रक्षा कवच
रक्षा कवच
"ए कजरी तू कभी अपने आप पर भी ध्यान देती है या नही,पहले तो तेरे चेहरे पर ये एक फोड़ा ही था। अब उसके पास ये छोटी छोटी फुंसियां भी हो गई है।जिसके कारण ही तो तू अपनी उम्र से काफी बड़ी व बदसूरत नजर आती है।"
आज मालकिन ने घर की सफाई करती कजरी से कहा।जिसपर हमेशा की तरह आज फिर वो खामोश ही थी।
यह देख मालकिन उसे समझाती हुई बोली,"सुन कजरी तू इसका कुछ उपचार आखिर क्यों नही करती।अब तो अस्पताल में इसका इलाज भी सम्भव है।हां अगर तू कहे तो मैं तेरे साहब से बात करूं।"
"मालकिन आप तो जानती की मैं एक अनाथ हूँ, और घरों की सफाई के लिए मुझे दूर तक जाना होता है। तब मेरे चेहरे का यही फोड़ा, सड़क चलते बुरे लोगों की नजर मुझपर टिकने नही देता। "अपना सिर व नजर झुकाए अब कजरी धीरे से बुदबुदाई।