रिक्शा
रिक्शा
आजकल मौसम बड़ा अजीब हो गया है; कभी धूप कभी पिचिर- पिचिर बरसात फिर कभी तेज झमाझम और पानी रुकते ही उमस भरी गर्मी हो जाती है।
डॉ शेखर अपने हॉस्पिटल से बाहर निकले लंच टाइम में घर जाना है लेकिन बाइक चालू ही नहीं हो रही, शायद आज का दिन ही कुछ अजीब था सुबह घर से निकले तो कार पंचर थी; तभी बाइक से आना पड़ा और अब बाइक भी स्टार्ट नहीं हो रही है।
शेखर ने इधर-उधर देखा फिर सड़क के दूसरी तरफ रिक्शा लिए खड़े छुट्टन को हाथ से आने का इशारा किया। छुट्टन अक्सर यहीं खड़ा रहता है क्योकि अस्पताल के बाहर सवारियां आसानी से मिल जाती हैं। शेखर का इशारा देख, छुट्टन ने अपने पेट पर बंधा कपड़ा ठीक किया और सड़क के इस पार आ गया।
"जी बाबू जी कहां चलना है?"
"अरे भाई तुम ही ले चलो घर, जोरों की भूख लगी है........."
"चलिए बैठिये साहब।"
शेखर के बैठने के बाद वह रिक्शा चलाते हुए छुट्टन आगे बढ़ चला। जिंदादिल और बातूनी आदत के कारण शेखर छुट्टन से बातें करने लगे और वह रिक्शा चलाता रहा।
"दाल रोटी चल जाती है रिक्शे से?"
"साहब नमक से रोटी खा लेते हैं इतना मिल जाता है।"
"कितने लोग हो घर में?" शेखर बोला।
"मेरी घरवाली और दो बच्चे हैं; बीवी दूसरों के घरों में साफ सफाई का काम कर लेती है, उससे भी कुछ कमाई हो जाती है।" छुट्टन ने बोलते हुए बीच-बीच में पेट पर बंधे कपड़े पर हाथ फिरते हुए रिक्शे की गति भी धीमी कर दी। तभी बारिश फिर से शुरू हो गई।
"बस आगे दाएं तरफ रोक देना......." शेखर बोला।
प्रिया को आज जल्दी घर जाना था लेकिन बारिश के कारण अपनी स्कूटी लेकर एक पेड़ की छाया में रुकी है।रिक्शा रुकते ही शेखर उतर कर पैसे निकालने लगा तभी छुट्टन लड़खड़ा कर गिरने लगा।डॉ शेखर जल्दी से उसे संभालते हुए बोला, "अरे आराम से भाई......क्या हो गया?"
शेखर ने देखा छुट्टन की कमर पर बंधा कपड़ा भीग कर लाल हो गया था
"क्या!.. क्या!.. है? कैसा रंग है ?"__शेखर ने पूछा।
छुट्टन नीचे बैठ गया जमीन पर।
कुछ अनहोनी की आशंका पाकर प्रिया भी रोड के दूसरी तरफ से रिक्शे के पास आ गई।छुट्टन ने पेट पर बंधा कपड़ा खोल दिया उसके पेट पर फोड़ा था, जिसमें से रक्तस्राव हो रहा था।
"अरे तुम इतना बीमार हो तो रिक्शा क्यों खींच रहे थे?" डॉक्टर ने चिंतित हो कर कहा।
"साहब ऑपरेशन के लिए पैसे इकट्ठा करने हैं रिक्शा तो चलाना ही पड़ेगा......" वह दर्द भरी आवाज में बोला।
"सुनो अभी मेरे हॉस्पिटल जाओ शाम को मैं तुम्हारा इलाज शुरू कर दूंगा और हां अपनी पत्नी को कहना अस्पताल आ जाए कमरों की साफ सफाई का काम उसको दे दिया जाएगा........" शेखर ने चिंता से उसकी और देखते हुए कहा।
प्रिया ने ऊपर आसमान की तरफ देखकर भगवान का धन्यवाद अदा किया, अभी भी ऐसे लोग हैं जिनमें मानवता बाकी है; अब इस गरीब रिकशा वाले का इलाज हो जाएगा वह ठीक हो जाएगा यह सोचकर प्रिया को सुकून मिला।