रंग बरसे
रंग बरसे
कहानी विधा हिन्दी साहित्य की भाव संप्रेषण की सशक्त विधा है जिसमें संवेदनाओं का प्रस्फुटन,संघर्ष और द्वंद्व एक बिंदु पर आकर पाठक को अभिभूत कर देता है। प्रस्तुत कहानी एक ऐसे ही द्वंद्व को लेकर चल है। आशा करती हूँ आपको अवश्य ही प्रभावित करेगी।
दिन निकल आया था। हल्की धूप की लालिमा से आकाश चंपई रंग से रंग गया था। साजिद ने अंगड़ाई ली और घबरा कर उठ बैठा। सोचने लगा, ‘मैं इतनी देर कैसे सोता रहा’। आज किरण के पिताजी का आँखों का ऑपरेशन होने वाला है। रूपयों का इंतज़ाम करना है। किरण बहुत दुखी था। वह आधी राशि का बहुत मुश्किल से इंतज़ाम कर पाया था।
साजिद दस मिनट में तैयार हुआ। बाहर आकर अपनी मोटरसाइकिल निकाली और तेज़ी से किशनजी के पास चला। कल ही बात कर ली थी। उन्होंने चालीस हज़ार देने का वादा किया था। कुछ ही समय तो हुआ था उसे लेकर। मोटरसाइकिल किशनजी को बेचकर पैसा जेब में रखा और ऑटो बुला कर हॉस्पिटल निकल गया।
पैसा काउंटर पर भरकर वह कमरे में पहुँचा।
पिताजी को ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया और ऑपरेशन सफलता से हो गया।
किरण इतना दबाव में था कि पूछना ही भूल गया कि पैसे कहाँ से आए थे!
ऑपरेशन के बाद जब पिताजी को होश आया तो किरण की जान में जान आई। पूरे वक़्त साजिद उसके साथ था। हर एक जरूरत को पूरा करता हुआ लेकिन इस दौरान कभी यह प्रकट नहीं होने दिया कि वह पैसा कहाँ से लेकर आया था।
शाम को जब दोनों मित्र घर जाने लगे तो मोटरसाइकिल न पाकर किरण ने जानना चाहा कि क्या हुआ? मोटरसाइकिल कहाँ गई?
साजिद ने बात हवा कर दी और छुपा दिया।
किरण को घर जाकर पता चला कि साजिद ने मोटरसाइकिल बेच दी। उसे बहुत दुख हुआ और साथ ही साथ अपनी दोस्ती पर गर्व हुआ। वह उसके एहसान तले दब गया।
आज पिताजी की आँखों की पट्टी खुलने वाली थी। किरण पिताजी के सामने खड़ा था। पिताजी ने धीरे-धीरे आँखें खोलकर देखा और पाया साजिद परदे के पीछे खड़ा था क्योंकि उस घर में उसके प्रति कभी आदर और प्रेम नहीं था। केवल किरण के साथ ने ही बाँध कर रखा था।
पिताजी ने कहा, ‘किरण अपने बड़े भाई को इधर बुलाओ! वह परदे के पीछे क्या कर रहा है?’
साजिद आश्चर्य चकित सा किरण को ताकने लगा।
पिताजी ने कहा,’ ‘साजिद क्षमा करना बेटा, तुम्हें पहचानने में देर हो गई। किरण ने सब बता दिया है।’
साजिद ने पिताजी के पैर छुए ! पिताजी ने गले से लगा लिया।
किरण ने मुस्कुराते कहा, पिताजी इस बार की होली तो और भी रंगीन होगी। हम सब साथ मिलकर रंग खेलेंगे।
दोनों मित्र गले लग गए !