Sarita Kumar

Fantasy

4.6  

Sarita Kumar

Fantasy

फैंटेसी

फैंटेसी

3 mins
402


रमा की दुनिया बिल्कुल ही अलग है। उसे वर्तमान से , अपनी हकीकत से और अपने समाज से कोई सरोकार नहीं है। उसने अपने ख्यालों और ख्वाबों में एक बेहद हसीन दुनिया बसाई है। जहां सिर्फ वह अपने पसंदीदा लोगों के साथ रहती है। अहले सुबह उठकर सबसे पहले वो तस्वीर देखती है फिर आंखों को मूंदकर न जाने क्या क्या बुदबुदाती है फिर अपने हाथों को देखती है। उन लकीरों की कल्पना करती है जो उसके हाथ में है ही नहीं। हां नहीं है उसके हाथों में भाग्य रेखा। अपने हाथों को निहार कर उतर जाती है बिस्तर से और शुरू होती है उसकी दैनिक दिनचर्या। सबसे पहले बनाती है चाय और बड़े निश्चिंत होकर तसल्ली से पीती है। दिनभर की योजनाएं बनाती है और पूरे मन से उन योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए कमर कस कर चल पड़ती है। सूचिबद्ध कार्यों को पूरा करने के बाद अपनी कलम और डायरी लेकर चल पड़ती है अपना सबसे पसंदीदा किनारा घर के पीछे बगीचे में जहां उसके ज़रूर के सभी सामान मौजूद रहते हैं बिना नागा के। घर बार की सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर लिखती है कुछ इनकी , कुछ उनकी और कुछ अपनी कहानी। कुछ कविताएं और लेख आलेख। लिखने के बाद जैसे मन को बड़ा सुकून मिलता है उसे। हल्की फुल्की होकर उड़ती हुई लौट आती है अपने कमरे में। सलीके से खाना परोसती है और फिर ईश्वर को धन्यवाद कहती है। हर एक बात के लिए। उसके जन्म के लिए , उसे मिलें हुए परिवार और दोस्तों के लिए और सबसे ज्यादा आभार व्यक्त करती है अपने रचनात्मक हुनर के लिए। अपनी लेखनी के लिए। अगर ईश्वर ने उसे बुद्धि नहीं दी होती , उसमें लिखने का हुनर नहीं दिया होता तो क्या उसका जीवन इतना खुशनुमा होता ...... ? बिल्कुल नहीं, बिल्कुल भी नहीं। वक्त और हालात ने उसके साथ जो खेल खेला था उसके बाद उसका जीवित रहना ही असभंव था। और अभी ना वो सिर्फ जीवित है बल्कि बेहद बिंदास खुशनुमा जिंदगी बसर कर रही है। जो कुछ भी उसने सोचा था चाहा था या ख्वाब देखा था उन सभी चाहतों और ख्वाहिशों को शब्दो का जामा पहनाकर जीवंत कर देती है। पहले लिखती है , फिर पढ़ती और उसके बाद सुनती है अपनी लिखी हुई कहानियां किसी और की जुबान से फिर ..... फिर ...... फिर वो जीने लगती है वही सब ..... जो उसने सोचा होता है , चाहा होता है। उसे लगने लगता है कि वह दुनिया की सबसे खुशनसीब प्राणी है जिसे सब कुछ मिल गया उसका सोचा हुआ। 

उसकी कल्पना शक्ति इतनी सशक्त है कि वो सब कुछ महसूस करती है। वो सुनने लगती है जो सुनना चाहती है वो देखने लगती है जो वो देखना चाहती है और वो महसूस भी करने लगती है जो वो महसूस करना चाहती है। यहां तक की उसके शरीर पर उस स्पर्श के निशान भी उभरने लगते हैं जो कुछ वो कल्पना की होती है। उसे उनकी खुशबू भी महकाने लगती है। इस अप्रतिम अप्रत्याशित , अलौकिक आनंद के उन्माद में वो गाने लगती है नाचने लगती है। 

हकीकत की दुनिया से बहुत दूर उसने कोरे कल्पनाओं में दुनिया बसाई है और उसी कल्पनाओं में जी रही है अपनी वास्तविक जिंदगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Fantasy