शमशेरा
शमशेरा
बड़ा अच्छा लगा जब यह ज्ञात हुआ कि शमशेरा फिल्म बॉक्स ऑफिस पर "धड़ाम" से गिर गई है। ऐसा नहीं है कि यह फिल्म इतनी बुरी है कि इसे देखने कोई जाये ही नहीं। बड़ा बैनर , बड़े सितारे और बड़ा मार्केट। सब कुछ तो था इस फिल्म के पास। मगर जो नहीं था वह था दर्शकों का प्यार और आशीर्वाद।
"यशराज" जैसे बड़े बैनर की फिल्म थी वह। इस बैनर की तूती बोलती है बॉलीवुड, अरे रे , ये बॉलीवुड कहां रहा है, ये तो करांचीवुड बना हुआ है 1990 से। जब करांचीवुड बन गया है तो फिल्में भी उसी तरह की तो बनाएगा ना ?
तो इस अवधि में महेश भट्ट, करन जौहर और जावेद अख्तर फैमिली जैसे ऐजेण्डाधारियों ने हिंदू धर्म, संस्कृति विरोधी फिल्में बनाई। भोली भाली जनता इनके ऐजेण्डे को समझ ही नहीं पाई और अपने ही धर्म, सभ्यता, संस्कृति के अपमान पर तालियां पीटती रही। अब जाकर लोगों को समझ में आया है कि वे तो इनके जाल में फंस कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे थे। अब जनता ने इनके बहकावे में आना बंद कर दिया है।
सखी, इस फिल्म में बड़े बड़े सितारे थे जैसे रणवीर कपूर। वही रणवीर कपूर जो हर साल अपनी गर्लफ्रेंड बदलता रहता है और अब आलिया भट्ट से शादी कर चुका है। वह रणवीर कपूर भट्ट, यशराज कैंप का लाडला है। सुना है कि वह एक फिल्म के 20 करोड़ रुपए लेता है। पिछले कुछ सालों से वह "इश्क की दावतों" में व्यस्त था इसलिए उसको फिल्म करने का मौका ही नहीं मिला। पर अब तो शादी हो चुकी है ना। शादी के बाद इश्क कौन करता है ? बीवी कोई इश्क करने के लिए थोड़ी होती है ? वह तो बच्चे पैदा करने के लिए होती है बस। बड़े बड़े लोग ऐसा सोचते हैं। तो शादी के बाद इन महाशय के पास टाइम ही टाइम था। तो फिल्म कर भी ली, बाजार में आ भी गई और लोगों ने उसे अपनी औकात भी दिखा दी।
एक और बड़े सितारे संजय दत्त भी इस फिल्म में हैं। अरे वही संजय दत्त जो अवैध रूप से AK 47 राइफल रखने के मामले में सजायाफ्ता हैं और आधी सजा काट कर अपनी बहन प्रिया दत्त के रसूख का इस्तेमाल कर जेल से बाहर आ गये हैं। उनकी एक खूबी और है। लड़कियों और औरतों के साथ सोने में इन्होंने एक रिकॉर्ड बनाया है। वैसे करांचीवुड में एक प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन कलाकार (?) कितनी ज्यादा औरतों के साथ सोयेगा और कौन कलाकार कितनी ज्यादा शादियां करेगा ? संजय दत्त के जीवन पर बनी एक फिल्म "संजू" में जिसमें संजय दत्त का किरदार रणवीर कपूर ने ही निभाया है, ने कहा था कि वह अब तक 300 से ज्यादा औरतों के साथ सो चुका है।
तो ऐसे ऐसे महान कलाकारों से सजी थी यह फिल्म। बजट भी बहुत बड़ा था 150 करोड़ और थियेटर भी 4500 बुक कराये थे। मगर पहले दिन का कलेक्शन था मात्र 10 करोड़ रुपए। इस फिल्म का कुल कलेक्शन 500 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था। फिल्म को लगे 8 दिन हो गये हैं और अब तक कलेक्शन हुआ है केवल 40 करोड़। क्या पिटाई की है भाई लोगों ने।
इतनी पिटाई की उम्मीद नहीं थी करांचीवुड को। चोट दिल पर लगी थी और घाव बहुत गहरा था। इसलिए धुंआ विशेष अंग से निकलने लगा। पहले तो इसके निर्देशक ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर अपना दुखड़ा रोया और अब संजय दत्त ने हिन्दुओं को इस जलालत के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। पर संजय दत्त शायद भूल चुके हैं कि उन्हें हिन्दुओं ने ही "संजय दत्त" बनाया था वरना तो वह नशे में डूब हुआ एक आदमी रह गया था बस।
बहरहाल, बात यह है सखी कि इस फिल्म का बॉयकॉट क्यों किया गया था ? यही मूल प्रश्न है जो अब करांचीवुड को बेचैन कर रहा है। दरअसल करांचीवुड ने अब तक एक ऐजेण्डे के तहत फिल्में बनाई थी जिनमें ब्राह्मण धूर्त, मक्कार, पाखंडी राजपूत गुंडा, मवाली, आततायी और वैश्य को लुटेरा दिखाया गया था। जबकि एक मजहब विशेष को शांतिप्रिय, अमन का पुजारी और दयालुता का मसीहा दिखाया जाता था। पर हकीकत सब लोग जानते हैं।
यह फिल्म भी उसी ऐजेण्डे के हिसाब से ही बनी थी। संजय दत्त का किरदार एक पुलिस इंस्पेक्टर का था जो माथे पर त्रिपुंड लगाये रहता था। जब जब वह अत्याचार करता था नेपथ्य में संस्कृत के श्लोक पढे जाते थे जो फिल्म मेकर्स के ऐजेण्डे को साफ बताते थे। अब इस हालत में बॉयकॉट नहीं करें तो क्या करें दर्शक ? तो दर्शकों को जो करना था , कर दिया। इस कैंप की चैंपियन करीना कपूर ने तो बरखा दत्त के साक्षात्कार के अवसर पर कह भी दिया था कि उसकी फिल्म जो देखना चाहें देखें , जो नहीं देखना चाहें, नहीं देखें। वे तो ऐसे ही काम करेंगी। तो जनता जब फिल्म नहीं देख रही है तो इनके पेट में मरोड़ क्यों उठ रहे हैं ?
पर असली कहानी कुछ और है। करांचीवुड के लाडले खान ब्रदर्स की फिल्में "लाल सिंह चढ्ढा" और "पठान" आने वाली हैं। और जिस तरह दर्शक अब करांचीवुड को सबक सिखाने पर तुला हुआ है , तो इनको पता है कि इन फिल्मों का क्या हाल होने वाला है। तो रोना उसका है कि इनके "किंग" अब "धूल" की शोभा बढाने वाले बन रहे हैं और बाहुबली, RRR के हीरो जनता के दिलों पर राज कर रहे हैं। बस, यही बात करांचीवुड को पसंद नहीं आ रही है सखी। इसी का ही मलाल है इन्हें। अभी थोड़े दिन पहले इस कैंप के एक और सितारे रणवीर सिंह, दीपिका की फिल्म "जयेश भाई जोरदार" की जो लंका जली थी , उसका धुंआ अभी तक निकल रहा है।
जनता को "जनार्दन" ऐसे ही नहीं कहा है सखी। यह अगर किसी को सिर माथे पर बैठा सकती है तो उसको धूल धूसरित भी कर सकती है। इसे हलके में लेने की गलती कतई मत करना सखी।
आज के लिए इतना ही, बाकी कल।