Sudershan kumar sharma

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Sudershan kumar sharma

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सच्चाई

सच्चाई

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दिल किसी का दुखाना मुझे आता नहीं, 

यही ऐब समझो मेरा जो कभी गिना जाता नहीं। 


रखता हुं भरोसा सच्चाई पे अक्सर,

ख्वाब से मेरा कोई नाता नहीं। 


सभी जानते हैं कितनी गुरबत में  है रकीब,

मदद करने की हिम्मत कोई जुटाता नहीं। 


थीं रौनकें जिनकी महफिलों मे कभी,

उनकी महफिलों में अब कोई जाता नहीं। 


मदद हमेशा गरीबों की करे

मिलता यहां में ऐसा कोई दाता नहीं। 


खुशी ही खुशी मिले हर पल

ऐसा दौर तो कभी आता नहीं। 


कर ले भला खुद पे यकीं रख कर सुदर्शन,

बरना यकीं किसी पे आता नहीं। 


कौन पाक दिल है, कौन रखता है नफरत सदा

आजकल कोई आजमाता नहीं। 


कईं रंगों में डूब चुकी है ये

दूनिया सुदर्शन, एक रंग किसी को भाता नहीं। 


अलग अलग रास्ते पे भड़के हैं सभी, आखिर में एक ही है

मंजिल  क्यों कोई आजमाता नहीं। 



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