रानी
रानी




बात उसकी मेहनत की न थी.
बात उसकी कलाकारी की भी न थी.
कीमत भी ख़याल में दूर दूर तक न थी.
बात बस इतनी सी थी कि उसके हाथ से
पिरोया गया वह हार, रानी के गले में पहनी जानी थी.
उसके लिए बस यही जीवन भर की कमाई थी.
वैसे इस कलाकार का नाम रानी ही था।