Sarita Kumar

Tragedy

4.2  

Sarita Kumar

Tragedy

शिवानी सिंह

शिवानी सिंह

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हिंदी दिवस कि बधाई एवं शुभकामनाओं के साथ आज मैं अपनी एक छात्रा को विनम्र श्रद्धांजलि देना चाहती हूं जिसने हिंदी पाठ के प्रारंभिक स्वर वर्ण और व्यंजन वर्ण को बेहद रोचक तरीके से सुनाया करती थी और सच कहूं तो मैंने उससे सीखा और अपने विद्यालय के बच्चों को सिखाया करती थी । वो नन्ही सी गोल मटोल शिवानी सिंह न जाने कब इतनी बड़ी हो गई और ‌उसने अपने पारिवारिक माहौल को सुखमय और शांतिपूर्ण बनाने के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी । शिवानी सिंह अपने माता पिता की पहली संतान कन्या के रूप में जन्म ली थी जो की उसकी दादी मां को स्वीकार नहीं था । उसकी मां को उसके जन्म लेने पर प्रताड़ित किया जाता था और घर से भी निकाल दिया गया था । जब शिवानी सिंह बड़ी होने लगी तब उसे एहसास हुआ कि अगर उसका अस्तित्व खत्म हो जाए तब उसकी मां उसके पिता के साथ अपने घर में खुशहाल जीवन बिता सकती है । यह ख्याल आते ही उसने योजना बनाई और अपनी दादी मां को एक ख़त लिखा कि अब वो जा रही है उसकी अंतिम इच्छा है कि उसकी मां पिताजी के साथ अपने घर में सकुशल रहें । उसके बाद उसने जो किया वह बेहद दर्दनाक और असहनीय था । 

इस घटना ने न सिर्फ उसके परिवार को बल्कि हमारे समाज को भी बड़ा सदमा दिया और एक सीख भी । अब शिवानी सिंह नहीं है इस संसार में । पच्चीस साल गुजर चुके हैं लेकिन आज भी उसकी आवाज़ मेरे कानो में गूंजती है । अभी जब नातिन को पढ़ाने के लिए बैठती हूं अ से अनार , आ से आम .......... फिर मैं खामोश हो जाती हूं । 


सूर लय में उसके मुख से स्वर वर्ण के अक्षर कविता रूप में कुछ इस तरह थी .........


अ से अनार के दानें लाल 

सबको यह लुभाते हैं ।


आ से आम फलों का राजा

खाकर होते मोटा ताजा ।


इ से इमली खट्टी खट्टी 

सूरत हमारी बिगाड़ देती ।


ई से ईख देता है सीख 

मिट कर भी देता मिठास ।


उ से उल्लू रात को जागे 

दिन में वो चादर तानें ।


ऊ ह ऊन सर्दी से बचाए 

दादी नानी बुनते जाएं ।


ए से एडी कद को बढ़ाए

उचका कर बच्चे खुश हो जाएं ।


ऐ से ऐनक , रौनक बढ़ाए 

नाक पर जब वो चढ़ जाए ।


ऋ से ऋषि , सबक सिखाएं 

हम सबको ज्ञानी बनाएं ।


ओ से ओखली , धान कूटे सब 

साफ और सुंदर चावल बनाएं ।


औ से औरत घर को बनाए 

स्वर्ग से सुंदर घर को संवारे ।


अं से अंगूर , मिलें तो मीठा 

ना मिले तो खट्टे कहलाए ।


अ: से अ: अब हम सो जाए 

स्वर का पूरा ज्ञान दिए बांटे।


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