रंग बदलता प्यार

रंग बदलता प्यार

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एक लड़का था, आवारा सा। पढ़ता तो था पर पास घसीट के होता था। कोई काम नहीं बस इधर उधर घूमते रहना। आवारा होते हुए भी बदमाश नहीं था, बस कुछ करना नहीं चाहता था या कह लो कि ज़िन्दगी में कोई लक्ष्य नहीं था। 

मां बाप भी ज्यादा समझाते नहीं थे। पिता बिजनेस में बिज़ी और मां घर और किट्टी पार्टियों में बिज़ी। एक बहन को ही लगता था कि भाई थोड़ा सुधर जाए , पढ़ लिखकर कुछ बन जाए। लेकिन वो बहन की बात नहीं सुनता था, छोटी जो थी उससे। 


एक दिन बहन की कोई नई सहेली घर पर अाई और लो जी हमारे हीरो तो पहली नज़र में दिल दे बैठे। उसके जाते ही बहन से सारी डिटेल्स निकलवाई। बहन ने डिटेल्स तो दे दी पर ये भी बता दिया कि भाई तू उसके लायक नहीं है। वो तो बहुत इंटेलीजेंट है, हमेशा क्लास में फर्स्ट आती है और बड़ा ऊंचा लक्ष्य है उसका। तुम तो उसके आगे पानी भी नहीं भरते। उसके सपने मत देखो।

भई हीरो के तो दिल में आग सी लग गई। ठान लिया उसने कुछ करके दिखाना है। अगले दिन का टाइम टेबल भी बना लिया पढ़ने का। दो ट्यूशन भी रख ली। खूब मेहनत की। रिजल्ट भी ठीक ही आ गया। खुश हो कर बहन के सामने गया। सीना ठोक कर अपना रिजल्ट बताया 50 परसेंट नंबर आए। बहन खुश हुई कि 40 से 50 पर तो आया। लेकिन उसने भाई को समझाया कि ये नंबर उस लड़की को पसंद नहीं आएंगे। और मेहनत करो।

हमारा हीरो और कड़ी मेहनत में लग गया। एक दिन हीरोइन मिठाई का डिब्बा लेकर अाई।जब हीरो ने दरवाज़ा खोला तो सबसे पहले उसी का मुंह मीठा करवाया। हीरो तो जी बहुत खुश अब। खाते खाते पूछा, लड्डू किस खुशी में। हीरोइन ने शरमा कर कहा, मेरी सगाई हो गई।

हाय ये क्या , लड्डू तो गले में ही फंस गया। आंखों से पानी बहने लगा। चुपचाप हीरो दूसरे कमरे में चला गया। अगले दिन से वही हमारा पुराना हीरो बस इस बार शक्ल भी लटकी हुई थी। 

2 महीने तक हीरो दुख मनाता रहा तभी उसकी नज़र सामने घर पर गई जहां आज ही नए किरायेदार आए थे। अरे वहां तो सुंदर सी लड़की भी थी जो पड़ोसी होने के नाते हीरो को देख मुस्कराई। बस फिर क्या, हीरो ने फिर से अगले दिन की प्लानिंग बनाई।


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