शैतानियत - 01
शैतानियत - 01
बीस तारीख की घटना
लेखक: मिखाइल बुल्गाकव
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
उस समय, जब सब लोग एक नौकरी से दूसरी पर उछल रहे थे, कॉम्रेड करत्कोव दृढता से प्रकेआमासा (प्रमुख केन्द्रीय आधार माचिस सामग्री) में क्लर्क की सरकारी नौकरी कर रहा था और वहाँ पूरे ग्यारह महीनों से काम कर रहा था.
‘मासा’ में तपने के बाद, नाज़ुक, खामोश तबियत भूरे बालों वाले करत्कोव ने अपने मन से इस ख़याल को पूरी तरह मिटा दिया था कि दुनिया में तथाकथित किस्मत के उलटफेर भी होते हैं, और उसके बदले उसने ये विश्वास पाल लिया था कि वह, करत्कोव – मासा में दुनिया में ज़िंदगी ख़त्म होने तक काम करता रहेगा. मगर, आह, ऐसा बिलकुल नहीं हुआ...
20 सितम्बर 1921 को ‘मासा’ के कैशियर ने अपनी घिनौनी लम्बे कानों वाली टोपी पहनी, ब्रीफ़केस में ‘अथोरिटी लेटर’ रखा और चला गया. यह हुआ आधी रात के ग्यारह घंटे बाद.
वापस लौटा कैशियर दोपहर के साढ़े चार बजे, पूरी तरह गीला. वापस आने पर उसने टोपी से पानी झटका, टोपी को मेज़ पर रखा, और कैप पर ब्रीफ़केस रखी और बोला:
“धक्का मत दीजिये, जनाब.”
फिर उसने मेज़ की दराज़ में कुछ टटोला, कमरे से बाहर निकल गया और पंद्रह मिनट बाद एक मरी हुई मुर्गी लेकर आया, जिसकी गर्दन मरोड़ी हुई थी.
मुर्गी को उसने ब्रीफ़केस पर रखा, मुर्गी के ऊपर - अपना दायाँ हाथ रखा और बोला:
“पैसे नहीं मिलेंगे.”
“कल?” – महिलाएं एक सुर में चिल्लाईं.
“नहीं,” कैशियर ने सिर हिलाया, “और कल भी नहीं मिलेंगे, और परसों भी नहीं. ऐसे चढ़ो नहीं महाशयों, वरना, कॉमरेड्स, आप मेरी मेज गिरा देंगे.”
“क्यों?” भोले-भाले करत्कोव समेत सब चिल्लाए.
“नागरिकों!” रोनी आवाज़ में कैशियर गाने लगा और उसने कोहनी से करत्कोव को झिड़का. “मैं आपसे विनती करता हूँ!”
“अरे, ऐसा कैसे?” सब चिल्लाए और सबसे ऊँची आवाज़ में ये जोकर करत्कोव.
“खैर, फरमाइए,” भर्राई हुई आवाज़ में कैशियर बडबडाया और, ब्रीफ केस से ‘अथोरिटी लेटर’ निकालकर करत्कोव को दिखाया.
उस जगह के ऊपर, जहाँ कैशियर की गंदी उंगली गडी थी, लाल स्याही से तिरछा लिखा हुआ था:
“धन राशि दी जाए.”
हस्ताक्षर - सुबोत्निकव के लिए – सिनात.”
उसके नीचे बैंगनी स्याही में लिखा था:
“पैसे नहीं हैं.”
हस्ताक्षर – इवानोव के लिए – स्मिर्नोव”.
“ऐसा कैसे?” अकेला करत्कोव चीखा, और बाकी के, हांफते हुए कैशियर के ऊपर पिल पड़े.
“आह, मेरे खुदा!: वह बदहवासी से चिल्लाया. “इसमें मेरा क्या कुसूर है? मेरे खुदा!”
जल्दी से अथोरिटी लेटर ब्रीफ़केस में घुसाकर, उसने टोपी पहन ली, ब्रीफकेस बगल में दबाई, मुर्गी बगल में दबाई और चिल्लाया: “जाने दीजिये, प्लीज़!” – और ज़िंदा दीवार में दरार बनाकर वह दरवाज़े में गायब हो गया.
उसके पीछे कीं-कीं करते हुए बदरंग, ऊँची, नुकीली एडियों वाले जूतों में रिसेप्शनिस्ट भागी, बाईं एडी ठीक दरवाज़े के पास चरमरा कर गिर गई, रिसेप्शनिस्ट लड़खड़ाई, उसने पैर उठाया और जूता निकाल दिया.
और कमरे में वह रह गई – एक नंगा पैर लिए, और बाकी सब, जिनमें करत्कोव भी था.