प्लानिंग
प्लानिंग
*प्लानिंग*
बाबूजी बड़े ही खुद्दार थे.
अपना एक भी खर्चा जो किसी को करने दिया हो.
रिटायरमेंट के बाद भी सारे शौक खुद ही पूरा करते थे.
एक दिन उन्हें हार्ट अटैक आया और वो चल बसे.
उनकी तेरही हो चुकी थी.
अगले दिन वकील साब आये और इकलौते बेटे को एक चेक दे गए.
यह पैसे उन्होंने अपने अंतिम संस्कार के लिए बचाए थे.
खुद्दार प्लानिंग उनकी...जीवन के समय भी...जीवन के पार भी.