पूजा के फूल
पूजा के फूल
सरोजिनी आधे घंटे से कोमल का इंतजार कर रही है, ना जाने कहाँ रह गई ये लड़की! आधे घंटे से इंतजार कर रही हूँ पूजा के लिए थोड़े फूल लाने के लिए कहा था और अभी तक नहीं आई,तभी कोमल आती दिखाई दी।
ले आई फूल? ला दे दे,सरोजिनी बोली।
माँ !"आज से मुझे फूल लाने मत भेजना, पता है चाची ने कितनी बातें सुनायीं, अब कभी फूल लाने मत बोलना।"कोमल मुँह बिचकाते हुए बोली।
"क्यों ऐसा क्या कह दिया तुम्हारी चाची ने," सरोजिनी ने कहा।
बोलतीं हैं," सुबह-सुबह भेज दिया फूल लाने के लिए, हजारों काम पड़े हैं घर में, लेकिन इनको क्या पड़ी है इनको तो बस अपने से मतलब है, पूजा करेंगी फूल चढ़ाएंगी, मनौती मांगेगी, लेकिन ये भी पता नहीं कि मंगनी के फूलों से पूजा करके कोनो फल नाहीं मिलने का! कोमल ने कहा,चाची ऐसा बोलती हैं और अब आप ही बताइए माँ कि इ सब सुन के हमको फूल लाने का मन करेगा का!
सरोजिनी ने कहा छोड़ बेटी उसका दिल छोटा है जो फूल जैसा छोटा चीज के लिए ऐसा सोची, अब हमारे घर फूल लगाने की जगह नहीं है इसीलिए ने फूल मँगवा रहे थे छोड़ो जाने दो बात बढ़ा के क्या फायदा है, अब से बिना फूल चढ़ाए ही पूजा कर लेंगे। भगवान सब देख रहे हैं वो हमरी मजबूरी समझ लेंगे।और कहा गया है कि" जथा सक्ति तथा भक्ति" बाकी सब तो उपरवाला सब देखिए रहे हैं, चल घर चलते हैं।
हाँ माँ तुम ठीक कहती हो।चलो घर चलें।