प्रतिनायक
प्रतिनायक
हिन्दू प्रतिनिधि मण्डल एवं डॉ तौफीक पुलिस हिरासत में सिराज एवं उनके परिवार से मिलकर लौट आए और सीधे अस्पताल गए जहां जख्मी रौशन और कृष्णा का इलाज चल रहा था ।
कृष्णा ने जब हिन्दू प्रतिनिधि मण्डल को देखा तो पूछा कि आप लोगों ने क्या सच्चाई जानी हिन्दू प्रतिनिधि मण्डल ने एक स्वर में कहा मानवता जख्मी हुई आपके जख्मी होने से सिराज के बेटों का जुनून फौरी गुस्से का परिणाम था जो किसी भी भाई के लिए संभव है उनको भी वास्तविकता का भान नहीं था।
इस पूरे घटनाक्रम को संयोग ही कहा जाएगा इस पूरे प्रकरण में हिन्दू मुस्लिम के नफरत कि जंग दंगा नहीं है हम ।सारे हिन्दू एकत्र होकर सच्चाई घर घर पहुंचाएंगे और बहुत जल्दी शांति सौहार्द का गड़ौरा अपने वास्तविक स्वरूप में होगा कृष्णा ने कहा यही मेरा मकसद भी है जिसके लिए बीस वर्ष बाद मै गरौड़ा लौटा हूं।
मुझे कोई शिकवा शिकायत सिराज एवं उनके औलादों से नहीं है मुझे तो सिर्फ इस बात की चिंता है कि कहीं मेरा मकसद नफरत के भेंट ना चढ़ जाए ।हिन्दू प्रतिनिधि मण्डल के सभी सदस्यों ने एक स्वर में कृष्णा को आश्वासन देकर आश्वस्त किया कि उसका मकसद पूरे सम्मान के साथ पूरा होगा और जन जन द्वारा स्वागत किया जायेगा।
फिर हिन्दुओं का प्रतिनिधि मण्डल रौशन से मिलने गया रोशन ने हिन्दुओं प्रतिनिधि मण्डल के सभी सदस्यों को गौर से देखा और बोलना शुरू किया प्रतिनिधि मण्डल के सभी सदस्यों कि मै या तो रिश्ते में बेटी कि तरह हू या बहन की तरह क्या आप लोगों को अपनी बेटी बहन पर कोई भी शक हैं की वह किसी भी हालात में कोई गलत कदम उठा सकती है मै तो बचपन से आप लोगों की खुशी गम अभिलाषा कि जीती जागती सच्चाई हूं ।
बचपन में मेरे होली खेलने के कारण आप सभी परेशान हो जाते और जब एक दूसरे से मिलते तो कहते सिराज कि बिटिया ने इस होली में सबके घरों में धमाल मचा कर होली के रंगों से सराबोर कर दिया दीवाली को मै ही आब्बू से पूछ कर सबके दरवाजों से बोलती हुए गुजरती थी कि मुहूर्त हो गया है चौखट दिया जलाइए नहीं तो लक्ष्मी नहीं आएगी फिर एक साल इंतज़ार ही करना होगा।
ईद में गरीबी और अभाव के बावजूद आप सबको एक चम्मच ही सही सेवयी जरूर खिलाती मैंने तो अपने अब्बू सिराज और भाईयों इकबाल ,मंसूर ,युसुफ,और इरफान से कम किसी को तरजीह नहीं दिया और मुझे भी आप लोगों का दुलार नसीब हुआ लेकिन आज मुझे किसी हिन्दू ने नहीं किसी मुसलमान ने नहीं बल्कि इसे इंसानों ने मौत के करीब पहुंचा दिया जिनके दिल में नफरत गुरूर झूठे धार्मिक स्वार्थ के उन्माद का गुबार भरा हुआ था ।
दुर्भाग्य से मुझे मौत के करीब पहुंचने वाले अपने ही थे जिन्होंने मुझे जना है जिनकी गोद आंचल में पली खेली हूं ।
मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है मै तो यह जानते हुए कि मेरे अब्बू बहुत छोटे हैसियत के इंसान थे और उनके अरमान बहुत ऊंचे उनका चलता फिरता रविवारीय स्कूल उनके नेक नियत के उनके अरमानों का सच है उसी सच को आप सबके लिए आप सबकी आने वाली नस्लों के लिए मैंने कृष्णा को चुना।
मेरी भावनाओं में जाती धर्म कि सीमाओं से परे थी क्योंकि मैं कृष्णा को बचपन से जानती हू पैदा होते मां चल बसी पिता दुर्घटना में चल बसा और गिरधारी चाय वाले कि भी परीवरिश उसे नसीब नहीं हुई और उसे ईनाम मिला आग इतनी विषम परिस्थियो में पैदाईस के साथ ही देखते लड़ते बहुत मजबूत दृढ़ संकल्पित इंसान बन गया।
कबाड़ से उपयोग कि वस्तु खोजते खोजते उसे हर माहौल में जीने जितने कि आदत बन गई है इसीलिए मैंने उसे अपने अब्बू के दिल के अरमानों को उनकी ही बुझती नज़रों में देखा और उसे पूरा करने के लिए कृष्णा का हाथ पकड़ निकल पड़ी वह तो मेरी जिद्द पर मेरे साथ गया था।
हिन्दू प्रतिनिधियों ने कृष्णा और रोशन को बड़े ध्यान से सुना और सच्चाई को जाना डॉ तौकिफ ने प्रशासन से अनुरोध किया कि हिन्दू प्रतिनिधि मंडल का प्रत्येक सदस्य गडौरा के दस दस परिवारों में जाकर सच्चाई कि खुद गवाही दे और उन परिवारों से अपने आस पास पड़ोस में सच्चाई को पहुंचाए तभी माहौल तेजी से सुधर सकता है ।
प्रशासन ने इतने इंतजामात किए कि हिन्दू प्रतिनिधि मण्डल ने घर घर सच्चाई बताई भयग्रस्त वातावरण तेजी से सुधरने लगा और गड़ोरा अपने वास्तविक स्वरूप में दौड़ने लगा।
प्रशासन ने भी राहत की सांस ली कृष्णा और रौशन स्वास्थ होकर अस्पताल से बाहर आते ही सिराज और रुखसार एवं उनके पुत्रो से मिलने गए और प्रशासन से उन्हें पुलिस हिरासत से मुक्त करने का अनुरोध किया पुलिस ने हालात को देखते हुए सिराज रुखसार एवं उनके बेटों को रिहा कर दिया ।
तौकीफ कृष्णा और रौशन ने सज्जन सिराज एकड़ेमी की स्थापना गढ़ौरा में किया जिसका शुभारम्भ सिराज एवं रुखसार ने किया सिराज ने बड़े गर्व से कहा
मेरी बेटी रौशन मेरा गुरूर है मेरे जिंदा नजरो के खाबो कि हकीकत खुदा अपने हर नेक बन्दे को रौशन जैसी बेटी दे कृष्णा से मै सार्वजनिक माफी चाहता हूं बेवजह उसे तकलीफों से गुजरना पड़ा आज एहसास हो गया कि खुदा का इंसाफ ही बड़ा इंसाफ है #अंत भला तो सब भला#