फरेबी
फरेबी
अपने तलाक के बाद अब बुझी बुझी सी रहने लगी थी, जीवन की तरह दुनिया भी उसे खाली खाली ही दिखती थी, उदास भरी जिंदगी से ऊब चुकी थी। परिवर्तन उसके लिए और उसके जीवन के लिए भी जरूरी था।
नई नौकरी की तलाश करने लगी उसे दूसरे शहर में एक अच्छी नौकरी मिली, वो खुश थी कि अब जीवन में कुछ परिवर्तन भी होगा और अपने जीवन के बारे में कुछ बेहतर सोच पाएगी।
नया शहर नए लोग नई नौकरी सब कुछ अच्छा चल रहा था वह खुश थी। अपने पुराने परिचय को नई जिंदगी से छुपाना चाहती थी।
आठ से पाँच की नौकरी थी उसके बाद अपने छोटे से कमरे में ही पड़ी रहती और जिंदगी की उधेड़बुन में लगी रहती।
"कैसी है आप"
अचानक पीछे से आवाज आई।
वह चौक के पीछे देखी और बोली
"जी ठीक हूँ "
आप नई आई है ना इस ऑफिस में"
"जी हाँ पिछले हफ्ते ही आई हूँ। "
" मैं रोहन रॉय पिछले चार सालों से यहाँ काम कर रहा हूँ। "
कहते हुए रोहन ने हाथ आगे बढ़ाया।
निकिता ने हाथ मिलाते हुए कहा
" मैं निकिता"।
लंच ब्रेक खत्म हो चुका था और दोनों अपने-अपने टेबल पर वापस चले गए।
निकिता बहुत ही शांत और गंभीर लड़की थी, बस जल्दी किसी से दोस्ती नहीं करती थी। तलाक के बाद तो वो और भी किसी पर विश्वास नहीं करना चाहती थी।
अंदर से टूट चुकी थी पर मुस्कान से अपने दर्द को ढक के रखती थी।
"हाय क्या कर रही हैं? "
निकिता के फोन में मैसेज आता है।
"आप कौन"
निकिता जवाब में पूछती है।
"मैं रोहन आज सुबह ही तो मिले थे भूल गई क्या"
" नहीं नहीं पर आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला। "
"शायद आप भूल रही हैं, हम दोनों एक ही ऑफिस में काम करते हैं। नंबर तो रजिस्टर में लिखा ही होता है। "
रोहन ने जवाब दिया।
"अच्छा.... कहिए आप कैसे हैं? "
निकिता ने मैसेज किया।
"खाना खा लिया आपने? "
रोहन ने मैसेज किया।
"मेरा खाना हो गया है और अब मैं सोने जा रही हूँ, गुड नाईट कल मिलते हैं "।
निकिता ने मैसेज कर फोन बंद कर दिया।
निकिता को अच्छा लगा किअनजाने शहर में किसी ने तो उसका हाल पूछा पर वह दोस्ती करने से डर रही थी।
अगले दिन सुबह रोहन निकिता के टेबल के पास आ कहता है, " अब तो समय की बड़ी पाबंद है जल्दी सोना जल्दी उठना गुड गर्ल लगती है। "
"नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं मैं अकेले रहती हूँ तो जल्दी ही सो जाती हूँ "।
निकिता ने काम करते हुए जवाब दिया।
शाम के समय रोहन निकिता के साथ ही स्टेशन तक आया दोनों एक ही मेट्रो में उठे, निकिता को अच्छा नहीं लग रहा था रोहन का इतना बोलना।
अगले दिन सुबह स्टेशन पर रोहन फिर मिल गया। यह सिलसिला जारी रहा अब तो निकिता को रोहन के बकबक की आदत लग गई थी।
नौ बजे सोने वाली निकिता रात को साढ़े दस बजे तक रोहन के मैसेज का जवाब दिया करती थी।
निकिता जितना कम बोलती रोहन उसका दुगना बोलता था। उसके वीराने जीवन में कहीं कोई एक अंकुर तो फूटा।
देखते ही देखते दोनों काफी करीब आ गए और एक दूसरे को मन ही मन में चाहने लगे।
निकिता का जन्मदिन था तो रोहन उसे बाहर डिनर पर ले गया।
खुले बालों में निकिता बहुत ही सुंदर लग रही थी।
"मुझे तुम्हारी जैसी ही दोस्त की तलाश थी"।
रोहन ने कहा।
"अच्छा..! मुस्कुराते हुए निकिता ने जवाब दिया।
"क्या हम दोस्ती से आगे बढ़ सकते हैं"? रोहन ने निकिता का हाथ पकड़ते हुए कहा। निकिता इसी पल का तो इंतजार कर रही थी।
शर्माते हुए सर हिलाया...!
दोनों बहुत खुश थे।
ऑफिस में भी दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताने लगे सबकी निगाहें उन्हीं पर रहती थी।
निकिता बहुत खुश थी वह अपने उज्जवल भविष्य के सपने देखने लगी थी जिन खुशियों से वंचित रह गई थी, उन खुशियों को वह फिर से संजोने लगी थी।
रात को दो बजे तक दोनों फोन पर बातें करतें। ऐसे ही चलता रहा और लगभग एक साल बीत गया।
आज स्टेशन पर रोहन कहीं दिखाई नहीं दे रहा था,
अकेले ही ऑफिस आई रोहन को फोन किया तो रोहन ने फोन नहीं उठाया।
ऑफिस आके पता चला कि रोहन ने आज छुट्टी ली है।
बहुत परेशान हुई कि "उसने मुझे नहीं बताया और छुट्टी ली है। "
लंच के वक्त रोहन को मैसेज किया रोहन ने बोला "मुझे तेज बुखार है इसलिए मैं तुम्हारा फोन नहीं उठा पाया और ऑफिस भी ना आ पाया"।
निकिता घबराई बोली "तुम ठीक तो हो मैं आऊँ कोई ख्याल रखने वाला है कि नहीं घर पर"?
"नहीं नहीं मैं ठीक हूँ, तुम अपना ख्याल रखो"!
रोहन ने बोला।
निकिता का मन ऑफिस में नहीं लग रहा था और रोहन भी किसी मैसेज का जवाब नहीं दे रहा था। रात को भी रोहन से बात न हुई बहुत परेशान थी।
दूसरे दिन रोहन लंच के बाद ऑफिस आया उसे देख निकिता के चेहरे पर खुशी दौड़ गईं और रोहन को जोर से गले लगाई पर आज रोहन में वो बात न थी।
उसने निकिता को हटाते हुए, कहा मैं कुछ दिनों के लिए गाँव जा रहा हूँ ! पिताजी की तबीयत ठीक नहीं है, मैं पैसे लेने ऑफिस आया था पर यह लोग खैर छोड़ो....।
"नहीं नहीं बोलो क्या हुआ कोई समस्या है"।
निकिता ने पूछा
"हाँ पिताजी का ऑपरेशन करवाना है पर ये एडवांस नहीं दे रहे हैं। "
रोहन ने उदास हो के कहा।
निकिता ने पूछा "कितने पैसे लगेंगे? '
"मैंने सारे पैसों का इंतजाम कर लिया है सिर्फ पचास हजार कम पड़ रहे हैं। "
" कोई नहीं मैं दे देती हूँ जब तुम्हारे पास हो तो वापस कर देना" निकिता नेकहा।
"नहीं नहीं मैं तुमसे नहीं ले सकता हूँ, तुम खुद अकेली रहती हो तुम्हें पैसे की ज्यादा जरूरत है। "
"अब हम दोनों अलग हैं क्या!"
निकिता ने रोहन का हाथ पकड़ते हुए कहा।
और निकिता ने अपने अकाउंट से रोहन के अकाउंट में रुपए ट्रांसफर कर दिए।
रोहन ने निकिता के सर को चूमा और कहा" मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ, कि जो तुम मेरी जिंदगी में आई."। अपना ख्याल रखना मैं जल्दी ही वापस आऊँगा। "
रोहन को गए लगभग पंद्रह दिन बीत चुके थे ना तो फोन करता और ना ही निकिता के किसी भी मैसेज का जवाब देता। बेचारी परेशान उदास रहने लगी।
अब तो वह नंबर भी बंद आने लगा था।
ऑफिस के अकाउंट से पता चला कि
"वह तो यह नौकरी छोड़ चुका है और उसके पिता दस साल पहले ही मर चुके है"।यह सुन पैरों तले से जमीन निकल गई थी।
कौन से सुनहरे सपने उसने बुने थे। क्या हाथ आया।
आज वह घर मेट्रो से नहीं बस से जा रही थी की खिड़की के पास बैठी वह कुछ सोचते चली जा रही थी।
खिड़की के बाहर उसे अचानक रोहन जैसा एक लड़का दिखा। बस से उतर उस लड़के का पीछा करने लगी यह तो रोहन ही था।
रोहन को पुकारने ही वाली थी कि उसने जो देखा उसके होश उड़ गए। उसके साथ उसकी बीवी बच्चे थे जिन्हें वह उसी रेस्टोरेंट में ले जा रहा था जहाँ निकिता को ले गया था।
वह सीधा रोहन के सामने जा खड़ी हुई निकिता को सामने देख रोहन के तो होश उड़ गए थे।
"कैसे हो रोहन तुम्हारे पिता की तबीयत अब कैसी है? "
निकिता ने पूछा।
रोहन थोड़ा सकपकाते हुए बोला "ठीक है। "
पिता! रोहन की बीवी नेबोला।
"इनके पिता जिनका ऑपरेशन करवाने के लिए उन्होंने मुझसे पचास हजार रूपये लिए थे, जो पाँच साल पहले ही मर चुके हैं"।
और निकिता रोहन की बीवी को सब कुछ बता देती है अपने पुराने फोटो और मैसेजेस भी दिखाती है।
रोहन की बीवी को भी सारा मांजरा समझ में आ जाता है।
" जल्द से जल्द मेरे पैसे वापस करो वरना मैं तुम्हें कहीं का न छोडूंगी" यह कहते हुएँ निकिता रोहन को जोर का एक थप्पड़ मारती है।
वहाँ मौजूद सभी लोगों उसे देखने लगते हैं।
निकिता सीधे जाकर थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखाती है।
अगले दिन ऑफिस में निकिता को पता चलता है, कि इस तरह का उसने बाकी भी कई लड़कियों के साथ किया है और वह सभी को अपने साथ थाने जाने के लिए मना लेती है।
अब रोहन के खिलाफ केस स्ट्रांग हो जाता है। पुलिस रोहन को धोखाधड़ी के मामले में थाने लाती है। पुलिस उसे चेतावनी देती है कि पंद्रह दिनों में सब का पैसा वापस करो, नहीं तो तुम पर आगे केस चलेगा।
निकिता की वजह से बाकी लोगों के भी डूबे पैसे मिल जाते हैं और रोहन के बीवी-बच्चे उसे छोड़ कर चले जाते हैं।