DINESH KUMAR KEER

Inspirational

4  

DINESH KUMAR KEER

Inspirational

पहनावा

पहनावा

2 mins
445



एक महिला को सब्जी मंडी जाना था। उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक रिक्शा वाले ने आवाज़ दी: "कहाँ जायेंगी माता जी...?'' महिला ने ''नहीं भैय्या'' कहा तो रिक्शा वाला आगे निकल गया।


अगले दिन महिला अपनी बिटिया कल्पना को स्कूल बस में बैठाकर घर लौट रही थी। तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी: "बहन जी 'जुनिया' जाना है क्या...?" महिला ने मना कर दिया।


पास से गुजरते उस रिक्शा वाले को देखकर महिला पहचान गई कि ये कल वाला ही रिक्शा वाला था। आज महिला को अपनी सहेली के घर जाना था। वह सड़क किनारे खड़ी होकर रिक्शा की प्रतीक्षा करने लगी। तभी एक रिक्शा आकर रुका: ''कहाँ जाएंगी मैडम...?'' महिला ने देखा ये वो ही रिक्शा वाला है जो कई बार इधर से गुज़रते हुए उससे पूछता रहता है चलने के लिए। महिला बोली: ''खिड़की गेट है ना पुरानी केकड़ी में, वहीं जाना है, चलोगे...?''


रिक्शा वाला मुस्कुराते हुए बोला: ''चलेंगें क्यों नहीं मैडम, आ जाइये...!" रिक्शा वाले के ये कहते ही महिला रिक्शा में बैठ गयी। रिक्शा स्टार्ट होते ही महिला ने जिज्ञासावश उस रिक्शा वाले से पूछ ही लिया: ''भैय्या एक बात बताइये...? दो-तीन दिन पहले आप मुझे माताजी कहकर चलने के लिए पूछ रहे थे, कल बहन जी और आज मैडम, ऐसा क्यूँ...?'' ऑटो वाला थोड़ा झिझककर शरमाते हुए बोला: ''जी सच बताऊँ... आप चाहे जो भी समझें पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है।


आप दो-तीन दिन पहले साड़ी में थीं तो एकाएक मन में आदर के भाव जागे, क्योंकि मेरी माँ हमेशा साड़ी ही पहनती है। इसीलिए मुँह से स्वयं ही "माता जी" निकल गया। कल आप सलवार-कुर्तें में थीं, जो मेरी बहन भी पहनती है। इसीलिए आपके प्रति स्नेह का भाव मन में जागा और मैंने ''बहन जी'' कहकर आपको आवाज़ दे दी। आज आप जीन्स-टॉप में हैं और इस लिबास में माँ या बहन के भाव तो नहीं जागते। इसीलिए मैंने आपको "मैडम" कहकर पुकारा।


शिक्षा :-*

इस प्रसंग से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे परिधान (वस्त्र) न केवल हमारे विचारों पर वरन दूसरे के भावों को भी बहुत प्रभावित करते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational