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Swati Rani

Inspirational

4.0  

Swati Rani

Inspirational

पंखो वाली साईकिल

पंखो वाली साईकिल

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साईकिल


"अरे ओ नालायक उठ भी आज भी स्कूल नहीं जायेगा क्या", विनोद जी चिल्लाये! 

" उठ जायेगा पापा सोने दो ना, अभी स्कूल के लिए वक्त है", विक्की बोला! 

"चुप कर तुने ही इसे सर चढाया है, इस बार का रिजल्ट देखा मुश्किल से पास हुआ है, सब हंसते हैं बडा़ भाई टाॅपर और छोटा फेलियर", विनोद जी झिड़कते हुये नौकरी पर चले गये! 

उधर रिक्की पर्दे के पीछे से देखते हुए! 

" चल आ जा रिक्की पापा गये", विक्की बोला! 

"भाई एक काम था", रिक्की हंसते हुये विक्की को मसका मारने लगता है! 

"मुझे पता है तेरा काम, ये ले पांच रुपये, मैं तेरे लिये ही तो जमा करता हुं, तु कहां उडाता है अपने पैसे", विक्की बोला! 

" वो भाई दोस्त-यार बहुत हैं ना अपने", रिक्की मुस्कुराया! 

"कोई काम नहीं आता वक्त पे और तुने मुझे अपना रिजल्ट क्यों नहीं दिखाया? विक्की बोला! 

"भाई....भाई तू बहुत अच्छा है, मैं तेरी साईकिल ले जा रहा हूँ, बाय बाय," अभी विक्की बोल ही रहा था की रिक्की भाग गया साईकिल ले के! 

विक्की मुस्कुरा दिया! 

विनोद जी के दो बेटे थे, विक्की(17साल) और रिक्की(12 साल) , दोनों में जमीन आसमान का अंतर था!विक्की पढने में अच्छा था तो रिक्की खेल कुद में, दुसरों कि मदद करने में! दोनों भाईयों में बहुत गहरा प्रेम था! रिक्की बहुत छोटा था, जब विनोद जी कि बीवी मरी, विक्की करीब 5 साल का था उस वक्त! 

विक्की रिक्की को मां कि कहानियाँ सुनाया करता,जिसमें वो माँ को परी जैसा दिखाया करता था, रिक्की अपनी माँ को बहुत याद करता था! 

एक बार रिक्की स्कुल में फेल हो गया, और रिजल्ट पापा से छुपा लिया क्योंकि वो विनोद जी से मार खाता!पर रिक्की को एक तरकीब सूझी ! कुछ दिन में स्कूल में साईकिल रेस थी, वो सोचा क्यों ना ये साईकिल रेस जीत जाऊं कि पापा से कम डांट लगेगी! बस फिर क्या था विक्की को सारी बात बता कर वो जोरो से रेस कि तैयारी करने लगा, शहर में भी ये रेस चर्चे में था क्योंकि बहुत से बाहर के स्कूल वाले इसमें भाग ले रहे थे! पर प्रतियोगिता के कुछ दिन पहले रिक्की विक्की कि साईकिल से अभ्यास कर रहा था कि उसकी साईकिल एक कार से टकरा गयी और टुट गयी, रिक्की का जैसे सपना ही

टूट गया! 

रिक्की परेशान होकर घर चला गया और रोने लगा, रोते- रोते उसे कब नींद आ गयी पता ही ना चला! फिर सपने में रिक्की कि माँ आयी, परी बनकर और" कहा क्या हुआ रिक्की बेटा"! उसने रोते- रोते बोला, "माँ मेरी साईकिल टुट गयी"!

माँ बोली, " रोते नहीं हैं बेटा, मैं तुम्हारे लिये एक नयी साईकिल लायी हूँ देखोगे"?

रिक्की ने हां में सर हिलाया! 

"अरे ये क्या माँ, ये तो पंखो वाली साईकिल है", रिक्की का चेहरा खुशी से खिल गयी! 

माँ बोली ,"चलो मैं तुमहे इसकी सैर कराऊं"! 

रिक्की अपने सारे दुख भुल गया, माँ ने उसे पूरा परीलोक घुमाया, खुब प्यार किया, रिक्की सपने में खिलखिला रहा था! तभी विक्की बोला, "उठ रिक्की देख मैं तेरे लिये क्या लाया हूँ"! 

रिक्की ने आंखे खोली और बाहर देखा ये क्या माँ जैसी साईकिल, हुबहू वैसी ही थी सिर्फ पंख नहीं थे! 

रिक्की ने विक्की से पुछा, "कहां से लाया तू ये साईकिल"?

" कल मैने अपनी टूटी हुयी साईकिल तुझे छुपाते हुये देख ली थी और रोते हुये भी, फिर मैने अपना पिग्गी बैंक देखा, उसमें नयी सायकल खरीदने लायक रूपये थे, सो ले आया", विक्की बोला! रिक्की ने भरी आंखो से विक्की को गले लगा लिया! 

"चल जल्दी तैयार हो जा रिक्की आज ही प्रतियोगिता है,1 बजे से, मै तेरा नीचे इंतजार कर रहा हूँ" विक्की बोला!

रिक्की प्रतियोगिता के लाईन में खड़ा हुआ अपनी माँ को याद करता है! 

प्रतियोगिता शुरु होती है, रिक्की कभी आगे कभी पीछे होता है, जैसे ही प्रतियोगिता का अंतिम चरण आता है, सारे प्रतिद्वंद्वी पूरी कोशिश करते हैं, तभी रिक्की माँ को याद करता है और ये क्या सबकी आंखे फटी रह जाती है, ऐसा लगता है मानो रिक्की के साईकिल को पंख लग गये हो, उसकी साईकिल हवा से बातें करने लगती है, वो सबसे आगे हो जाता है और जैसे लाईन छूने वाला होता है कि उसको सामने अपनी माँ दिखती है,खुशी से हाथ हिलाती हुई! 

रिक्की जीत जाता है, तब तक विक्की पापा को भी खबर कर के बुला लेता है और पदक रिक्की और उसके पापा को मिलती है! 

विनोद जी के आंखों में आंसू रहते है और वो बोलते है, सच बेटा तुने मेरा सीना गौरव से चौड़ा कर दिया, सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में नाम करा सकते हैं!


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