हरि शंकर गोयल

Children Stories Comedy

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हरि शंकर गोयल

Children Stories Comedy

सबसे बड़ा मूर्ख

सबसे बड़ा मूर्ख

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यह रचना "जली कटी सुनाना" मुहावरे का प्रयोग कर के लिखी गई है । 


सेठ हजारी लाल और सेठ छदामीलाल दोनों बड़े घनिष्ठ मित्र थे । खूब छनती थी दोनों में । "चमड़ी जाये पर दमड़ी ना जाये" वाली प्रवृत्ति के इंसान थे दोनों । उन्हें नौकर की जरूरत थी तो नौकर रख लिया पर कम पगार लेने वाला नौकर रखा । नौकरों में जितनी बुद्धि थी उसी के अनुरूप काम करते थे दोनों । नौकर हर बार गलती करते थे और सेठ जी उन्हें हर बार "जली कटी सुना देते थे" । मगर नौकरों पर इसका कोई असर नहीं होता था । उन्हें समझ ही नहीं आता था कि सेठजी उनका अपमान कर रहे हैं या सम्मान । कम पगार पाने वालों से बुद्धिमत्ता की उम्मीद करना बेमानी है । 


सर्दियों में एक दिन दोनों सेठ एक पार्क में बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे । सेठ हजारी लाल बोले "यार, वैसे तो जिंदगी बढिया कट रही है पर मैं अपने नौकर भोला से बहुत परेशान हूं" । 

"क्यों ? क्या हो गया भोला को" ? 

"हुआ कुछ नहीं है यार , वह मूर्ख है । बस, यही परेशानी है" 

"बस इतनी सी बात ? मेरा नौकर मुंगेरी तो महामूर्ख है" 

"अरे ऐसा है क्या ? चलो दोनों की परीक्षा लेते हैं कि कौन मूर्ख है और कौन महामूर्ख" हजारीलाल ने कहा और अपने नौकर भोला को इशारे से बुलाया । भोला सेठ हजारीलाल की सेवा में हाजिर हो गया । सेठ ने उसे 10 रुपए का नोट पकड़ा कर कहा 

"ले भोला, 10 का नोट ले जा और एक मोबाइल लिया" 

भोला 10 का नोट लेकर "जो हुकम" कहकर चला गया । 


सेठ हजारीलाल ने सेठ छदामीलाल से कहा "देखा, कितना बड़ा मूर्ख है ये भोला ! 10 रुपए में कोई मोबाइल आता है क्या ? कहां से लायेगा ये मोबाइल ? बाजार का चक्कर काटकर आ जायेगा और क्या करेगा" ? 

"वास्तव में सही कहते हो सेठजी , भोला तो वास्तव में निरा मूर्ख है । पर मेरे नौकर मुंगेरी की मूर्खता भी एक बार देख लो । फिर तय करेंगे कि कौन ज्यादा मूर्ख है" । और सेठ छदामीलाल ने अपने नौकर मुंगेरी को इशारे से बुलाया । मुंगेरी सेठजी की सेवा में हाजिर हो गया । सेठ छदामीलाल ने कहा 

"मुंगेरी , मेरी दुकान पर जाकर देखकर आ कि मैं वहां पर हूं कि नहीं ? और हां, जरा जल्दी आना"

इतना सुनते ही मुंगेरी दौड़कर सेठजी को देखने चला गया । उसके जाते ही सेठ छदामीलाल खिलखिला कर हंस पड़े और हंसते हंसते बोले "देखा ! है न महामूर्ख ! मैं तो यहां बैठा हूं फिर भी वह मुझे देखने मेरी दुकान पर गया है" । 


सेठ हजारीलाल ने स्वीकार कर लिया कि सेठ छदामीलाल का नौकर मुंगेरी महामूर्ख है और भोला केवल मूर्ख है । 


उधर दोनों नौकर एक चौराहे पर मिल गये । दोनों एक दूसरे से परिचित थे इसलिए राम राम करके भोला बोला 

"भैया मुंगेरी , यहां कैसे आना हुआ" ? 

"हां भैया भोला, पहले तुम बताओ कि कहां जा रहे हो" 

"अरे का बताऐं भैया जी , हमारा सेठ एकदम मूर्ख है । हमको 10 का नोट पकड़ा कर कहता है कि जाओ, बाजार से मोबाइल ले आओ । अब तुम ही बताओ भैया मुंगेरी कि आज रविवार को बाजार खुलता है क्या ? अगर खुलता तो हम 10 रुपए में चार मोबाइल ले आते" भोला झल्ला कर बोला 

"अरे का बतायें भोला भैया कि हमारा सेठ कितना बुड़बक है ! हमसे कहा कि जाओ देखकर आओ कि सेठ जी अपनी दुकान पर बैठे हैं कि नहीं ? अब इससे बड़ा मूरख और कौन होगा इस दुनिया में ? एक फोन घुमाकर दुकान से पूछ भी तो सकता था कि वह वहां पर है या नहीं ?हमें इतनी दूर भेजने की क्या जरूरत थी ? मगर सेठ मूरख ठहरा तो कैसे पूछता" ? 

"सही कह रहे हो भैया, तुम्हारा सेठ हमारे सेठ से ज्यादा मूर्ख है" । 


दोनों नौकर वापस आ गये । भोला सेठ हजारीलाल से बोला "आज रविवार है सेठजी इसलिए बाजार बंद हैं । कहो तो कल ले आऊं" ? 

"नहीं, रहने दे । मैं ही ले आऊंगा" । सेठ हजारीलाल ने कहा और 10 का नोट वापस ले लिया । 


इतने में मुंगेरी आ गया और कहने लगा "सेठजी, मैं आपकी दुकान पर गया था मगर वहां पर कोई नहीं था इसलिए मैं आपके बारे में किससे पूछता कि आप वहां हैं या नहीं ? जब आप दुकान चले जाओ तो मुझे बता देना फिर मैं आपसे पूछकर आपको बता दूंगा" । मुंगेरी सिर झुकाये बोला 

"ठीक है, तू जा" । सेठ छदामीलाल ने कहा । 


उन दोनों के जाने के बाद दोनों सेठ ठठाकर हंस पड़े । अब आप लोग बतायें कि इनमें सबसे बड़ा मूर्ख कौन है और क्यों ? 


 



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