Akanksha Gupta

Drama

3  

Akanksha Gupta

Drama

राह

राह

2 mins
294


चॉल में तैयारी चल रही थीं। सब तरफ भागदौड़ चल रही थीं। महेंद्र के घर लोगों की भीड़ जमा थीं। सभी लोग महेंद्र को बधाई दे रहे थे। महेंद्र की माँ ने नए कपड़े पहन रखे थे। आज उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था क्योंकि आज उसका सिर गर्व से ऊँचा हो गया था। महेंद्र का चयन सिविल सर्विसेज के लिए जो हो गया था।

आज से पच्चीस साल पहले जब महेंद्र का जन्म हुआ था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि महेंद्र क़भी इस मुकाम पर पहुंच भी पाएगा लेकिन आज उसने अपनी मेहनत के बल पर इस मुकाम को हासिल किया है।

जन्म से ही महेंद्र की आँखों की रोशनी कुछ कम थी। उसे कुछ भी साफ दिखाई नहीं देता था। चॉल में सब लोग उसके भविष्य की चिंता करते थे। दिखाई ना देने की वजह से उसके लिए चलना मुश्किल हो रहा था। वो किसी बच्चे के साथ खेल नहीं पाता था। सभी बच्चे उसका हौसला बढ़ाते थे। उन्होंने उसके हिसाब से कुछ खेल भी बना रखें थे। महेंद्र के माता पिता को हर समय उसकी चिंता लगी रहती थीं।

महेंद्र की माँ किसी के घर खाना बनाने का काम करते थीं। उन्होंने महेंद्र की माँ को बताया उनके पति एक स्वयंसेवी संस्था से जुड़े हुए थे जो दृष्टिबाधित बच्चों के लिए काम करती हैं। वहाँ ब्रेल लिपि से महेंद्र अपनी पढ़ाई कर सकता था। 

बस फिर क्या था, महेंद्र की ज़िंदगी एक दम से बदल गई। उसने मन लगाकर पढ़ाई करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी। कदमों की गिनती के साथ वो चलना भी सीख रहा था। उसकी माँ ने भी मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

फिर महेंद्र ने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। दिन रात मेहनत करके उसने इम्तिहान पूरा किया और इसमें सफल भी हो गया। उसे पता था कि उसकी राह आसान नहीं है लेकिन अब वो उस पर चलने को तैयार था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama