Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Mridula Mishra

Abstract

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Mridula Mishra

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प्रश्न

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बार-बार इनका यह कहना कि माँ को अब घर भेज दो, मुझे तिलमिलाने के लिए काफी था। मैं भी भिड़ गयी क्यों भेजदूं?इनका कहना था कि "बहुत उम्र हो गयी है माँ की, कुछ हो जायेगा तो समाज बाले जीने न देंगें।" मैंने कहा-"अगर इस बात का डर है तो लोग मुझे कहेंगे आपको नहीं।हांँ अगर माँ पर होने बाले खर्चे का डर है तो सुन लो मैं अपने खाने में कमी करके इन्हें खिलाऊंगी,इनके इलाज के लिए मायके में मिले गहने बेंच दूँगी।और अगर इनकी मृत्यु हो गई तो मैं ही मुखाग्नि दे दूँगी।

माँ ने भी मुझे लड़की समझ कर त्यागा तो नहीं, मैं अधिकतर बिमार ‌रही छोड़ा तो नहीं मुझे।आज के बाद इस बात को मुँह से न निकालना।लोग क्या कहेंगे इस डर से मैं अपनी माँ को नहीं छोडुँगी।" इन्होंने कहा -"क्या मेरी माँ के लिए तुम ऐसा कहती?" मैंने भी पलट कर कहा-"क्या अपनी माँ के लिए तुम यह कहते?"ज़बाब शर्मशार था।



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