फुटपाथ और शिक्षा
फुटपाथ और शिक्षा
दामोदर जो अपनी शिक्षा पूर्ण करके एक शिक्षक बना था जिसकी उम्र तकरीबन पैंतीस साल थीं न नौकरी थी न कोई जीवनसाथी उसका सपना था एक अच्छा अध्यापक बनने का. लेकिन वह सपना पूर्ण न हो सका उसने सोचा अगर मै शिक्षा पूर्ण कर चुका हूं तो ये शिक्षा में फुटपाथ पर बैठे बच्चो को क्यों न दू? वह बच्चे समझदार होने के साथ साथ ख़ुद को काबिल बना पाएंगे उसने कुछ अंग्रेजी वर्णमाला की किताबे खरीदी और उन बच्चो को दी? उसने अगले दिन से हर रोज जाकर बच्चो को शिक्षा देने लगा. ऐसे काम करते करते उसको एक साल हो गया . लेकिन किसी भी तरह का पैसा दामोदर के हाथ में नहीं आ रहा था. एक दिन जब दामोदर पढ़ा रहा था तो रास्ते मे एक आदमी ने अपनी गाडी से दामोदर को देखा वह काफ़ी धनी और ईमानदार आदमी लग रहा था वह उसके दामोदर के पास जाता और बोलता - तुम कितना अच्छा काम कर रहे हो इस समाज में अभी भी अच्छे लोग रहते है . उस आदमी ने एक दामोदर के लिए एक कोचिंग खुलवा दिया. और इन्टरनेट पर भी दामोदर का वीडियो डाल दिया और वह काफी मशहूर होने लगा. और न्यूज़ में भी उसका इंटरव्यू आने लगा. लोगो ने दामोदर को फंड देना चालू कर दिया और वह अपनी मंजिल तक पहुंच गया.
शिक्षा:- अपनी शिक्षा से दूसरो का परोपकार करना ही सबसे बड़ी शिक्षा है न कि अपनी शिक्षा का घमंड करना