Apoorva Singh

Romance

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Apoorva Singh

Romance

पहला पहला प्यार है

पहला पहला प्यार है

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ओह गॉड!शादी के अलावा कोई और टॉपिक नही है आप सब के पास।हमे नही करनी अभी शादी वादी!स्पेशली अरेंज मैरिज तो बिल्कुल नही।अभी हमारी उम्र ही कितनी है मात्र तेईस वर्ष।और उस पर आप लोग रट लगाए हो शादी की।तेईस वर्ष की एक आम लड़की आस्था ने अपने पेरेंट्स से कहा।तो उसकी बात सुन वे बोले,बेटा तो हम कौन सा ये कह रहे है कि अभी कर लो एक दो बार मिल लो,जान लो एक दूसरे को समझ लो फिर कोई निर्णय लेना।लड़के वालों की ओर से ही ये रिश्ता आया है।सौहार्द बहुत अच्छा लड़का है।हम मिले है उससे।

आप लोग मिले हो उससे हम नही और अभी हम कुछ नही कहेंगे हम पहले ये जोधपुर वाली ट्रिप पूरी कर ले फिर सोच कर बताएंगे।ठीक है।अब हम जा रहे है हमारे कमरे में हमे पैकिंग भी करनी है।दो दिन बाद निकलना है हमे।कह आस्था कमरे में चली जाती है।

आस्था जल्दी कर ट्रेन निकलने में अभी सिर्फ दस मिनट बचे हैं।कहाँ पहुंची हो तुम।

हम बस पहुंचने ही वाले है शालू।बस स्टेशन के बाहर ही है।कौन सा प्लेटफॉर्म शालू?

आ पांच!पांच नंबर पर आ जा जल्दी हम लोग यहां कब से खड़े हो तेरा इंतजार कर रहे हैं।

बस बस पांच से भी कम मिनट में हम अभी पहुंचे।ओके।।आस्था ने कहा और फोन हाथ मे पकड़ तेज कदमो से स्टेशन के अंदर की ओर कदम बढाती है।

आज अगर लेट हो गए न तो शालू और रचना दोनो मिलकर हमारी चटनी बना देगी।बस बचा लियो माधव!बड़बड़ाते हुए वो हाथ में कैरी बैग लिए जल्दी जल्दी दौडते हुए चली जा रही है।पुल पर चढ़ते हुए वो प्लेटफॉर्म नंबर देख जल्दी में सीढियां उतरने लगती है।और जल्दबाजी में ही वो सीढियो से ही उतर रहे एक नौजवान से टकरा जाती है।उसका कैरी बैग हाथ से छूट जाता है और उसमें रखा कुछ सामान निकल कर कर बाहर आ जाता है।

ओह गॉड!नो नो नो नो माधव !आज तो पक्का हमारी गाड़ी छूट जानी है।बड़बड़ाते हुए वो बिन ऊपर देखे जल्दी जल्दी समान बटोरने लगती है।वही वो युवक सॉरी सॉरी कहता हुआ वहां से निकल जाता है।आस्था बस उसके पैर के जूते और हाथ मे बंधी घड़ी ही देख पाई होती है।सामान उठा आस्था तुरंत उठती है और दौड़ते हुए शालू और रचना के पास पहुंचती है।उसे देख शालू आंखे तरेरते हुए उससे कहती है हो गया तेरा आ गयी महारानी।।और दो मिनट बाद आती।इससे आगे शालू कुछ कहती तब तक ट्रेन की सिटी बज जाती है और तीनों कम्पार्टमेंट के अंदर जाने के लिए दौड़ पड़ती हैं।और एक एक कर तीनो चढ़ जाती है।ट्रेन चलना स्टार्ट हो जाती है और उसके साथ ही शुरू हो जाती है तीनो की कभी खत्म न होने वाली बातचीत।

शालू रचना और आस्था तीनो कॉलेज की सहेलियां है जो जोधपुर घूमने के लिए तीन दिन की ट्रिप पर जा रही हैं।

रचना :- आस्था, अब बता कहाँ टाइम लग गया तुझे इतना!हम लोग कब से स्टेशन पर खड़ी हो तेरा इंतजार कर रही थी।कुछ अनुमान है तुझे?

आस्था :- अनुमान क्या बताएं अब जो हुआ उसके लिए सॉरी!और अब अब भूल कर बैठ कर आगे की प्लानिंग के बारे में बातचीत करते हैं।

आस्था की बात सुन शालू ने कहा ओके और तीनों अपनी आरक्षित सीट पर जाकर बैठ जाती है और आगे के विषय मे बातचीत करने लगती हैं।कुछ घण्टो बाद वो तीनो जोधपुर स्टेशन पर पहुंचती है।और वहां से बाहर निकल कैब कर अपने होटल पहुंचती है।कुछ देर विश्राम कर तीनो जोधपुर के मार्किट निकल जाती है और घूम घाम कर हल्की फुल्की शॉपिंग कर वहां से निकल वापस होटल आ जाती हैं।

अगले दिन तीनो एक गाइड बुक करती है और निकल पड़ती है जोधपुर की सैर पर।लेकिन सबसे पहले किस जगह जाएं इसी बात पर बातचीत करते हुए वो तीनो हल्की सी बहस पर उतर आती है।

आस्था उम्मेद भवन पैलेस पहले जाना चाहती है तो रचना मेहरानगढ़ फोर्ट सबसे पहले देखना चाहती है।वहीं सुबह का सुहावना मौसम होने के कारण शालू को रेगिस्तान की सैर सबसे पहले करनी है।

उन तीनों की बातचीत सुन गाइड कहता है अगर था लोगां ने बुरा को नई लागे तो अब मैं कुछ बोलू चाहूं!

उसकी आवाज सुन तीनो एकदम से चुप हो जाती है।और एक दूसरे की ओर देख धीमे से कहती है इसकी आवाज तो बहुत ही मनमोहक है।एक खनक के साथ कशिश है।

उनकी फुसफुसाहट सुन वो गाइड कार में लगे मिरर से पीछे की ओर झांकता है तो आस्था उसे ऐसा करते देख एकदम चुप हो जाती है।वो उसकी ओर देखती है और उससे कहती है हां कहो?

लेकिन इस बार हिंदी में कहना क्योंकि आपकी भाषा हमे कम समझ आ रही है।

ठीक है।मैं कह रहा था कि अगर आप लोगो को घूमना है तो सबसे पहले चलिए मेहरानगढ़ फोर्ट!उसके बाद उम्मेद भवन पैलेस और शाम को रेगिस्तान।क्योंकि रेगिस्तान में या तो सुबह के समय घूमना ठीक रहता है या फिर शाम में सूर्यास्त के समय।बीच मे अगर गए तो गर्मी और धूप के कारण बुरा हाल होना है।

ठीक है!तो फिर फोर्ट ही चलिए आस्था ने उसकी ओर देखते हुए कहा।जो इस समय भी मिरर से चोर नजर से उसे निहार रहा था।आस्था के अचानक उसकी ओर देखने से वो हड़बड़ा गया और नजर फेर दूसरी ओर देखने लगा।शालू और रचना दोनो ही बातों में रमी हुई थी।

कुछ ही देर में वो चारो फोर्ट पहुंचते हैं।जहां गाइड उन्हें फोर्ट के इतिहास से अवगत कराता जाता है।

आस्था रचना और शालू तीनो ही उसकी बात सुनते हुए चढ़ाई करने लगते हैं।और फोर्ट के मुख्य दरवाजे के पास पहुंचते हैं।जहां राजस्थानी कला संगीत की छाप छोड़ते हुए कई कलाकार मौजूद रहते हैं।चूंकि चढ़ाई काफी होती है तो ऊपर पहुंच कुछ क्षण के लिए सभी विश्राम करते हैं गाइड सबके लिए पानी लेकर आता है।सभी पानी पीकर वहां से आगे बढ़ते है तो गाइड उन्हें लेकर चंद्रिका मंदिर जाता है।जिसके बारे में वो उन्हें बताता है कि कुछ वर्ष पहले यह हुई भगदड़ में सैकड़ो व्यक्ति मारे गए थे।बातचीत करते हुए गाइड बीच बीच मे आस्था की ओर देख लेता और फिर आगे बताने लगता।आस्था उसकी इस हरकत को नोटिस कर मन ही मन खुश हो रही होती है।लेकिन ऊपर से जताती नही है।देवी दर्शन के बाद सभी महल की छत पर जाते है जहां तोपे रखी हुई होती है।उस जगह को देख वो बताता है कि यहां कई बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।

क्या सच मे।कौन सी फ़िल्म की हुई है?आस्था ने उत्साहित होकर पूछा तो गाइड बोला भूमिका जी स्टारर तेरे नाम उसके कुछ हिस्से यहां शूट किए गए।ओह रियली!हां याद आया उसका एक सांग जिसमे वो इसी महल की एक खिड़की पर बैठी दिखाई देती हैं।आस्था ने कहा।तो आस्था की बात पर गाइड ने जी कहा और सभी आगे चलने लगे।आस्था और गाइड की बातों का सिलसिला चल पड़ता है।आस्था फोर्ट से संबंधित सवाल पर सवाल करती जाती है और वो गाइड मुस्कुराते हुए सहजता के साथ उसके सभी प्रश्नों का उत्तर देता जाता है।फोर्ट के बाद सभी पैलेस न जाकर रेगिस्तान के लिए निकल जाते हैं।रेत के टीलों में घूमने के बाद गाइड उन्हें वहां चल रहे सांस्कृतिक प्रोग्राम में लेकर जाता है।जहाँ वो तीनो राजस्थानी परिधान धारण कर खूब मस्ती करते हैं।घाघरा ओढनी में आस्था बहुत सुंदर लग रही है जिसे देख गाइड सभ्य और स्पष्ट शब्दों में कहता है आप सभी बेहद सुंदर लग रही हैं।और आस्था पर उसकी नजर ठहर जाती है।आस्था उन नजरो में छुपे प्रेम के साथ सम्मान के एहसास को महसूस कर लेती है।दोनो के हृदय में प्रेम का बीज अंकुरित होने लगता है।कुछ देर तीनो घूमने फिरने के बाद वापस होटल के लिये निकल आते हैं।जहां वो तीनो गाइड से समय पर आने का कह वहां से अंदर चली जाती हैं।आस्था के मन मे इस समय गाइड का ख्याल और उसकी बातें घूमने लगती है तो वहीं दूसरी तरफ अपने किराए के घर मे मौजूद गाइड की आंखों के सामने आस्था का मुस्कुराता चेहरा आ रहा होता है जिस कारण मुस्कुराहट उसके चेहरे से हट ही नही रही होती।अगले दिन सभी फिर तय समय पर मिलते है और आज उम्मेद भवन पैलेस और मंडोरे घूमने का प्लान बनाते हैं।पैलेस घूमने के बाद सभी मण्डौर घूमते है जहां बह रही नदी की खूबसूरती देखते ही बनती है।इसी तरह ये दिन भी गुजर जाता है और इस गुजरे दिन के साथ दोनो के हृदय में अंकुरित प्रेम का बीज बढ़ते हुए आकार लेने लगता है।अगले दिन सभी गणपति के मंदिर जाते है जहां से वो सभी घूमी हुई जगहों को देखते हैं।उसके बाद दो एक जगह और जाते है और फिर सभी वापस होटल लौट आते हैं।आस्था शालू और रचना तीनो अपना सामान ले स्टेशन की ओर निकलती है।आस्था का मन भारी होता है वो एक बार चुपके से गाइड की ओर देखती है और सोचती है काश कभी ऐसा हो तुमसे फिर कभी मुलाकात हो..!और अगली बार वो मुलाक़ात कभी खत्म न हो।

वहीं गाइड चेहरे पर मुस्कुराहट रख सोचता है शायद मेरा यहां आकर गाइड बनने का मकसद पूरा हो चुका है एवम वो भी स्टेशन के लिए निकल जाता है।तीनो स्टेशन पर पहुंच ट्रेन में बैठ जाती है और वहां से वापस निकल आती हैं।आते हुए आस्था बिल्कुल शांत होती है।

उसे शांत देख रचना और शालू एक दूसरे की ओर देखती है और फिर आस्था से कहती है क्या हुआ आस्था तुम जबसे आई हो खोयी खोयी लग रही हो।आस्था गाइड के बारे में इतनी गहराई से सोच रही होती है कि दोनो की बाते तक सुनती नही है।

आस्था!कहाँ खोई हो इतनी गहराई से!कहीं कोई विशेष कारण तो नही।शालू ने आस्था को छेड़ते हुए कहा तो आस्था बोली हम बताएंगे लेकिन पहले हमसे वादा करो कि हमारा मजाक नही बनाओगी।

ठीक है पक्का!नही बनाएंगे तुम्हारा मज़ाक!अब बताओ क्या हुआ।रचना ने कहा तो आस्था बोली,

शालू ,'हमे लगता है कि हमें प्रेम हो गया है'! क्या कहा तुमने रचना और शालू ने चौंकते हुए कहा तो आस्था बोली वही जो तुमने सुना।

इस पर रचना बोली मतलब हमेशा इन् सब चीजों से भागने वाली लड़की को प्रेम हो गया है!कौन है वो..!क्या नाम है उसका?

रचना की बात सुन आस्था अटकते हुए बोली नाम तो हमे नही पता उसका हां वो गाइड है जिससे हम पिछले तीन दिन से मिल रहे थे।

आस्था की बात सुन रचना और शालू एक दूजे की ओर देख कर मुस्कुराई और आस्था से बोली ये सही है जान न पहचान और प्रेम हो गया तुम्हे वो भी किससे एक गाइड से।

देखो हमने पहले ही कहा था कि हमारा मजाक मत बनाना लेकिन तुम दोनो शुरू हो गयी हमे तुम दोनो से कहना ही नही चाहिए था।कहते हुए आस्था मुंह घुमा कर खिड़की की ओर कर लेती है।आस्था को दूसरी ओर देखता पाकर रचना अपना फोन निकाल कर एक मैसेज टाइप करती है 'हम कामयाब हो गए' और उसे सेंड कर फोन वापस रख देती है।

कुछ घण्टो में वो तीनो अपने गंतव्य तक पहुंचते है जहां शालू और रचना कल घर आने का कह वहां से निकल जाती है।आस्था घर पहुंचती है और जाकर सीधे अपने कमरे में चली जाती है।उसके बदले व्यवहार को देख उसके मां पापा थोड़े से चिंतित हो जाते है।और एक कॉल लगा कर कुछ देर बातचीत कर मुस्कुराते हुए फोन रख देते हैं।अगले दिन आस्था के मां पापा उससे शादी के बारे में बात करते है तो आस्था चिढ़ते हुए कहती है हमे नही करनी किसी सौहार्द से शादी वादी।कह वो खामोश सी सोफे पर बैठ जाती है।'सोच लो आस्था' एक बार।एक जाना पहचाना स्वर उसके कानों में पड़ता है तो वो चौंकते हुए नजर घुमा देखती है और सामने खड़े इंसान को हैरानी से देखने लगती है।आ.प यहां कैसे ये चंद लफ्ज ही वो बोल पाई होती है तो वो कहता है कैसे क्या मैं सौहार्द!आपके लिए ही तो इतने जतन कर रहा था कि आप विवाह के लिए मान जाए।तो अब बताइये क्या ख्याल है आपका?

मतलब वो सब आप..वहां।आस्था शब्द नही ढूंढ पा रही क्या बोले तो सौहार्द आगे बढ़ कहता है हां आस्था अब तुम्हारी जिद की वजह से मुझे ये सब करना पड़ा और इस सब में सब शामिल थे सिर्फ तुम्हे छोड़कर।

हे माधव!हम क्या कहें अब।मतलब इतना सब वो भी हमारे लिए क्यों?उसकी बात सुन सौहार्द उसके पास आ कर धीरे से कहता है अब भी क्यों का जवाब चाहिए तो जवाब बस इतना ही है पहला पहला प्यार है... वो भी तबसे जब तुम्हे पहली बार अपनी कजिन शालू को छोड़ते हुए कॉलेज में देखा तब तुमने ध्यान ही नही दिया मुझ पर फिर रिश्ता भेजा तो पता चला तुम अरेंज नही लव मैरिज करना चाहती हो फिर ये सब प्लान किया!अब पहला पहला प्यार है तो इतना तो बनता है।थैंक यू सौहार्द जी कहते हुए वो अंदर कमरे में चली जाती है।उसकी ये हरकत देख वहां सभी मुस्कुरा देते है।

रचना और शालू आस्था के घर उससे मिलने आती है।तो आस्था उनसे थैंक्स कहती है तो शालू उसे छेड़ते हुए कहती है हाये पहला पहला प्यार है...!

तो आस्था मुस्कुराते हुए कहती है हां और पहली पहली बार है।उसकी बात सुन कर तीनो खिलखिलाने लगती है।


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