शीर्षक- जिम्मेदारी
शीर्षक- जिम्मेदारी
रिया खुश थी उसे आज उसका दिनेश बाजार में सड़क पार करते हुए दिखाई दिया। कालेज के दिनों में पटाखा दिखने वाली सुंदरी को पहचानने में इतना समय लगा। दिनेश लाल बत्ती में कार के काले चश्मे से भीनी भीनी मुस्कान देकर हार्न बजाने लगा। रिया चौक कर गुस्से से बोली हम बहरे नहीं हार्न इतनी जोर से क्यों बजा रहे है जनाब....दिनेश ने रिया के हाथ थाम कर कार की सीट पर बैठा लिया। अरे! तुम...हाँ परियों की शहजादी शादी हो गई मैडम की। चलो काफी पीते है। रिया आज बहुत दिनों बाद खुल कर हँसी तुम बिल्कुल नहीं बदले। आज भी शरारती पन रिया ने कहा। पिता जी के जाने के बाद शादी की जिम्मेदारी में दोस्ती, मुस्कुराना खुश होना भूल गयी थी। आज कितने अर्से बाद खुशी का अनुभव हो रहा है। दिनेश बोला मेरी पत्नी पक्की बहुत खुशमिजाज है। हम सुखी है। रिया का हाथ पकड़ कर सहलाते हुए दिनेश बोला रोहन की मृत्यु के बाद तुमने बड़ी सहजता से सब सम्हाल लिया। सास ससुर की जिम्मेदारी। मुझे गर्व है कि तुम मेरी दोस्त हो।
ऐसी मिसाल जो बहुत होकर एक अच्छी बेटी का फर्ज निभा रही हो। अच्छा अब चलो माँ बाबू जी चिंता कर रहे होंगे दिनेश। अपने परिवार को लेकर हमारे घर जरूर आना।