मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Abstract

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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सहकारिता

सहकारिता

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 सहकारिता का सीधा सरल अर्थ होता है मिलजुल कर कार्य करना। अगर हम दूसरे शब्दों में कहें तो आपसी सहयोग का नाम ही सहकारिता है। आर्थिक व सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जो संगठन बनाया जाता है उसे ही हम सहकारी समिति / संगठन कहते हैं । ऐसे संगठनों का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि कृषि व रोजगार से जुड़े लोगों का आर्थिक व सामाजिक विकास हो सके। सरकारी या गैर सरकारी कोई दबाव नहीं होता है समिति से जुड़े लोगों पर। सभी सदस्य मिलकर पूंजी लगाते हैं एवं सभी के अधिकार व कर्तव्य समान होते हैं। समिति से जो लाभ प्राप्त होता है उस पर सभी का बराबर का अधिकार होता है।

सहकारिता का सही उद्देश्य तभी प्राप्त होता है, जब इसके सभी सदस्यों में आपसी मेलजोल, विश्वास, प्रेम, भाईचारा और ईमानदारी की भावना बनी रहे। सहकारिता का क्षेत्र बहुत व्यापक है। कृषक, मजदूर, व्यापारी वर्ग सभी लाभ उठा सकते हैं। भारत में खेती किसानी सहकारिता के आधार पर करके काफी लाभ कमाया जा सकता है और इससे भी अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

भारत में अधिकांश कृषक गरीब ही हैं, अगर ये कृषक मिलजुलकर सहकारिता के आधार पर कृषि करें तो वैज्ञानिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं। महंगाई के इस दौर में कृषि के वैज्ञानिक उपकरण संगठन के माध्यम से सहज खरीदे जा सकते हैं। सरकार भी समय-समय पर खरीदारी हेतु संगठनों की सहायता करती है, साथ ही कई एनजीओ व अन्य संस्थाएं भी किसानों को सहायता प्रदान करती हैं। पशु व दुग्ध उत्पादन में भी कई सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं सहकारी संगठनों को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाती रहती हैं।सही मायने में विकास की क्रांति ग्रामीण क्षेत्र में सहकारिता ही ला सकती है।

परंतु खेद है कि कई सरकारी संगठनों में दबंग व असामाजिक लोग सदस्य बनकर जुड़ जाते हैं और अधिक मुनाफा कमाते हैं। इसमें व्यक्तिगत स्वार्थ अधिक होने के कारण ये कई बड़े-बड़े असामाजिक कार्य कर बैठते हैं, और फिर कई बार ये फर्जी समितियां बनाकर बहुत अधिक लाभ प्राप्त करते हैं।इन कारणों से सहकारिता के मूल स्वरुप में विकृति आ जाती है।

पूर्ण ईमानदारी, प्रेम, भाईचारा सामाजिकता ही सहकारी संगठनों में पावन विकास करा सकता है। प्रचार प्रसार के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाकर सहकारी संगठनों को सही दिशा प्रदान की जा सकती है।

हमें यह पता होना चाहिए कि सहकारिता के प्रमुख पांच लाभ होते हैं - 

1. आर्थिक, 2. सामाजिक, 3. राजनीतिक, 4. नैतिक, 5. शिक्षात्मक।

 कुल मिलाकर सही तरीके से कार्य करके, सहकारी समितियों से लाभ प्राप्त करके किसानों, मजदूरों को आर्थिक दृष्टि से मजबूती प्रदान की जा सकती है।


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