संजय असवाल

Fantasy

4.7  

संजय असवाल

Fantasy

पहली नजर का प्यार

पहली नजर का प्यार

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बचपन बड़ा सुखद अहसास है, पर जैसे जैसे जवानी की तरुणिमा उमंगे भरने लगती है, मन भी साथ साथ हिलोरे भरने लगता है। उम्र के साथ साथ बचपना अपनी दहलीज लांघ कर किशोर अवस्था में प्रवेश करता है तो ये जहां रंगीन नजर आने लगता है। सोचने समझने का अंदाज ही बदल जाता है। लगता है जैसे सब कुछ नया कुछ अलग है। पंख फड़फड़ाने लगते है जैसे उड़ कर आसमान को छू ले और दुनियां से अलग एक नई दुनियां बना ले। इस उम्र में हर चीज खूबसूरत दिखने लगती है। हर चीज को देखने का अंदाज बदलने लगता है, पर ये स्वप्न सा दिखने वाला आज बस सब्ज बाग सा होता है, जहां सही गलत का जरा भी इल्म नहीं होता बस मन उड़ना चाहता है बहना चाहता है । और उसमे चढ़ती जवानी का सुरूर ही अलग दिखने लगता है। उम्र की इस दहलीज में प्यार मोहब्बत अपने हमउम्र के प्रति आकर्षण भी बेहद नर्म से जान पड़ते है। उम्र जैसे ही बचपन का चोला छोड़कर जवानी की दहलीज पर कदम रखती है, दुनिया की हर चीज बदलकर खूबसूरत नजर आने लगती है। अल्हड़ जवानी में दुनिया को देखने का नजरिया ही बदल जाता है। ये इश्क मुश्क बला की खूबसूरत सी तस्वीर होती है जिसे ये रोग इस उम्र में लग जाए उसकी दुनियां ही बदल जाती है, पर ये इश्क होता क्या है? क्यों होता है? क्यों कोई दिल अजीज हो जाता है? क्यों रातों को नींद और दिन का करार उड़ जाता है? ये इश्क जवानी की इस दहलीज में किशोरों को आशिक से शायर तक बना देती है 

"पहली नजर में जब मैंने उसे देखा, उसकी एक मुस्कान पर मैं फिदा हो गया"।

 प्यार में प्रेमी और उनकी दुनियां सबसे अलग सबसे जुदा हो जाती है ।

ये भावना धीरे धीरे दिल में दाखिल होती है और एक नया एहसास भर देती है। यह तो पहली नजर का प्यार है जो बस एक बार देखते ही हो जाता है। यह एक तीर है जो दिल के पार हो जाता है।


यह प्रेम रूपी रोग कब मन मस्तिष्क में नशे सा चढ़ने लगा और दिल तक पहुंच गया। एक अलग खुमारी सी छाने लगती है। पता भी नहीं चलता। न जाने कब प्यार हो जाता है। दुनिया चाहे कुछ भी बोले प्यार करने वाले अपनी रंगीन दुनियां में अलग नजर आने लगते हैं । प्रेम करने वाले परिंदे प्यार में डूबते हैं और इन गुलाबी पलों को बाँधकर, सहेजकर रखने के लिए पूरा जोर लगा देते हैं । प्यार तो खुदा की इबादत है,जिसे रोज दिल खुद ब खुद करने लगता है। मन बहती नदी सा कलकल बहने लगता है जिसे कोई वास्ता नहीं दुनियां के रीति रिवाजों और बंदिशों की । अल्हड़ जवानी का प्रेम पाक होता है पर किनारे तोड़ कर आवारा होने का डर बना रहता है। कभी कभी एक तरफा होकर बस अपने मोहब्बत का दीदार और उसकी धुन में मदमस्त फिरना भी अच्छा लगता है। कभी कभी प्रेम रूपी रोग जब लगता है और इजहार करने का सही वक्त सही मजमू नही मिल पाता तो दिल की कसमसाहट का अंदाज ही निराला होता है।

ऐसा ही प्रेम जवानी की दहलीज में आते आते मुझे भी हो गया। कॉलेज का पहला दिन और उसका सामने से आकर क्लास के बारे में पूछना मानो एक अजीब तरंग इस शरीर में दौड़ पड़ी। बेहद शांत सौम्य सरल और सादगी लिए ऐसा बोली की मन जड़ सा हो गया। उसका एक एक शब्द कानों में गूंज रहा था और उसका चेहरा मेरे मन की गहराइयों में समाता जा रहा था। बस वो दिन और उसे रोज देखने की हसरत ये दिल बार बार करने लगा था। तेरी पहली मुलाकात ऐसी बाहर लाई, हर आईने में तेरी तस्वीर ही नजर आई।


इतेफाक से वो मेरी ही क्लास में पढ़ने आई थी और मैं कक्षा में पीछे बैठ कर बस उसे ही देखता रहता। एक अजीब सा हाल हो गया था । उसकी एक झलक ही मेरे पूरे दिन को लाजवाब बनाने के लिए काफी है। लगता है मुझे उससे पहली नजर वाला प्यार हो गया ।


आते जाते उसे देखना और इस दिल का बेकाबू रहना पता नही क्या ये पहली नजर का प्यार तो नही था। अब तो दिन रात उसी का ख्याल मेरे दिलों दिमाग में छाया रहता और एक खूबसूरत अहसास मन में पुष्प बन प्रस्फुटित होकर खिलने लगा था । कॉलेज में उसे आते जाते देखना प्यार का खुमार दिन पर दिन चढ़ता जा रहा था पर इस प्यार का इजहार उससे कैसे करूं इसी सोच में दुबला हुआ जा रहा था। पर सच कहूं ये प्यार भी गर्मी में ठंडक देने जैसा था। जाने क्यों उससे मिलकर जिंदगी और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगी थी।

धीरे धीरे दिन बीत रहे थे और उसके प्रति मेरा प्यार अपने चरम तक पहुंच गया था। उससे अब बातचीत भी होने लगी थी और बायो के प्रैक्टिकल में उसके पास खड़े होने का अहसास बेहद खूबसूरत सा था। उसका मुझे देख मुस्कुराना , मुझसे नोट्स मांगना सच कुछ अलग था। इसी तरह उसे देखते देखते हमारा फर्स्ट ईयर गुजर गया। अब हम एक दूसरे से हंसी मजाक भी करने लगे थे पर मेरा पहली नजर का प्यार अब भी अधूरा था। कभी कभी लगता कि शायद उसे मेरे उसके प्रति आकर्षण का अहसास है। जब वो हंसती मुझे छेड़ती तो लगता जैसे उसे भी मुझसे प्यार है पर शायद कहने से हिचकती होगी। कैसे उसे अपने प्यार के बारे में कहूं, इसी उधेड़ बुन में समय निकल रहा था। बेशक हम काफी करीब थे। कॉलेज के टूर में भी साथ रहे। साथ बैठे साथ खाना खाया, इधर उधर घूमें, एक समूह में रह बर्तन धोए, पर प्रश्न अब भी वहीं का वहीं खड़ा था। प्यार प्यार रात दिन सपनों में उससे बातें होने लगी। बाजार में कभी दिख जाए तो बस मन बावरा सा हो जाता जैसे चाहता हो कि वो बस पास बैठे रहे और मैं उसे देखता रहूं। कॉलेज में उसका मुझे अपने जन्म दिन पर आमंत्रित करना। मुझे पूरे आयोजन का जिम्मेदारी सौपना जैसे मैं उसका खास हूं सच मैं अद्भुत सा महसूस करने लगा था। सेकंड ईयर में कक्षा में उसका मेरे पास ही बैठना, मुझे चाय पिलाने के लिए कहना,क्या कहूं मैं तो दिन ब दिन आसमान में उड़े जा रहा था पर मैं उसे खोना नही चाहता था शायद इसी लिए अपने प्यार का इजहार करने से डरता था । मैं खुश भी था आखिर प्यार तो मुझे हो ही गया था।

अभी सेकंड ईयर में कॉलेज खुले कुछ दिन ही हुए और अचानक उसने कॉलेज आना बंद कर दिया तो मैं समझ नहीं पाया आखिर बात क्या है। मै उसके खास दोस्तों से पूछता तो वो भी कुछ सही सा जवाब नही देते शायद उन्हें भी पता न हो कि वो क्यों कॉलेज नही आ रही है। काफी दिनों से कॉलेज में मन नहीं लग रहा था । कक्षा में भी पीछे बैठे उसी के बारे में सोचता रहता।

और वो जमाना आज का जमाना भी नही था कि फोन ही करके पूछ लूं। तब न फोन था न कॉन्टेक्ट का कोई दूसरा माध्यम।

एक दिन उसकी दोस्त मेरे पास आई और मुझे कैंटीन में चलने को कहा। मैं खुश होकर कि शायद कुछ सूचना लाई हो उसके साथ चल पड़ा। वहां उसने मुझे बताया कि उसकी पिछले माह ही सगाई हो गई है और अब शादी होने वाली है तो मेरे तो होश ही उड़ गए। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं क्या करूं।दिमाग दिल सब बैठ गया। उससे किसी तरह से भी कॉन्टेक्ट नही हो पाया और न उसने मुझसे मिलने की कोई कोशिश की शायद वो भी इस प्यार को दिल में दफन करना चाहती होगी। छोटी जगह में मिलना संभव भी नही था शायद ....

आज उस बात को गुजरे पूरे छः माह बीत गए। उसने कॉलेज शिफ्ट करके दुसरे शहर जहां उसका ससुराल है कॉलेज ज्वाइन कर लिया। वहीं से अपने अंतिम ईयर की पढ़ाई पूरी करेगी ऐसा उसके दोस्त ने बताया। सच ऐसा लगा जैसे शरीर से आत्मा निकल गई हो। काफी समय मन खट्टा सा रहा । सामान्य होने में मुझे भी पूरे एक साल लगा। 

आज बीस साल बाद पहली नजर का प्यार की कहानी अखबार में पढ़ी तो मुझे अपनी कहानी याद आ गई। पहली नजर पहला प्यार भुलाए नहीं भूलता।

कभी कभी पहली नजर कुछ ऐसे रिश्ते बना लेती है ...

जो आखिरी सांस तक लहू बनकर पूरे जिस्म में बहती रहती है।

वो जहां रहे खुश रहे।मेरा प्यार मेरे अंदर ही दफन हो गया।



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