शीर्षक-शांत
शीर्षक-शांत


आरती ने सुधा से कहा "तुझे पता है हमारी कॉलोनी में जो दादा अकेले रहते थे जिनको उनके बच्चे साथ में नही रखकर यहाँ एक किराये के मकान में छोड़ कर खूद कभी कभी आते जाते रहते थे ओर जब भी आते उनकी पेंशन के लिए लड़ाई झगड़ा कर उत्पात मचाते थे वही दादा शांत हो गये, उनकी शोक सभा का आयोजन है हमे बैठने चलना है"
सुधा "ठीक है मैं सीमा को बताकर आती हूँ तू चल "
सुधा ने सीमा के घर जाकर आवाज लगाई " सीमा सून अपने पड़ोसी दादा शांत हो गये हैं उनकी शोक सभा रखी है तू भी चल इतने समय से हमारी कॉलोनी में रहते थे।
सीमा "अच्छा वो दादा जिसकी 25000 पेंशन थी और उसके लिए उनके सभी बच्चे झगड़ते रहते थे "
सुधा " हाँ वही "
सीमा " सुधा मुझे लगता है कि, सही माइने में दादा शांत नहीं हुऐ वो तो वीर गती को प्राप्त हो गये।
सुधा " सीमा तू ये क्या बोल रही है ?
सीमा "सच कह रही हूँ दादा का अंत समय तक बच्चों के साथ पेंशन व संपत्ति के लिए युद्ध चलता रहा और आखरी तक लड़ाई करते करते वो दादा वीर गती को प्राप्त हो गऐ या यूँ समझो शहीद हो गऐ।
सुधा " सीमा रहने दे अब ठिक है, उनके बच्चे संपत्ति के लिए तूफान मचाते थे पर अब दादा शांत हो गऐ,गुजर गऐ।
सीमा " सुधा सून, सच कहूँ तो दादा शांत नहीं हुऐ बल्की उनके बिगड़े हुऐ लड़ाकू बच्चे (दिमाग से) शांत हो गऐ। अब न कोई लड़ाई ओर ना ही कोई झगडा।
दादा गुजर नहीं गऐ बल्कि एक नये सफर पर निकल गऐ।