minni mishra

Abstract Others

4.0  

minni mishra

Abstract Others

राधे के कृष्ण

राधे के कृष्ण

2 mins
257


जैसे ही व्याधा का तीर कृष्ण को लगा, उन्हें समझते देर न लगी कि मेरी आत्मा आज इस पिंजरे से आजाद हो रही है। अब जल्दी से मृत्यु मुझे अपनी गोद में ले ले, ताकि प्राण निकलते ही मैं राधामय हो जाऊँ !

सामने खड़े मृत्यु को कृष्ण एक उत्सव के रूप में देखने लगे। हृदय को बेध रही अपनी प्रेयसी 'राधा' से विरह की ज्वाला....उन्हें दाह-संस्कार की ज्वाला से भी अधिक पीड़ादायक महसूस हो रही थी हठात्, कृष्ण सोच में पड़ गए ! ओह! राधा को मेरी बांसुरी और मोर- मुकुट से बेहद प्यार था ! पर, वो सब उसे मैं कहाँ से लाकर दूंगा ? मेरा अंत बहुत निकट मेरे पास खड़ा है। अब मैं आत्मस्वरूप में ही उससे मिलूंगा !

इसी बीच जंगल में एक आवाज गूंज उठी....."

कान्हा..ओ...कान्हा....."

ये तो मेरी राधा की आवाज है ! इस निर्जन वन में ? अधखुली आँखों से सामने राधा को खड़ा देख, कृष्ण हतप्रभ हो गए। करूण स्वर में बोले, “ राधा.. तुम...?! यहाँ क्यों आई?!”

“ कान्हा! तेरे कराहने की आवाज सुन, मुझसे रहा नहीं गया, मैं भागी चली आयी। ”

“ ओह ! इस तरह सोलह श्रृंगार करके तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए ! मैं तो अभी तुम्हारे पास ही आ रहा ..." कहते-कहते कृष्ण की आवाज लड़खड़ाने लगी, आँखों से अश्रुधारा बह निकले !

“ सब पता है मुझे, तुम सदेह मेरे पास नहीं आते ! इसलिए मैं सोलह श्रृंगार कर यहाँ चली आयी। कान्हा, मैं तुम्हें आलिंगन करना चाहती हूँ।” कहने के साथ राधा कृष्ण के ललाट को चूमने लगी

यह पल राधा को कल्प के समान लगने लगा। वह इस पल- पल को जीने लगी। ऐसे लगा जैसे पूरी कायनात मानो धरती पर उतर आयी हो तेज गर्जन के साथ आकाश से श्वेत पुष्प-वर्षा शुरू हो गई देखते, देखते...दोनों का सम्पूर्ण शरीर श्वेत पुष्प की चादर से ढक गया।

वर्षों से विरह-वेदना में तप रहे राधा-कृष्ण की समाधि को देख, पास खड़ा ... परम सत्य कहलाने वाला अहंकारी ' मृत्यु' अपने को आज बौना समझ... नतमस्तक आँसू बहा रहा था।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract