पलटन पांडे जी की छतरी

पलटन पांडे जी की छतरी

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हाँ तो आज हम पलटन पांडे जी की प्यारी प्यारी लाल लाल छतरी के बारे में बात करेंगे।

हुआ ये था एक बार कि

सुबह सुबह उनको उठते ही चाय चाहिए। सुबह उठकर जब पलटन पांडे जी चाय के लिए रसोई घर में गए।

तो देखा पतीला खाली, दूध मियां ग़ायब है पतिले में से, भई मेरे अलावा कोई इस घर में है नहीं ,फिर ये दूध ग़ायब कैसे हुआ, तभी नजर गई उनकी खिड़की की ओर। मौसम खराब हो गया, लगता है खिड़की का दरवाज़ा खुला रह गया। तो ये मेहरबानी बिल्ली देवी की है। ओफ अब दूध ले कर आऊँ तो चाय बने। लेकिन मौसम खराब है ।

फिर सोचा पलटन पांडे जी ने बारिश आ भी गई तो क्या। इतने में मैं कोई गल तो न जाऊगाँ। बेचारे पांडे जी जल्दबाजी में लूंगी पहने पहने ही चल दिये।

अपनी प्यारी लाल छतरी उठाई और निकल लिए।

 बाहर बारिश के साथ साथ तेज़ हवाएँ भी चल रही थी। इतनी तेज़ की पलटन पांडे जी जितने पतले तो  हवा में ही उड़ जाए। बाहर निकलते ही पलटन पांडे जी की तो लूंगी उड़ उड़ जाने लगी, छतरी तो छतरी भी बोली मैं भी चली। कभी लूंगी संभालते तो कभी छतरी। बेचारे चाय के मारे, मौसम से हारे। छतरी उनके हाथ से छूटने को हो रही थी इतनी तेज़ हवा में। बचाते बचाते भी वो हाथ से छूट ही गई। अब पलटन पांडे जी छतरी के पीछे भागने लगे। मगर वो हाथ कहाँ आने वाली थी , वो तो छैल छबीली मतवाली थी। पलटन पांडे जी चार कदम आगे चलते तो हवा उनको दो कदम पीछे ले आती । ऐसे ही चलता रहा कई देर तक। हवा तेज़ ही हो रही थी मगर पलटन पांडे जी कहाँ पीछे हटने वाले थे । पलटन पांडे जी तो पलटन पांडे जी ठहरे।

पलटन पांडे जी 5 कदम प्रति सेकेंड की रफ़्तार से दौड़ रहे थे इतनी तेज़ हवा के बावजूद भी। तो छतरी देवी 5 मीटर प्रति सैकेंड की रफ़्तार से दौड़ रही थी। कभी छतरी की गति तेज़ तो कभी पलटन पांडे जी की।

दौड़ते दौड़ते छतरी ने ऊँची उड़ान भरी और एक पेड़ पर चढ़ गई, पर हवा ने उसे फिर नीचे पटक दिय । बारिश और तेज़ हो गई। तीनों में ग़जब की प्रतिस्पर्धा छिड़़ चुकी थी। ना ही बारिश रुकने का नाम ले रही थी ना ही छतरी देवी और  पलटन पांडे जी तो पलटन पांडे जी ठहरे वो भला क्यों पीछे हटने लगे। करीब घंटे भर तक चली ये प्रतियोगिता। आखिरकार वक्त आ ही गया जीत हार का फैसला होने का।

बारिश और हवा रुकी तो छतरी देवी ने भी साँस ली। जैसे ही छतरी देवी ने साँस ली वैसे ही पलटन पांडे जी ने उसे धर दबोचा। लो जी जीत गए न हमारे पलटन पांडे जी। अब वो डेरी वाले से दूध लेकर घर आए। चाय बनाई और पी। लेकिन इस प्रतिस्पर्धा में उनकी लूंगी शहीद हो गई, पता नहीं कब उड़ कर फरार हो गई, बेचारे , आफत के मारे हमारे प्यारे प्यारे पलटन पांडे जी !!


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