्री जी ने बताया कि ऐसा कुछ जिससे तुम रातों रात चर्चा में आ जाओ जैसे तुम कारण को पैदा कर नरसंहार कर दो या दंगा फसाद करा दो या किसी धर्म का अपमान कर उसके पवित्र ग्रंथो के पन्ने फाड़ दो रातों रात तुम खुद चर्चा में आ जाओगे ये पुराने फार्मूले है तुम चाहो तो कोई नया फार्मूला ईजाद कर सकते हो जो तुम्हारे नाम से भारतीय राजनीति में शुमार होगा।
हासिम ने बहुत दिमाग लगाया उंसे सारे फार्मूले बहुत पुराने लगे तब उसने अपने ही क्षेत्र के विधायक की कमजोरियों को एकत्र कर उनके पास पहुंचा और विधायक जी के समक्ष रख दिया विधायक जी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई विधायक जी ने मामले को रफा दफा करने के लिए हाशिम की मॉन मनौवल किया लेकिन हाशिम टस से मस नही हुआ ।
हाशिम ने जमीन से जुड़े एवं लोकप्रिय विधायक को ही विवश कर दिया कि वह उसके लिए वोट यह कहकर मांगे की उन्होंने चुनावी राजनीति से सन्यास लेने का फैसला किया है और अपने उत्तराधकारी के रूप में हाशिम को जनता कि सेवा के लिए प्रस्तुत किया है ।
चुनाव शुरू हुआ पुराने विधायक जी जो दस बार विधायक बार कैबिनेट मंत्री रह चुके ऋतुराज पूरा परिवार ही हाशिम के चुनाव का प्रचार यह कहते कर रहा था कि हासिम ही ऋतुराज जी का वास्तविक उत्तराधिकारी हैं।।