रिश्ते
रिश्ते
'माॅम तुम आज भी ये स्वेटर बुनती रहती हो कौन पहनता है आजकल ये...एक से एक रेडिमेड स्वेटर मिलते हैं फिर क्यों तुम अपना टाईम बर्बाद करती हो ?'
'मैं स्वेटर नही रिश्तों को बुनती हूॅं सारे रिश्ते बिखर गये हैं...उनको स्वेटर के ज़रिए समेट रही हूॅं।'
'माॅम तुम्हारी बातें मुझे ज़रा भी समझ नही आती।'
'बेटा तुम लोगों की इसी नासमझी के कारण ही तो मुझे आज भी रिश्तों का स्वेटर बुनना पड़ रहा है।'