Ragini Ajay Pathak

Others

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पलाश के फूल (अंतिम भाग)

पलाश के फूल (अंतिम भाग)

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अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि सुमन जी आई.सी. यू में हैं। अजय को डॉक्टर से पता चला कि सुमन जी की हालत गंभीर है। लेकिन वो किससे पूछे कि वे यहाँ कौन लेकर आए और कैसे उनकी चोट लगी?


मां की हालत देखकर अजय अपना जज्बात रोक नहीं पाया और फूटफूट कर रोने लगा।


तब रुचि ने उसे सम्भालते हुए कहा,"अजय हिम्मत से काम लो, माँजी को कुछ नहीं होगा सब कुछ ठीक हो जाएगा।"

लेकिन कहते हैं कि किस प्रकार का बच्चा कैसा भी हो माँ उसे परेशान करते हुए कभी नहीं देख सकता ठीक उसी प्रकार एक माँ को उसके बच्चे परेशान नहीं देख सकते। और अजय अमन की तो अपनी मां में जान बसती थी। लेकिन पुरुष प्रेम जाहिर करना नहीं जानते शायद ये कहावतें सही कही गई हैं।"


तभी डॉक्टर ने आकर कहा, "देखिए पेशेंट की हालत बहुत खराब है उन्हें तुरंत खून चढ़ना होगा। आप लोग ब्लड का अख्तियार करेंगे।"


अजय, रुचि और सुमन जी का ब्लड ग्रुप एक था इसलिए अजय और दिलचस्पी ने उन्हें अपना खून दे दिया। अटलांटिस अपनी बहन को फोन कर रहा था लेकिन कोई भी फोन नहीं उठा रहा था। उसने कार निकाली निशा के घर जाने के लिए और उनके घर संदेश तो वहां भी कोई नहीं था ना , ना ही आसपास के लोगो को कुछ पता था। वो वापस लौटने के लिए कार के अंदर ही खड़ा था कि उसे निशा के घर काम करने वाली बाई दिखी। जिसे अमन ने आवाज दी। तो अमन को देखते हुए वो तेज कदमों से चलने लगे।



तब अमन ने भागकर उसे पकड़ा। तो उसने पहले कुछ भी पता होने से इंकार कर दिया। फिर अमन ने जब उसे पुलिस के डर से दिखाया तो।


उसने कहा," मैंने कुछ नहीं किया साहब, मुझे इस मामले से दूर रखना। फिर उसने बताया कि कल रात दोनो टपकना और बहनोई जुड़े हुए थे दोनो लोगो मे पैसे को लेकर बहस हो रही थी। क्योंकि उन दोनों को बिजनेस में घाटा हो रहा था। था दोनो लोग नशे में थे और उनके पैसे को लेकर साम इतना बढ़ गया कि वो उठकर उन लोगों के बीच बचाव करने आए तो दो लोग आपस में मिलकर उनके साथ ही गाली गलौज करने लगे और कहने लगे कि "जाकर अपने घर से पैसे लेकर आओ तब हमारे साथ रह सकता है।"


जब उन्होंने कहा, "के सारे पैसे तो मैंने तुम लोगो को दे दिए, अब किस मुंह से इतने सालों बाद जाउंगी पैसे।"



तब उस लोगो ने गुस्से में आपकी मां को ही झटका मार दिया और वो दीवाल से टकरा कर जमीन पर गिर गया। उनका सर फट गया। लेकिन किसी को उन पर दया नहीं आई बेटियों को ना ही दामाद को।


भैया पिछले चार साल से जब इन लोगो से व्यापार में नुकसान होने लगा तब से आपकी मां ने अपनी बेटी दमाद के घर को नजरअंदाज करने की रोटियां खा रही थीं। रोज रोटी थी पछताती थी।


मैंने अपनी आँखों से उन्हें अकेले में रोते देखा। कोई उनसे बात नहीं करता था। रोज अपनी मरने की दुआती थी।


जब चोट लगी तब मेरी मरद ने उन्हें बेहोशी की स्थिति में पहुँचाया और आपने लोगो को फोन किया। वो लोग तो अस्पताल ले जाने के लिए भी राजी नहीं थे।


कहा," मरती है तो मर जाए बुढ़िया वैसे भी कौन सा काम किसे इसे पूछेगा।" वो लोग छोड़ कर चले गए ये तो मुझे नहीं पता?




अमन इतना सुनते ही लगा रोना। और अस्पताल आने की बात अजय को बताती है। सारी बातें सुनकर हर कोई उड़ रहा है कि मोके के लिए कोई इतना गिर कैसे सकता है?


तब अमन ने कहा,"भैया मैं इन लोगो को ज्वाइन करने वाला नहीं हूं। मैं उनकी ही पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दूंगा।"


उसी पीछे से अमन के पापा सूर्यकांत जी ने कहा,"बेटा शांत हो जाओ मैं समझ सकता हूं तुम्हारे जज्बात। लेकिन कर्मो की सजा तो हर इंसान को सेकेंडनी ही है। और अति किसी चीज की ठीक नहीं है। पहले अपनी मां को ठीक हो रहा है। फिर लगता है कि क्या करना है।"

चार दिन बाद सुमन जी को होश आया। डॉक्टर ने बताया," कि सुमन जी को होश आ गया है।"


ये खुशखबरी सुनते ही वो लोग भाग कर कमरे में चले गए।लेकिन जब अमन अजय रुचि प्रीति और सूर्यकांत जी कमरे में पहुंचे तो सुमन जी खामोश थे।


जब अजय ने डॉक्टर की तरफ देखा," तो उसने बताया कि सुमन जी का संग्रह पूरी तरह से जा चूका है वो खुद को भी नहीं पहचानती की वो कौन है उन्हें कुछ भी याद नहीं है ना ही, इसीलिए वो आप लोगो को भी पहचान नहीं रही है ।"


सुमन जी का इलाज बहुत जगह चला गया लेकिन कही से कोई फायदा नहीं हुआ। सुमन जी अब रुचि को मां देशो बुलाती। बच्चों के साथ खेलती। बच्चे जैसा हरकत करते हैं।


उनकी ऐसी हालत देखकर उनके ऊपर दया आती है लेकिन कोई कुछ कर नहीं सकता


सूर्यकांत जी ने पुलिस शिकायत करने से दोनों बेटों को तो मना कर दिया लेकिन कहते हैं कि बुरा का अंजाम बुरा ही होता है।


एक दिन टीवी पर सब एक साथ समाचार देख रहे थे कि उसी न्यूज में घर के दोनों दामादों का नाम देखकर सब चौक गए। पुलिस ने उन लोगों को बैंको से धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के मामलों में गिरफ्तार कर लिया था, उनकी पूरी संपत्ति सील करके नीलाम कर बैकों को कर्ज के बहीखाते के सरकार ने ऑर्डर पास कर दिए थे।


बोली लगाने और खरीदने वाले आज प्रीति और रुचि थी। पूरी संपत्ति उन दोनों के नाम पर हो गई।


जिस खुशी में घर में सक्सेज पार्टी रखी गई थी।आज रुचि के कमरे में आए। और उसने उसके अंशों का दावा किया,"दीदी उस दिन जो बात अधूरी रह गई थी वो आज कहना चाहता हूं। मेरी जिंदगी को दिशा देना और पलाश के फूलों का महत्व समझाने के लिए आपका धन्यवाद। अगर उस दिन आप सब सच मुझे ना कहा होता है तो शायद मेरी जिंदगी की वो आखिरी रात हो जाती है और मैंने हार कर मरने को गले लगा लिया।

तब रुचि ने कहा,"प्रीत तुम ऐसा क्यों कह रही हो ये सब कुछ मैं अकेले कभी नहीं कर पाती अगर तुम्हारे जैसी समझदार बहन मुझे नहीं मिलती तो।"


प्रीति ने कहा, "यही तो बहुत है आपकी हर चीज को अलग-अलग परेशान करने वाली हो। मुझे आज भी अच्छे से याद है जब मैंने आपसे कहा था कि दीदी मेरी जिंदगी पलाश के फूल जैसी हो गई है। जो बाहर से दिखने में। तो सूंदर है लेकिन इसमें प्यार और अपने पन की खुश्बू ही नहीं है।"


तब आपने कहा था कि प्रीत पलाश के फूल की सुगंध भले ही ना हो लेकिन इनमें से तमाम औषधीय गुण होते हैं। जिन्को जानकर अगर सही तरीके से उनका उपयोग किया जाए तो हम सभी शिकायतों से लड़ सकते हैं और बचा सकते हैं। बस तब तक हमें गांभीर्य से काम लेना होगा जब तक बीमारी ठीक न हो जाए।


हम औरतों की जिंदगी किसी भी हालत में आसान नहीं है। जन्म से लेकर मृत्यु तक हमें संघर्ष करना ही होता है। इसलिए किसी को छोड़कर चले गए किसी समस्या का समाधान नहीं। क्योंकि इससे हमारा जीवन आसान तो होने वाला नहीं है। हम लौटकर मायके नहीं जा सकते क्योंकि तब समाज हमारे साथ हमारे परिवार को भी वन से जंगल नहीं आएगा। हमारे साथ उनकी कठिनाइयाँ और बढ़ते हुए सैंक्चुअरी। ना ही हम अमीर बाप की बेटियां हैं। लेकिन हां हम अपनी मेहनत और ईमानदारी से अमीर जरूर बन सकते हैं। और इस समाज में पूर्वधारणा हो सकती है कि अगर घर की औरते एक जुट हो जाएं तो घर के बाहर और दोनो जगह वो सब कुछ सम्भाल सकता है


देश भक्ति के गले लग गई।


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