Rajeev Kumar

Romance

3.7  

Rajeev Kumar

Romance

सच्चा प्यार

सच्चा प्यार

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गुमसूम सी अपनी चाल में रही नताशा को अब किसी भी तमाशा से मोह नहीं रहा। किसी तमाशा से मोहित होकर, वो दुनिया के लिए तमाशा नहीं बनना चाहती थी। उस दर्द-पीड़ा को सह लेने के बाद नताशा को कई अच्छी चीजें भी तमाशा लगने लगी थी।

चलते-चलते नताशा को एहसास हुआ कि कोई परछाई सी उसके एक कदम चल रही है। वो परछाई कभी दाँई तो कभी बाँई तरफ हो रही है और क्रमशः बड़ी और छोटी होती जा रही है परछाई। नताशा ने पीछे मुड़ कर देखा, वो समीर था, जिससे एक दो बार ही मुलाकात हुई थी।

सामने आकर समीर ने कहा ’’ हाय नताशा। ’’

नताशा ने पुछा ’’ कहो क्या है ? ’’ नताशा की मरी-मरी सी मगर थोड़ी नम आँखें समीर को एकटक निहार रही थी। 

’’ क्या हमलोग साथ-साथ चल सकते हैं ? ’’ 

’’ ऑफकोर्स, क्यों नहीं, साथ-साथ चलते-चलते जब तुम्हारी बातें खत्म हो जाए तो तुम अपने रास्ते और मैं अपने रास्ते। ’’ समीर के प्रश्न पर नताश का यह उत्तर समीर को सकपका देने के लिए काफी था।

स्मीर कुछ गहरा सा सोचते हुए अपने रास्ते हो लिया।

अगले दिन नताशा यह देखकर भौचक्की रह गई कि रास्ते पर समीर पहले से मौजूद था। नताशा समीर की तरफ वगैर देखे हुए आगे बढ़ गई, तो समीर ने आगे बढ़कर नताशा का रास्ता रोक लिया। नताशाने गुस्सा कर पुछा ’’ कहो क्या है ? ’’

समीर ने जवाब में कहा ’’ नताशा बहूत सोचा मैंने, साथ-साथ चलने का मतलब दो चार कदम चलने से नहीं है, बल्कि जिन्दगी भर साथ चलना चाहता हूँ, आई लव यू नताशा, मैं तुमसे बहूत प्यार करता हूँ नताशा। ’’

नताशा ने सिर्फ इतना कहा कि ’’ ऐसी फालतू बातें में पसंद नहीं करती, प्लीज ऐसी बातों को लेकर मेरा रास्ता मत रोकना। ’’ नताशा अपनी बात खत्म करके आगे बढ़ गई तो समीर देखता ही रह गया, मगर उसने जोर की आवाज लगा कर कहा ’’ तुम्हारे जवाब का इन्तजार रहेगा नताशा।’’

नताशा के जवाब की कल्पना में समीर आधी रात तक करवटें बदलता रहा था। और उसको नींद तब आई जब उसके मन-मंदिर में बैठी नताशा की काल्पनिक छवी ने खुद कहा ’’ सो जाओ, और हमको भी सोने दो प्लीज। ’’

रास्ते पर सीमर को खड़ा देखकर, नताशा झूंझला सी गई मगर सीमर को उसकी झूंझलाहट की भनक तक न लगी, समीर ने दिवानेपन में चंचल अंदाज में पुछा ’’ क्या जवाब है तुम्हारा, मैं इस इन्तजार में सारी रात नहीं सोया। ’’

एक तमाचा पड़ते ही नताशा की झूंझलाहट का एहसास हुआ। समीर का बाँया गाल लाल और दोनों आँखें नम हो गई। बड़ी ही मुश्किल से समीर ने अपने गुस्से पर काबू किया।

गुस्सा अब नताशा के लिए पछतावे का सवब बन गया, नताशा की गंगा-यमूना बन चूकी आँखों ने समीर के नमा हो चूकी आँखों को एकटक निहार कर कहा ’’ क्या जानते हो मेरे बारे में ? मैं गोरी हूँ, सून्दर हूँ, इसलिए सिर्फ मुझे चाहते हो न ? सच्चाई जानकर तुम मेरे साए से भी नफरत करोगे। ’’

समीर ’’ कौन सी सच्चाई ? ’’

नताशा बदहवाश सी कहने लगी ’’ मेरी इज्जत लूट चूकी है। मेरे पास अब कुछ भी नहीं बचा है। आत्महत्या के ख्याल को जिम्मेदारियों ने तर कद दिया वरणा। ’’ नताशा सिर झुकाकर सीसकने लगी थी।

समीर ने मायुसी भरी ठंडी आँहें भरकर कहा ’’ ये तो तूम कह रही हो कि मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है, मगर हमको एहसास है कि तुम्हारे पास एक टूटा हुआ दिल है, वहीं हमको दे देना, जोड़ेने की कोशिश जिन्दगी भर करूंगा। ’’ समीर ने बाँहों को पकड़ा तो नताशा उसकी बाँहों में समा गई, मगर कसमसाहट अब भी बरकरार थी।



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