Kameshwari Karri

Romance

4  

Kameshwari Karri

Romance

प्यार की जीत

प्यार की जीत

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प्रणव और शिप्रा प्रेम की अनोखी मिसाल थे। दोनों एक साल से एक-दूसरे से प्यार करते थे।फ़ोन पर घंटों बातें भी करते थे पर अनोखी बात तो यह थी कि दोनों ने एक दूसरे को अभी तक नहीं देखा था। है न दोनों अनोखे !!!!प्रणव हैदराबाद में रहता था और शिप्रा चेन्नई में। 

दरअसल प्रणव रायचूर के इंजीनियरिंग कॉलेज में अंतिम साल की पढ़ाई कर रहा था। उसके साथ ही उसके कमरे में रहने वाला प्रताप चेन्नई का था।जो यहाँ पढ़ने आया था।एकदिन प्रताप अपनी वाट्सप में बहन के द्वारा भेजे गए फ़ोटों को देख रहा था। तभी प्रणव को देख उसने कहा देख रे !!!मेरी फेमली फोटो बहन ने भेजा है। प्रणव ने कहा -अरे वाह !दिखा तो कहते हुए मोबाइल लेकर खुद देखने लगा। एक फ़ोटो उसकी बहन और उसकी सहेली की भी दिखी कहते हैं न पहली नज़र में ही प्यार हो जाता है।वैसे ही प्रणव उस लड़की को देख देखते ही रह गया। प्रताप को वहाँ न पाकर उस फ़ोटो को उसने अपने मोबाइल पर भेज दिया। प्रताप के आते ही उसने कहा बहुत सुंदर तस्वीरें हैं।प्रताप तुम्हारे परिवार के सब लोग बहुत सुंदर दिख रहे हैं।सिर्फ़ तू ही मिस है उस तस्वीर में है न ? प्रताप भी उदास हो गया और कहने लगा हाँ यार मैं नहीं हूँ न सेमिस्टर की वजह से नहीं जा पाया था। दोनों अपने -अपने पढ़ाई पर ध्यान देने लगे। एक दिन जब दोनों फिर अपने -अपने परिजनों के बारे में बात कर रहे थे ...प्रणव ने धीमी आवाज़ में पूछा प्रताप तेरी बहन के साथ उसकी सहेली की तस्वीर भी थी न ? वह भी बहुत सुंदर है।अगर तू बुरा न माने तो उसका नाम और फ़ोन नंबर अपनी बहन से पूछकर बताएगा क्या? प्रताप ने कहा कौनसी सहेली फिर से एक बार तस्वीरों को देखने लगे।जब वह तस्वीर आई जिसका ज़िक्र प्रणव कर रहा था !उसे देखते ही प्रताप ने कहा यह लड़की ..यह तो शिप्रा है मेरी बहन मीना के साथ पढती हैऔर क्या बात है ?यार प्यार व्यार का चक्कर तो नहीं है ? पहली नज़र में हो गया है प्यार। अरे ! नहीं रे प्रताप बस देखा तो लगा कौन है ?पूछ लूँ ? सुंदर है न? अगर हुआ तो फ़ोन नंबर....... प्रताप ने कहा —ओके -ओके मैं पूछ लेता हूँ। बात आई गई हो गई।प्रणव रोज प्रताप की तरफ़ देखता था कि शायद आज नंबर देगा पर प्रताप शायद भूल गया था। 

एक दिन उसकी बहन का फ़ोन आया था। वह उससे ही बात कर रहा था। जैसे ही उसने प्रणव को देखा -उसे याद आया अरे !इसने तो शिप्रा का नंबर पूछा था। मीना तुम्हारी सहेली शिप्रा कैसी है और तुम दोनों की पढ़ाई कैसी चल रही है ? पूछने लगा। हाँ भाई ठीक है बीच में उसकी माँ की ही तबियत ख़राब हो गई थी। वैसे भी उसके पापा ही डॉक्टर हैं तो कोई प्रॉब्लम नहीं हुई ,अब वे ठीक हैं। प्रताप ने कहा -अरे ! तू मुझे उसका नंबर भेज मैं भी एक बार उससे बात कर लेता हूँ। मीना ने नंबर दे दिया। मीना से बातचीत ख़त्म करके प्रताप ने प्रणव को शिप्रा का फ़ोन नंबर दिया और कहा देख यार कोई ऐसी वैसी हरकत न करना जिससे मेरी और मेरी बहन का नाम ख़राब हो और साथ ही शिप्रा भी मेरी बहन की बचपन की सहेली है। वह भी मेरे लिए बहन ही है। प्रणव ने कहा —तू फ़िक्र न कर !मैं बदमाश नहीं हूँ ।प्रणव ने फ़ोन नंबर तो ले लिया पर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह शिप्रा से फ़ोन पर कैसे बात करे। रविवार के दिन सुबह -सुबह ही प्रताप की बहन ने वीडियो कॉल किया था। माता-पिता के साथ प्रताप की बात कराने के लिए। प्रताप ने प्रणव का परिचय भी परिवार वालों से कराया। प्रताप बहुत ही हँसमुख था। इसलिए वह लोगों को भी ख़ूब हँसाता था। उस दिन मीना प्रणव के जोक्स से ख़ूब हँसी। उसने कहा प्रणव भैया आप तो इतने अच्छे हो और इतना हँसाते हो बहुत अच्छा लगा आपसे बात करके। कुछ दिनों बाद प्रणव ने शिप्रा के नंबर पर फ़ोन किया। शिप्रा ने अननोन नंबर को देख फ़ोन नहीं उठाया।जब दो तीन बार बजा तो उसने फ़ोन उठाया। 

उसके फ़ोन उठाते ही प्रणव ने कहा -मेरा नाम प्रणव है। शिप्रा ने कहा ओह प्रणव जी !!!मीना के भाई प्रताप के दोस्त ? अभी -अभी मीना आपके बारे में ही बता रही थी। बहुत ख़ूब नाम लिया और हाज़िर। बताइए हमें क्यों याद किया ? प्रणव ने कहा -देखो शिप्रा मैं बात को घुमा फिराकर नहीं करना चाहता हूँ। मैंने मीना के साथ का तुम्हारा फ़ोटो देखा था और मैं फ़िदा हो गया था। इसलिए मैंने सोचा कि तुम भी सहमत तो हम आगे बढ़ सकते हैं। प्रणव ने बताया कि उसकी एक बहन है उसकी शादी हो गई। पिता की मृत्यु हो गई सिर्फ़ माँ हैं जो बोल नहीं सकती हैं। शिप्रा ने भी बताया कि वही घर की सबसे बड़ी बेटी है पिता डॉक्टर हैं।माँ घर सँभालती हैं एक भाई है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। इस तरह दोनों ने अपने -अपने परिवार का परिचय एक दूसरे को दिया। अब दोनों की मैत्री बढ़ती गई बातों का सिलसिला बढ़ता गया। एक दिन प्रणव ने कहा शिप्रा मैं चेन्नई आ रहा हूँ हम लोग मिलते हैं न अभी तक हमने एक-दूसरे को देखा ही नहीं है। वे अब अपने प्यार को लेकर सीरियस थे।दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाह रहे थे। इसीलिए प्रणव ने यह निर्णय लिया। शिप्रा ने कहा बताओ कब आओगे ?उसने कहा -कल !! शिप्रा से कहा बताओ कहाँ मिलना है ?दोनों ने यह तय कर लिया कि कहाँ मिलना है और दूसरे दिन वह हवाई जहाज़ से चेन्नई पहुँच गया। शिप्रा ने उसे एक मॉल का पता दिया और कहा वहाँ आ जाए। दोनों के ही दिल धकधक कर रहे थे।दोनों ने एक दूसरे को आज तक याने सात महीने हो गए थे नहीं देखा था। फ़ोटो पर तो विश्वास भी नहीं कर सकते कितनी ही बातें सुन चुके थे। यह सवाल उठा कि दोनों एक-दूसरे को कैसे पहचानेंगे। प्रणव ने शिप्रा से कहा -वह नीले रंग के जीन पेंट पर लाल रंग की टी शर्ट पहन कर आएगा।उसने शिप्रा से कहा तुम भी नीले रंग की जीन पेंट पर लाल रंग की टी शर्ट पहन लो आसानी होगी पहचानने में !!!शिप्रा ने हामी भर दी। सुबह दस बजे तक फ़्लाइट आ जाएगी और मॉल तक पहुँचने में कम से दो घंटे तो लग ही जाएँगे तब तक धीरे-धीरे दुकान भी खुलने लगेंगे।यह सोचकर शिप्रा उसी हिसाब से तैयार हुई। घर में सबको मालूम है कि दस बजे कॉलेज का समय है।माँ से उसने कहा -माँ आज एक्स्ट्रा क्लास है ...थोडी देर हो जाएगी। शिप्रा अब बेफ़िक्री से मॉल पहुँची उसे वहाँ पहुँचने के लिए एक घंटा लगा। जान बूझकर ही उसने शहर से बाहर खुला नए मॉल को चुना ताकि कोई पहचान वाले न देख सके। 

वहाँ प्रणव का इंतज़ार करते -करते उसने मीना को भी फ़ोन पर बता दिया कि आज वह कॉलेज नहीं आ रही है। अभी वह बातें कर ही रही थी कि उसके सामने एक टेक्सी आकर रुकी।शिप्रा ने फ़ोन काटकर उसमें से उतरने वाले शक्स को देखा।उसका दिल धक से रह गया वह प्रणव था। बहुत ही हेंडसम लग रहा था। प्रणव टेक्सी से उतरा और उसे पैसे देकर पलटा तो शिप्रा को नीले रंग की जीन पेंट और लाल रंग की टी शर्ट में देखा और देखता ही रह गया।इतनी सुंदर एकदम गोरी घुंघराले बाल लाल रंग की टी शर्ट में तो वह अप्सरा लग रही थी। दोनों ने एक दूसरे की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया और हेलो कहा !!!!तब तक मॉल की दुकानें भी खुल रही थी।दोनों हाथ पकड़कर मॉल के अंदर गए।उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उनकी बहुत बडी जीत हो गई है। दिनभर बातें कम और एक दूसरे को देखने में ही उन्होंने समय बिताया। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था। प्रणव ने बताया कि उसे हैदराबाद में ही नौकरी मिल गई है। शिप्रा बहुत खुश हुई उसका भी एम बी ए ख़त्म हो रहा था।लास्ट सेमेस्टर चल रहा था। दोनों ने सोचा जैसे ही शिप्रा का एम बी ए हो जाएगा घर में बताएँगे। शाम होने लगी।प्रणव ने कहा -शिप्रा मेरी फ़्लाइट है ,पाँच बजे की ,मुझे निकलना पड़ेगा। बहुत ही बुझे दिल से दोनों ने एक-दूसरे को अलग किया। प्रणव की टेक्सी आ गई और शिप्रा को बॉय बोलकर वह टेक्सी में बैठ गया। शिप्रा घर पहुँची। अभी उसने कॉफी का मग अपने हाथों में उठाया ही था कि प्रणव का फ़ोन आया।वह सही सलामत पहुँच गया है। अब तो यह सिलसिला चलता रहा ,कभी शिप्रा हैदराबाद जाती तो कभी प्रणव चेन्नई पहुँच जाता। घर वालों से छिपकर उन्होंने छह महीने तक मजे किए ...परंतु एक दिन शिप्रा की हैदराबाद से आने वाली फ़्लाइट लेट हो गई तो उसे घर पहुँचने में भी देरी हो गई।पिता ने आड़े हाथों लिया।पहले तो वह कुछ बहाने बनाती और माता-पिता उसे मान भी लेते थे क्योंकि माता-पिता को अपने बच्चों पर एक अंधा प्यार होता है।बच्चों के बारे में पूरी दुनिया को पता चलता है पर माता-पिता को देर से पता चलता है क्योंकि वे अपने बच्चों पर आँख मूँदकर विश्वास करते हैं। अभी भी वे विश्वास कर लेते थे पर कल ही शिप्रा के पिता को किसी दोस्त ने उसे हैदराबाद में देखने की बात बताई। वह हैदराबाद किसी काम से गए थे और शिप्रा भी उसी फ़्लाइट में आई थी। शिप्रा की बहुत धुनाई हुई मार पीटकर उससे प्रणव के बारे में पूछा गया पर शिप्रा ने मुँह नहीं खोला आख़िर पिता ने उसे कमरे में बंद कर दिया और उसका मोबाइल भी छीन लिया। इधर प्रणव को फ़िक्र हो रही थी कि शिप्रा को एक तो फ़्लाइट दूसरी पकडनी पड़ी और देर होने के कारण वह घर ठीक ठाक पहुँची कि नहीं रात भर वह सो न सका !!! दूसरे दिन सुबह सुबह ही उसने प्रताप को फ़ोन करके सारी बातें बताई।अब तक तो प्रताप और उसकी बहन मीना को भी इनकी प्रेम कहानी की ख़बर हो चुकी थी। मीना से रिक्वेस्ट करके उसे शिप्रा के घर भेजा गया और उसे सारी बातें समझाई गई कि कॉलेज लाइब्रेरी में पुस्तकें जमा करने का लास्ट डे है कहकर उसे बाहर लाएँ और हैदराबाद भेज दो मैं देख लूँगा। मीना ने सारी बातें सुनीं और अपने साथ पुस्तकों को लेकर शिप्रा के घर पहुँची।शिप्रा की माँ से लाइब्रेरी का बहाना बताकर बड़ी मुश्किल से उसे बाहर लाई। प्रणव ने प्रताप की मेल से फ़्लाइट टिकट भेजा था बस शिप्रा को हैदराबाद की फ़्लाइट में बिठा दिया। 

प्रणव ने शिप्रा को हैदराबाद में रिसीव किया और दोनों एक होटल में बैठकर आगे के बारे में सोचने लगे। प्रणव ने कहा मंदिर में जाकर शादी कर रहे हैं ,ऐसे फ़ोटो खींच कर तुम्हारे माता-पिता को भेज देते हैं। देखते हैं वे क्या करते हैं। दोनों मंदिर पहुँचे और अपनी शादी की झूठी तस्वीरें खींच लिया। शिप्रा शाम को वापस चेन्नई आ गई और पिता के आने से पहले कमरे में जाकर बैठ गई। दूसरे दिन उसके पिता के नाम पर कोरियर आया।पिता ने लिफ़ाफ़ा खोला और उसे देखते ही शिप्रा की माँ को पुकारते हुए ही सोफ़े पर गिर जाते हैं। शिप्रा की माँ जानकी भाग कर आती है और पति को उस तरह सोफ़े पर बैठे देखती है और पूछती है कि क्या बात है क्यों चिल्ला रहे हो क्या हो गया है आपको। उन्होंने जानकी के हाथ में लिफ़ाफ़ा पकड़ा दिया। जानकी तो रोने ही लगी अब क्या करें ? उन्होंने सोचा शादी तो हो गई।अब कुछ नहीं कर सकते हैं।इसलिए शिप्रा को बुलाते हैं और फ़ोटो दिखाकर पूछते हैं कि आख़िर यह सब क्या है ? शिप्रा को प्रणव ने जो कुछ भी अपने बारे में बताया वही उसने माता-पिता को भी बता दिया। दोनों ने कुछ नहीं कहा और उससे कहा कमरे में जा। शिप्रा लोग तेलुगु नायडू थे और प्रणव लोग नायक थे ख़ैर अब इन सबसे कोई फ़ायदा भी नहीं था। 

दो तीन दिन घर में मातम -सा छाया रहा।किसी को किसी की चिंता न थी।सब ज़िंदा लाश की तरह घर में घूम रहे थे। शिप्रा के पिता अनिल के बचपन के दोस्त रामप्रसाद थे।जो चेन्नई आए हुए थे।वे हैदराबाद में सालों से रह रहे थे। उनकी बेटी का ब्याह करके उसे चेन्नई भेजा था।कई दिनों से बेटी बुला रही थी ..तो सोचा चलो एक बार उससे भी मिल लूँगा और चेन्नई के स्कूल के दोस्तों से भी मिल लेता हूँ।यह सोचकर चेन्नई आए थे। सबसे पहले अनिल के घर पहुँचे क्योंकि वहाँ से ही दोनों मिलकर दूसरे दोस्तों से मिलने जाने वाले थे। इसलिए दोनों बैठ कर बातें करते हुए चाय पी रहे थे। अनिल अनमने से ही थे। रामप्रसाद ने पूछा क्या बात है अनिल उदास है मुझे नहीं बताएगा ?अनिल ने कहा -अरे कुछ नहीं ? यह कहते हुए कहा -तुम हैदराबाद में सालों से रह रहे हो न वहाँ कहाँ रहते हो ? उन्होंने ने कहा -रामनगर में रहता हूँ यह सुनते ही अनिल ने पूछा वहीं एक नायक परिवार रहता है जानते हो। रामप्रसाद ने हाँ हाँ क्यों नहीं वे तो हमारे घर के पास ही रहते हैं।बहुत ही मालदार पार्टी है।यार सब भाई मिलकर एक ही जगह रहते हैं।खाना अलग -अलग बनाते हैं पर एक ही बिल्डिंग में रहते हैं। बहुत प्यार है भाइयों के बीच उनके एक भाई की मृत्यु हो गई पर भाभी और उनके बच्चों को उन्होंने ही संभाला क्योंकि उनकी भाभी गूँगी है पर बच्चे दोनों बहुत अच्छे हैं।बेटी ब्याह करके पूना चली गई है।अब सिर्फ़ बेटा बचा है जिसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अब नौकरी भी कर रहा है। मेरे ख़याल से तो वह बिना नौकरी किए भी अपनी ज़िंदगी आराम से गुज़ार सकता है पर नहीं उसे भी अपने पैरों पर खड़ा होना था।इसलिए उसने नौकरी कर ली। यह सब सुनकर अनिल की जान में जान आई।उन्होंने सोचा चलो बेटी ने ब्याह किया भी तो अच्छे घर में किया फिर वे दोनों दूसरे दोस्तों से मिल आए।अब अनिल सबसे चहक - चहक कर बातें कर रहे थे। रात को घर आते ही शिप्रा से पूछताछ की और कहा प्रणव से पूछो उनके परिवार वालों से कब मिलने आएँ। शिप्रा ने प्रणव को सारी बातें बताई। प्रणव ने कहा मैंने भी घर में सबको बता दिया है और तुम्हारे फ़ोटो को भी दिखा दिया है सब राज़ी हो गए हैं। दीदी जीजाजी भी बहुत खुश हैं।अब तुम अपने माता-पिता को भेज सकती हो। दोनों खुश थे।उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी आसानी से सब मान लेंगे। अनिल अपनी पत्नी जानकी के साथ प्रणव के घर पहुँचे।सबसे बात किया सबने इनका दिल से स्वागत किया था।बस फिर क्या चट मँगनी पट ब्याह दोनों के शादी का मुहूर्त भी निकाल दिया।अनिल ने प्रणव के घर वालों को इन दोनों की शादी का फ़ोटो दिखाया। उसे देखते ही प्रणव के परिवार वालों ने कहा कोई बात नहीं है अनिल जी हम अच्छे से सब लोगों के सामने इनका ब्याह कराएँगे। एक महीने बाद उन दोनों की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। हज़ारों लोगों का आशीर्वाद मिला। आख़िर प्यार की जीत हो ही गई। 


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