पंछी
पंछी
भाग-2
‘नॉथफ पोल, साउथ पोल को अपनी तरफ आकर्षित करता है।’ फिजिक्स के पूरे लेक्चर में मुझे बस इतना ही सुनाई दिया। सुनाई क्या देना था, सुन ही नहीं रही थी। सबसे बुरा सब्जेक्ट अगर मुझे कोई लगता है तो वह है फिजिक्स, फिर भी रोज क्लास लेती हूँ, पर आता जाता कुछ भी नहीं। ऊपर वाले के करम से पिछले दो सेमेस्टर से पास हो रही हूँ। पूरा भरोसा है कि इस बार भी हो ही जाऊँगी।
वैसे ये बात बिल्कुल सच है कि हम वही सुनते हैं जो हम सुनना चाहते हैं। ये लाइन जैसे ही सर ने कही मेरा पूरा ध्यान रोहित की तरफ मुड़ गया। रोहित अरोरा, मेरे साथ मेरी ही क्लास में पढ़ता है। काफी देर से मेरी तरफ देख रहा था, मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुंह फेर लिया।
मेरी सहेली अंशिका कहती है कि वह मुझे पिछले साल से ही पसंद करता है। अब तो मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि वह मुझे पसंद करता है। पर क्या करूं अपनी तरफ से थोड़े पूछ सकती हूँ
जनाब… क्या देखा करते हो इस कदर खो कर… चेहरा है ये हमारा, महताब नहीं…
पहली ही क्लास में देखा था रोहित को, अच्छा लड़का लगा। दोस्ती करने का, बात करने का मन तो किया पर हिम्मत नहीं हुई और मौका भी नहीं मिला। इसी मौके के चक्कर में पूरा साल निकल गया ना हम कुछ कह सके और ना वो…।
अंशिका से काफी कुछ सुना है मैंने, मुझे देखता रहता है, मैं जब तक कॉलेज नहीं आ जाती बाहर वाले गेट पर खड़ा होकर मेरा इंतज़ार करता है, पर पता नहीं क्यों जब भी मैं उसकी उसकी तरफ देखती हूँ , मुंह फेर लेते हैं जनाब। अजी, मुंह फेरने से क्या होगा आपकी मोहब्बत की खुशबू तो हमें आ जाती है आप कहें कुछ या ना कहें।
‘अरे… कहाँ खोई है?’ अंशिका ने मुझे टोक दिया। वो क्या है ना कभी-कभी किताबों में भी रोहित का चेहरा दिखने लगता है।
‘कहीं नहीं… चले ?’ मैंने जवाब देते हुए पीछे मुड़कर देखा तो जनाब मेरी तरफ ही देखे जा रहे थे और फिर वही हुआ जो होना था। मैंने देखा और नज़रें फेर ली गई।
क्लास से निकल कर हम लोग कैंटीन में पहुंचे। मैंने और अंशिका ने एक-एक कोल्ड ड्रिंक ली और आकर बैठ गए। और शुरू हो गई सहेलियों की गपशप। अंशिका से मैं पिछले साल ही मिली हूँ , वैसे ज्यादा करीबी दोस्त है नहीं मेरे, पर अंशिका मेरी करीबी दोस्तों में से एक है।
‘एक बात बता…..’ कोल्ड ड्रिंक का सिप लेते-लेते अंशिका ने पूछा।
‘क्या?’
‘ऐसा सब कब तक चलने वाला है ?’
‘कैसा सब ?’
‘ये ताड़ा - ताड़ी ….’
‘कैसी ताड़ा - ताड़ी?’
‘ज्यादा स्मार्ट बनने की जरूरत तो है नहीं, सबको पता है कि तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हो । तो कह क्यों नहीं देते, अरे… वह नहीं बोलता तो तू ही बोल दे।’
बहुत अजीब लगा मुझे उसकी बात सुनकर, अरे मैं कैसे बोल सकती हूँ, मैं तो लड़की हूँ उसे बोलना चाहिए, वह लड़का है फिल्मों में भी तो ऐसा ही होता है ।कहा मैंने उससे कुछ नहीं, बस खामोश ही रही। पर वह कहाँ मानने वाली थी,उसका भाषण बंद नहीं हुआ।
‘सबने देखा है वह तुझे ही देखता रहता है और तू भी तो उसे पसंद करने लगी है ना…’
मेरी तरफ उसने ऐसे देखा जैसे जवाब में हाँ के अलावा कुछ सुनना ही नहीं चाहती हो। पर मैं भी कमाल हूँ । मैंने कुछ नहीं कहा, उसकी तरफ देखकर नज़रें हटा ली और अपनी कोल्ड ड्रिंक पीने लगी। पर वह और स्मार्ट निकली मेरी खामोशी का मतलब भी उसने हाँ में ही निकाल लिया। और जो सच भी था, मैं सचमुच ही रोहित को पसंद करने लगी हूँ।
‘मुझे पता था… तू उसे पसंद करती है। वैसे तो बड़ी झांसी की रानी बनी फिरती है, उसे जाकर बोल दे तो मानूँ तेरी हिम्मत को...‘
उसकी बात ने तो मेरा ईगो ही हर्ट कर दिया। मैंने भी ताव में आकर उसकी बात का जवाब दे ही डाला।